भारतीय राजनीति
हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय अधिनियम, 2023
- 13 Apr 2023
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय अधिनियम, 2023 मेन्स के लिये:हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय अधिनियम, 2023 के लाभ और महत्त्व |
चर्चा में क्यों ?
हिमाचल प्रदेश ने अनाथों और विशेष रूप से ज़रूरतमंदों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिये सुखाश्रय (राज्य के बच्चों की देखभाल, संरक्षण एवं आत्मनिर्भरता) अधिनियम, 2023 पारित किया है।
सुखाश्रय अधिनियम, 2023 के मुख्य बिंदु:
- परिचय :
- यह अधिनियम ऐसे बच्चों जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है, जिनके माता-पिता नहीं हैं या माता-पिता अक्षम हैं, को अनाथ के रूप में परिभाषित करता है। इसमें ऐसे बच्चे शामिल हैं जिनके पास घर नहीं है या जो जबरन शादी, अपराध या नशीली दवाओं के दुरुपयोग के जोखिम में हैं।
- यह अधिनियम 18-27 वर्ष की आयु के बीच के लाभार्थियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और अनुशिक्षण के साथ समाज के सक्रिय सदस्य बनने में मदद करने हेतु वित्तीय तथा संस्थागत लाभ प्रदान करता है।
- अधिनियम समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग की सुरक्षा एवं देखभाल सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- अधिनियम के तहत लाभ:
- 101 करोड़ रुपए परिव्यय के साथ मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष बनाया गया है तथा योजना की देख-रेख के लिये प्रत्येक ज़िले में एक बाल कल्याण समिति की स्थापना की जाएगी।
- इसके तहत अनाथ एवं विशेष रूप से ज़रूरतमंद बच्चे 'राज्य के बच्चे' माने जाएंगे।
- इसके तहत वित्तीय लाभ में गर्मियों एवं सर्दियों में 5,000 रुपए, प्रमुख त्योहारों हेतु 500 रुपए तथा कॉलेज में दैनिक खर्च के लिये 4,000 रुपए मासिक भत्ता शामिल है।
- संस्थागत लाभों में ट्रेन टिकट और राज्य के भीतर 10 दिनों के लिये आवास तथा ITI एवं सरकारी कॉलेजों में लाभार्थियों हेतु छात्रावास शुल्क शामिल है।
- सरकार, शादी के समय तय रकम तथा अपना घर बनाने के लिये तीन बिस्वा ज़मीन प्रदान करेगी।
- अनाथ जो अपने स्वयं के स्टार्टअप स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें उद्यमशीलता की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु एक सांकेतिक कोष प्रदान किया जाएगा।
- पीएच.डी. छात्रों को मासिक भत्ता भी मिलेगा।
- अधिनियम में उल्लिखित अन्य सुरक्षा उपाय:
- बाल देखभाल संस्थानों के पूर्व निवासियों को 21 वर्ष की आयु तक राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
- प्रत्येक बच्चे और अनाथ का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा एवं राज्य सरकार इन खातों में प्रचलित दरों के अनुसार अंशदान करेगी।
- बाल कल्याण समिति अनाथों की पहचान हेतु सर्वेक्षण करेगी एवं ज़रूरतमंद बच्चों की मांगों पर गौर करेगी।
नोट: किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार, देश में अनाथ एवं निराश्रित बच्चे "देखभाल तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे" (Children in Need of Care and Protection- CNCP) हैं। अधिनियम के निष्पादन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की है।
केंद्र सरकार की समान पहल:
- बाल संरक्षण सेवा (Child Protection Services- CPS) योजना या "मिशन वात्सल्य":
- इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया।
- CPS के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार कठिन परिस्थितियों में बच्चों का स्थितिजन्य विश्लेषण करने के लिये राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है।
- इस योजना के तहत देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों तथा कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों को बाल देखभाल संस्थानों (Child Care Institutions- CCI) में संस्थागत देखभाल प्रदान की जाती है।
- यह योजना गैर-संस्थागत देखभाल भी प्रदान करती है जिसमें गोद लेने, पालन-पोषण, देखभाल और प्रायोजन (Sponsorship) हेतु सहायता प्रदान की जाती है।