शासन व्यवस्था
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कैनबिस की खेती को वैध बनाने पर विचार
- 12 Sep 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:कैनबिस की खेती, नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (NDPS) अधिनियम, 1985, भाँग, विश्व स्वास्थ्य संगठन मेन्स के लिये:कैनबिस की खेती के फायदे और नुकसान तथा भारत में संबंधित कानून |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हिमाचल प्रदेश सरकार कैनबिस की खेती पर प्रतिबंध हटाने की किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को देखते हुए इसकी (गाँजा) खेती को वैध बनाने की संभावना पर विचार कर रही है।
- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम, 1985 राज्यों को धारा 10 (a) (iii) के तहत फाइबर, बीज या बागवानी उद्देश्यों के लिये कैनबिस की खेती के संबंध में नियम बनाने की अनुमति देता है।
कैनबिस:
- परिचय:
- WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, कैनबिस एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग कैनबिस सैटिवा पौधे की कई मनो-सक्रिय सामग्री को दर्शाने के लिये किया जाता है।
- WHO के अनुसार, कैनबिस अब तक विश्व में सबसे व्यापक रूप से खेती, तस्करी और दुरुपयोग की जाने वाली अवैध ड्रग्स है।
- कैनबिस की अधिकांश प्रजातियाँ द्विअर्थी पौधे हैं जिन्हें नर या मादा के रूप में पहचाना जा सकता है। अपरागणित मादा पौधों को हशीश कहा जाता है।
- कैनबिस में प्रमुख मनो-सक्रिय घटक डेल्टा9 टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) है।
- WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, कैनबिस एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग कैनबिस सैटिवा पौधे की कई मनो-सक्रिय सामग्री को दर्शाने के लिये किया जाता है।
- NDPS अधिनियम, 1985 में दी गई परिभाषा:
- NDPS अधिनियम के अनुसार, "कैनबिस प्लांट" को कैनबिस जीनस (Genus) के किसी पौधे के रूप में परिभाषित किया गया है।
- 'चरस' कैनबिस के पौधे से निकाला गया या अलग किया हुआ रेसिन है। NDPS अधिनियम इसमें कैनबिस के पौधे से किसी भी रूप में प्राप्त कच्चा माल या शुद्ध, पृथक रेसिन को शामिल करता है, इसमें कैनबिस के तेल या तरल हैश के रूप में केंद्रित सामग्री एवं राल भी शामिल है।
- अधिनियम 'गाँजा' को कैनबिस के पौधे के फूल या फलने वाले शीर्ष के रूप में परिभाषित करता है लेकिन इसमें बीज और पत्तियों को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है।
- यह अधिनियम कैनबिस, चरस और गाँजे के दो रूपों में से किसी भी तटस्थ सामग्री के साथ या उसके बिना या उससे तैयार किसी भी पेय के मिश्रण को अवैध बनाता है।
- विधायिका ने कैनबिस के पौधे के बीज और पत्तियों को अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया, क्योंकि पौधे की दाँतेदार पत्तियों में THC की मात्रा नगण्य होती है।
- NDPS अधिनियम के अनुसार, "कैनबिस प्लांट" को कैनबिस जीनस (Genus) के किसी पौधे के रूप में परिभाषित किया गया है।
- हिमाचल प्रदेश में कैनबिस की खेती के लाभ:
- परिचय:
- हेम्प, औद्योगिक और औषधीय अनुप्रयोगों के लिये खेती की जाने वाली कैनबिस सैटिवा का एक प्रकार है, जो वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है, हालाँकि वर्ष 1985 के NDPS अधिनियम के तहत इसे अवैध माना गया है।
- हिमाचल प्रदेश का पड़ोसी राज्य उत्तराखंड वर्ष 2017 में कैनबिस की खेती को वैध बनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया।
- गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ ज़िलों में भी इसकी नियंत्रित खेती होती है।
- हेम्प, औद्योगिक और औषधीय अनुप्रयोगों के लिये खेती की जाने वाली कैनबिस सैटिवा का एक प्रकार है, जो वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है, हालाँकि वर्ष 1985 के NDPS अधिनियम के तहत इसे अवैध माना गया है।
- वैधीकरण के लिये समर्थन:
- विविध अनुप्रयोग:
- वैधीकरण के समर्थकों का कहना है कि मनोरंजक उपयोग से परे कैनबिस के विविध अनुप्रयोग हैं। इनमें फाइटोरेमेडिएशन, फाइबर और कपड़ा निर्माण, औषधीय प्रयोजन तथा पल्प एंड पेपर उद्योग शामिल हैं।
- वैकल्पिक आय:
- हेम्प की खेती हिमाचल प्रदेश के लिये राजस्व उत्पन्न कर सकती है और स्थानीय व्यक्तियों को वैकल्पिक आय का स्रोत प्रदान कर सकती है।
