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सामाजिक न्याय

प्रवासियों के लिये सामाजिक सुरक्षा संख्या का विचार

  • 22 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सामाजिक सुरक्षा संख्या

मेन्स के लिये:

सामाजिक सुरक्षा कोड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'श्रम पर संसदीय स्थायी समिति' (Parliamentary Standing Committee on Labour) ने प्रवासी श्रमिकों; विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र, के लिये ‘सामाजिक सुरक्षा संख्या’ (Social Security Number- SSN) पेश करने की सिफारिश की है। 

प्रमुख बिंदु:

  • हाल ही में 'श्रम और रोजगार मंत्रालय' (Ministry of Labour and Employment) प्रवासी श्रमिकों की संख्या पर कोई ठोस आँकड़े उपलब्ध कराने में असमर्थ पाया गया तथा प्रवासी श्रमिकों के आँकड़े उपलब्ध कराने के लिये रेलवे मंत्रालय के आँकड़ों का हवाला दिया।
  • रेल मंत्रालय के अनुसार, लगभग 1.08 करोड़ प्रवासी श्रमिकों द्वारा ‘विशेष श्रमिक’(Special Shramik) एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा की गई थी।
    • हालाँकि इन आंकड़ों की सत्यता पर इस आधार पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि इन ट्रेनों का श्रमिकों के साथ-साथ छात्रों और श्रमिकों के परिवार के सदस्यों ने भी उपयोग किया था।  

सामाजिक सुरक्षा संख्या (Social Security Number):

  • प्रवासियों को कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ देने के लिये आधार कार्ड से भिन्न एक ‘सामाजिक सुरक्षा संख्या’ (Social Security Number) दिया जाना चाहिये । 
  • SSN बीमा, स्वास्थ्य और अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों को कवर करने का एक अधिक प्रभावी तरीका हो सकता है। 
  • SSN का उपयोग लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों में प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में किया जाएगा।
  • SSN न केवल प्रवासी श्रमिकों की संख्या को जानने तथा मानचित्रण में बल्कि उनके प्रवासन प्रतिरूप को समझने में भी मदद करेगा।

समिति के अन्य सुझाव:

  • श्रमिकों के प्रवासन से जुड़े दोनों राज्यों अर्थात वह स्थान जहाँ से प्रवास किया है तथा वह स्थान जहाँ के लिये प्रवास किया है, संबंध में एक रिकॉर्ड रखा जाना चाहिये।
  • सामान्यत: ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (PDS) ‘बॉयोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन’ प्रणाली के लिये इंटरनेट तथा विद्युत की आवश्यकता होती है। अत: इस संबंध में ग्राम सभाओं तथा नगरपालिकाओं को अधिक अधिकार प्रदान किये जाने चाहिये। 
  • हाल ही में कुछ राज्यों द्वारा श्रम कानूनों में किये गए बदलाव और इसके श्रमिकों पर प्रभाव की भी समिति द्वारा चर्चा की गई।
  • चिंता के विषय:
  • ‘सामाजिक सुरक्षा कोड’ (Social Security Code) विधेयक- 2019 के तहत ‘सामाजिक सुरक्षा कोष’ की स्थापना को अनुमति दी गई है। कानून में इस बात का कोई विशेष विवरण नहीं है कि निधि में किसका योगदान होगा और इसका उपयोग किस प्रकार किया जाएगा।
  • 'पीएम गरीब कल्याण योजना' के तहत अधिकांश लाभार्थी स्थानीय श्रमिक थे न कि प्रवासी श्रमिक।

सामाजिक सुरक्षा कोड (Social Security Code):

  • केंद्र सरकार 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार व्यापक कोड में बदलने का कार्य कर रही है।
    • वेतन संहिता;
    • औद्योगिक संबंध संहिता;
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता;
    • पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य शर्त संहिता;
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक सामाजिक सुरक्षा से संबंधित नौ कानूनों; जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम- 1952, मातृत्व लाभ अधिनियम- 1961 और असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम- 2008 भी शामिल हैं, को संशोधित और समेकित करता है। 
  • विधेयक एक सामाजिक सुरक्षा कोष स्थापित करने का प्रस्ताव करता है। यह फंड सभी श्रमिकों (गिग श्रमिकों सहित) को कल्याणकारी लाभ जैसे कि पेंशन, मेडिकल कवर प्रदान करेगा। 
  • संहिता सरकार द्वारा अधिसूचित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को संचालित करने के लिये कई निकायों की स्थापना का प्रावधान भी करती है।
  • संहिता मातृत्व लाभ संबंधी अवधारणा के विस्तार का भी प्रावधान करती है। 
  • संहिता विभिन्न अपराधों जैसे कि रिपोर्ट का मिथ्याकरण, आदि के लिये दंड को निर्दिष्ट करती है।

स्रोत: द हिंदू

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