भारतीय अर्थव्यवस्था
घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण
- 18 Nov 2019
- 4 min read
प्रीलिम्स के लिये:
CES, NSO
मेन्स के लिये:
CES से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
सरकार ने घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (Household Consumer Expenditure Survey) के वर्ष 2017-2018 के डेटा के आँकड़ों को गुणवत्ता की वजह से नहीं जारी करने का निर्णय लिया है।
उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण
- उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (Consumer Expenditure Survey- CES) सामान्यतः पाँच वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया जाता है और इसका अंतिम 68वें चरण का आयोजन जुलाई 2011 से जून 2012 के बीच किया गया था।
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) के तहत इसका संचालन NSO द्वारा किया जाता है।
- यह घरेलू स्तर पर मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (Monthly Per-capita Consumer Expenditure- MPCE) और MPCE वर्ग से इतर घरों और व्यक्तियों (Household and Persons) के वितरण का अनुमान लगाता है।
- यह घरों में वस्तुओं और सेवाओं (खाद्य और गैर-खाद्य) की खपत पर खर्च के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इसका उपयोग सकल घरेलू उत्पाद और अन्य समष्टि-आर्थिक संकेतकों (Macro-Economic Indicators) के रीबेसिंग (Rebasing) में किया जाता है।
2018-19 सर्वेक्षण:
- उपभोक्ता खर्च में लगातार कमी हो रही है और इसके प्रतिकूल निष्कर्षो (Adverse Findings) के कारण रिपोर्ट को जारी करने पर रोक लगा दी गई है।
- वस्तु और सेवाओं के वास्तविक उत्पादन जैसे अन्य प्रशासनिक डेटा स्रोतों से तुलना करने पर अत्यधिक विचलन या भिन्नता देखी गई। यह भिन्नता केवल उपभोग पैटर्न के साथ-साथ परिवर्तन की दिशा (Direction Of the Change) में भी थी।
सर्वेक्षण प्रकाशित क्यों नहीं किया?
- आँकड़ो की गुणवत्ता के कारण सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने वर्ष 2017-2018 के CES परिणामों को जारी नहीं करने का निर्णय लिया है।
- परिवारों द्वारा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में खपत के लिये सर्वेक्षण की क्षमता/संवेदनशीलता (Ability/Sensitivity) के बारे में चिंता व्यक्त की गई।
- राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी सलाहकार समिति ने भी सिफारिश की है कि सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) शृंखला के लिये वर्ष 2017-18 को नया आधार वर्ष के रूप में उपयोग करने के लिये उपयुक्त वर्ष नहीं है।
- MoSPI अलग से वर्ष 2020-2021 और वर्ष 2021-22 में अगले CES के संचालन की व्यवहार्यता की जाँच कर रहा है ताकि सर्वेक्षण प्रक्रिया में सभी गुणवत्तापूर्ण डेटा शामिल हो।
डेटा लीक
Data leaked
- सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीयों द्वारा एक महीने में खर्च की गई औसत राशि वर्ष 2011-12 के 1,501 रुपए से 3.7% गिरकर वर्ष 2017-18 में 1,446 रुपए हो गई।
- भारत के गाँवों में उपभोक्ता खर्च वर्ष 2017-18 में 8.8% घट गया, जबकि 6 वर्षों के दौरान शहरों में इसमें 2% की वृद्धि हुई।