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भारतीय राजव्यवस्था

हेट क्राइम

  • 30 Mar 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने फेसबुक पोस्ट के लिये एक वरिष्ठ पत्रकार के विरुद्ध शुरू की गई हेट क्राइम की कार्यवाही को रद्द कर दिया है।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि याचिकाकर्त्ता की सोशल मीडिया पोस्ट उत्पीड़न के संदर्भ में केवल सच की अभिव्यक्ति थी।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि

  • सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय मेघालय उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153(a) (घृणा), 500 (मानहानि) और 505(c) (किसी समुदाय या जाति को दूसरे के विरुद्ध अपराध करने के लिये उकसाने) के तहत कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करने के खिलाफ दायर की गई अपील के तहत लिया गया है।

 धारा 153(a): 

  • धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव के प्रतिकूल कार्य करना।
  • यह दंडनीय अपराध होगा, जिसमें आरोपी को पाँच वर्ष तक के कारावास और आर्थिक जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है।

धारा 505(c)

  • किसी भी वर्ग या समुदाय के विरुद्ध अपराध करने हेतु किसी भी वर्ग या समुदाय के लोगों को उकसाना अथवा इस संबंध में प्रयास करना।
  • यह एक दंडनीय अपराध होगा, जिसमें आरोपी को अधिकतम तीन वर्ष तक के कारावास अथवा आर्थिक जुर्माना अथवा दोनों दोनों सज़ा दी जा सकती है।

हेट क्राइम

परिचय

  • हेट क्राइम ऐसे आपराधिक कृत्यों को संदर्भित करता है जो कुछ मतभेदों, प्रमुख रूप से धार्मिक प्रथाओं और रीति-रिवाजों आदि के कारण एक व्यक्ति या सामाजिक समूह के विरुद्ध पूर्वाग्रह से प्रेरित होते हैं।
  • मौजूदा दौर में इसकी परिभाषा के तहत मॉब लिंचिंग, भेदभाव और आपत्तिजनक भाषणों के साथ-साथ अपमानजनक तथा ऐसे भाषणों को भी शामिल किया जाता है, जो एक समुदाय विशिष्ट को हिंसा के लिये उकसाते हों।
  • समग्र तौर पर हेट क्राइम को एक व्यक्ति के अधिकारों पर हमले के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो न केवल उस व्यक्ति विशिष्ट को प्रभावित करता है, बल्कि संपूर्ण सामाजिक संरचना को नुकसान पहुँचाता है, जिसके कारण इसे अन्य आपराधिक कृत्यों की तुलना में अधिक जघन्य माना जाता है।
  • ‘हेट स्पीच’ में मुख्य तौर पर जाति, नस्ल, धर्म या वर्ग आदि के आधार पर की गई टिप्पणियाँ शामिल होती हैं।

भारत में हेट क्राइम

  • भारत में हेट क्राइम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और ‘हेट स्पीच’ (अभद्र भाषा) के परिणामस्वरूप होने वाले नुकसान के बजाय एक समुदाय को व्यापक पैमाने पर होने वाले नुकसान के संदर्भ में परिभाषित किया गया है।
  • भारत में धर्म, जातीयता, संस्कृति या नस्ल पर आधारित कोई भी अभद्र भाषा अथवा टिप्पणी पूर्णतः निषिद्ध है।

‘हेट क्राइम’ के विरुद्ध भारतीय कानून

  • यद्यपि भारतीय कानूनों में कहीं भी ‘हेट क्राइम’ शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है, किंतु भारतीय संविधान और देश के अलग-अलग कानूनों में इसके विभिन्न पहलुओं की पहचान की गई है।
  • धारा 153(a), 153(b), 295(a), 298, 505(1) और 505(2) के तहत भारतीय दंड संहिता (IPC) यह घोषित करती है कि धर्म, जातीयता, संस्कृति, भाषा और क्षेत्र आदि के आधार पर अपमान और घृणा को बढ़ावा देने वाला कोई भी शब्द (लिखित अथवा मौखिक) कानून के तहत दंडनीय है।
  • कुछ अन्य कानून, जिनमें ‘हेट क्राइम’ और इसकी रोकथाम से संबंधित प्रावधान शामिल हैं

स्रोत: द हिंदू

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