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जैव विविधता और पर्यावरण

मानव-तेंदुआ संघर्ष

  • 03 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये 

भारतीय तेंदुआ

मेन्स के लिये 

मानव-वन्यजीव संघर्ष तथा उसे कम करने के उपाय

चर्चा में क्यों?

कर्नाटक में किये गए एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि भारत सरकार द्वारा मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम करने के लिये जिन नीतिगत दिशा निर्देशों को लागू किया गया है उनका ज़मीनी स्तर पर बहुत कम प्रभाव पड़ा है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2011 में मानव-तेंदुए नीति संबंधी दिशा निर्देशों को लागू करने के बावजूद प्रति माह पकड़े गए तेंदुओं की संख्या तीन गुना से अधिक (1.5 से 4.6 तक) बढ़ गई।
  • इसी प्रकार, प्रति माह स्थानांतरित किये गए तेंदुओं की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई (1 से 3.5 तक)।
  • तेंदुए के साथ संघर्ष को कम करने, उनके शिकार को हतोत्साहित करने और आपातकालीन संघर्ष स्थितियों से निपटने के बेहतर तरीके सुझाने के लिये अप्रैल 2011 में मानव-तेंदुआ संघर्ष प्रबंधन हेतु दिशा निर्देश लाए गए थे। 

अध्ययन से संबंधित अन्य बिंदु:

  • कर्नाटक में, 357 तेंदुए संघर्ष की स्थिति में थे और वर्ष 2009 और 2016 के बीच पकड़े गए थे। इनमे से 314 तेंदुओं के बारे में अंतिम आँकड़े उपलब्ध हैं। 
  • इनमें से 268 तेंदुओं को ‘स्पिरिट ऑफ द पॉलिसी’ के उल्लंघन में स्थानांतरित कर दिया गया, 34 तेंदुओं को पकड़कर कैद में रखा गया, जबकि 12 की मौत हो गई।
  • कर्नाटक को एक केस स्टडी के रूप में लेते हुए, शोधकर्ताओं ने पहले और बाद के दिशा-निर्देशों के तहत तेंदुए की पकड़, कैद के कारणों और पकड़े गए तेंदुओं के संबंध में परिणाम का विश्लेषण किया।

प्रमुख संख्यात्मक आँकड़े:

  • अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2009-16 के दौरान राज्य के 30 ज़िलों में से 23 में 357 तेंदुओं को पकड़ लिया गया।
  • मैसूरु, उडुपी, हसन, तुमकुरु, रामनगरम, बल्लारी, कोप्पल और मांड्या ज़िलों में ये घटनाएँ सर्वाधिक (79%) देखने को मिलीं।
  • स्थानांतरित किये गए 268 तेंदुओं में से कई को संरक्षित क्षेत्रों (59.7%) और कुछ को आरक्षित/राज्य/लघु वनों (29.8%) में स्थानांतरित कर दिया गया। बांदीपुर टाइगर रिज़र्व (22.5%) में सबसे अधिक, उसके बाद नागरहोल टाइगर रिज़र्व (20.6%) और कावेरी वन्यजीव अभयारण्य (15%) में तेंदुओं का स्थानांतरण हुआ।
  • अध्ययन के अनुसार, 80 तेंदुओं को आरक्षित/राज्य/लघु वनों में स्थानांतरित कर दिया गया था, ज्यादातर रिलीज केंपहोल आरक्षित वन (16.2%) में थे, इसके बाद देवनारायण दुर्ग राज्य वन (7.5%) और बुक्कापन्ना राज्य वन (5%) शामिल थे।
  • हालांकि तेंदुओं को पकड़ने और उनके स्थानांतरण के लिये आठ कारणों को ज़िम्मेदार ठहराया गया। जिनमें से कुछ निम्न हैं-
    • जाल में फंसने और कुओं में गिरने से (15.7%)
    • पशुधन अपव्यय (13.7%)
    • मानव बस्तियों में तेंदुए के देखे जाने की चिंता के कारण (13.7%)
    • तेंदुए के मानव आवासों (10.9%) में प्रवेश करने के कारण
    • मानव-तेंदुआ संघर्ष में मानव को लगी चोटों के कारण (4.5%) 
    • मानव मृत्यु (2%)

तेंदुआ (Common leopard)

सामान्य नाम- भारतीय तेंदुआ या सामान्य तेंदुआ (Indian leopard or common leopard)

वैज्ञानिक नाम- पैंथेरा पार्डस (Panthera pardus)

संख्या- कोई आधिकारिक देशव्यापी संख्या अनुमान उपलब्ध नहीं है। हालांकि, भारत के 17 बाघों की उपस्थिति वाले राज्यों में, तेंदुआ लगभग 1,74,066 वर्ग किमी. क्षेत्र में उपस्थित है, जो बाघ की उपस्थिति वाले क्षेत्र का लगभग दोगुना है। 

ऊँचाई: 45-80 सेमी.

लंबाई: हैड बॉडी लेंथ- 100-190 सेमी., टेल लेंथ- 70-95 सेमी. 

वजन: नर- 30-70 किग्रा., मादा- 28-60 किग्रा.

स्थिति- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध और CITES के परिशिष्ट-I में शामिल।  IUCN की रेड लिस्ट में नियर थ्रेटेंड (Near Threatened) के रूप में सूचीबद्ध। 

स्रोत- द हिंदू

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