- पारंपरिक और औषधीय उपयोग:
- हिमाचल प्रदेश में कैनबिस का पारंपरिक उपयोग, जैसे- रस्सी बनाना (हेम्प के रेशों से), जूता बनाना और बीज का सेवन। खेती पर प्रतिबंध ने इन स्थानीय प्रथाओं को बाधित कर किया है।
- औषधीय (दर्द निवारण, सूजन-रोधी गुण), औद्योगिक और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिये कैनबिस को वैध बनाने से इसके औषधीय गुणों का उपयोग होगा तथा राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी।
- विविध अनुप्रयोग:
- परिचय:
भारत में कैनबिस की खेती से संबंधित चिंताएँ:
- ड्रग एडिक्शन:
- हिमाचल प्रदेश में लगभग 95% ड्रग एडिक्ट्स व्यक्ति कैनबिस और इसके डेरिवेटिव का उपयोग करते हैं। आलोचकों का तर्क है कि खेती को वैध बनाने से युवा कैनबिस के उपयोग की ओर आकर्षित हो सकते हैं तथा वे आजीवन ड्रग एडिक्ट बन सकते हैं, जिससे ड्रग एडिक्ट युवाओं के सामाजिक-आर्थिक योगदान में कमी देखी जा सकती है।
- स्वास्थ्य को खतरा:
- कैनबिस के उपयोग से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिसमें संज्ञानात्मक कार्य में गिरावट, श्वसन संबंधी समस्याएँ (धूम्रपान की स्थिति में) और मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा बढ़ जाता है, विशेष रूप से आनुवंशिक प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों में। कैनबिस के बड़े पैमाने पर उपयोग के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर सबसे अधिक चिंता देखी गई है।
- मनोरोग संबंधी मुद्दे:
- कैनबिस की विशेष रूप से उच्च मात्रा या लंबे समय तक उपयोग चिंता, अवसाद और मनोविकृति सहित मनोरोग संबंधी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा को ध्यान रखे बिना इसकी खेती को वैध बनाने से समस्याएँ और बढ़ सकती हैं।
- अवैध बाज़ार:
- इसके वैधीकरण से अवैध कैनबिस बाज़ार को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है। ऐसी आशंका है कि वैधानिक खेती के साथ-साथ कैनबिस का अवैध उत्पादन और वितरण जारी रहेगा, जिससे संभावित आपराधिक गतिविधियों और कानून प्रवर्तन चुनौतियों में वृद्धि होगी।
- प्रवर्तन चुनौतियाँ:
- कैनबिस की खेती और उपयोग को विनियमित करना कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ खड़ी करता है। कानूनी सीमाएँ निर्धारित करने, आयु संबंधी प्रतिबंध लागू करने और अवैध बाज़ार में विचलन को रोकने के लिये एक मज़बूत एवं अच्छी तरह से वित्तपोषित नियामक तंत्र की आवश्यकता होती है।
नशीली दवाओं की लत से निपटने के लिये पहल:
- नार्को-समन्वय केंद्र (NCORD) का गठन वर्ष 2016 में किया गया था और "नारकोटिक्स नियंत्रण के लिये राज्यों को वित्तीय सहायता" की योजना को पुनर्जीवित किया गया था।
- ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली ने नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों और अपराधियों का एक पूरा ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया है।
- एम्स के राष्ट्रीय औषधि निर्भरता उपचार केंद्र की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रुझान को मापने के लिये राष्ट्रीय औषधि दुरुपयोग सर्वेक्षण।
- प्रोजेक्ट सनराइज़: इसे वर्ष 2016 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ते HIV प्रसार से निपटने के लिये शुरू किया गया था, विशेषकर नशीली दवाओं का इंजेक्शन लगाने वाले लोगों के मामले में।
- 'नशा मुक्त भारत' या नशा मुक्त भारत अभियान
आगे की राह
- एक व्यापक नियामक ढाँचा तैयार करना जो दुरुपयोग की रोकथाम के साथ चिकित्सा पहुँच को संतुलित करता है, इस चर्चा में एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।
- कैनबिस के औषधीय गुणों, संभावित आर्थिक लाभों और स्वास्थ्य जोखिमों सहित इसके विभिन्न पहलुओं पर व्यापक शोध करना आवश्यक है।
- एक मज़बूत नियामक ढाँचा विकसित किया जाना चाहिये जो नशीली दवाओं के दुरुपयोग, स्वास्थ्य जोखिम और आपराधिक गतिविधियों के बारे में चिंताओं का समाधान करे।
- इस ढाँचे में कैनबिस की खेती, उत्पादन और वितरण की लाइसेंसिंग और निगरानी के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल होने चाहिये। आयु प्रतिबंध, उत्पाद लेबलिंग और गुणवत्ता नियंत्रण उपाय ढाँचे का हिस्सा होने चाहिये।