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‘हमारा घर, हमारा विद्यालय’ कार्यक्रम

  • 07 Aug 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

‘हमारा घर, हमारा विद्यालय कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु, प्रज्ञाता, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

मेन्स के लिये:

‘हमारा घर, हमारा विद्यालय’ कार्यक्रम के प्रमुख घटक तथा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में प्रमुख पहलें

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh-MP) के सरकारी विद्यालयों में केवल 30% छात्र ही नियमित रूप से ‘हमारा घर, हमारा विद्यालय’  (Hamara Ghar, Humara Vidyalaya) कार्यक्रम में शामिल हो पा रहे हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • ‘हमारा घर, हमारा विद्यालय’ कार्यक्रम:
    • यह मध्य प्रदेश सरकार के ‘स्कूल शिक्षा विभाग’ (Department of School Education) द्वारा घर पर ही शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक शिक्षण कार्यक्रम है।
    • इसका उद्देश्य COVID-19 महामारी के चलते विद्यालयों के बंद होने के कारण 22 लाख छात्रों तक इस कार्यक्रम की पहुँच को सुनिश्चित करना है।.
    • कार्यक्रम के पीछे मुख्य रूप से इस अवधारणा को सुनिश्चित करना है कि छात्र घर पर नियमित रूप से अध्ययन करते हैं तथा घर पर ही अपने बड़ों द्वारा जीवन कौशल को भी सीखते हैं।
    • इसके तहत मध्य प्रदेश दूरदर्शन द्वारा निश्चित समय पर प्रारूपीय कार्यक्रम (Modular Programme) को प्रसारित किया जाता है। इसके तीन भाग हैं जो पुनर्कथन (Recap), एक नई अवधारणा का वितरण (Delivery of a New Concept) तथा अवधारणा के अभ्यास (Practice of the Concept) पर आधारित हैं।
    • व्हाट्सएप के डिजिटल लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम (Digital Learning Enhancement Program- DigiLEP) के माध्यम से वीडियो, प्रैक्टिस शीट तथा क्विज़ के रूप में अध्ययन से संबंधित विभिन्न अवधारणाओं को टीवी कार्यक्रमों के साथ समन्वित किया जाता है।

कार्यक्रम से संबंधित मुद्दे:

  • 18 जुलाई से 25 जुलाई के मध्य यह कार्यक्रम कुल 30% छात्रों तक पहुँचने में सक्षम रहा।
    • 20% छात्र टीवी के माध्यम से तथा 10% छात्र व्हाट्सएप के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
  • 30% छात्रों के परिवारों के पास अध्ययन सामग्री प्राप्त करने के लिये इंटरनेट कनेक्शन के साथ टीवी या स्मार्टफोन नहीं है।
    • जिन परिवारों में इंटरनेट कनेक्शन वाले स्मार्टफोन का विकल्प उपलब्ध हैं वहाँ  माता-पिता अक्सर स्मार्टफोन को काम के समय अपने साथ ही ले जाते हैं।
  • शेष छात्र सीखने के प्रवाह क्रम को तोड़ते हुए नियमित रूप से इस अध्ययन मॉड्यूल का लाभ उठाने में असमर्थ रहे हैं।
  • अलीराजपुर, बड़वानी एवं झाबुआ जैसे ज़िलों के 89 आदिवासी बहुल ब्लॉकों में छात्रों तक इस कार्यक्रम की पहुँच को सुनिश्चित करना स्वयं में एक बड़ा कार्य है।

सुझाव:

  • छात्रों को 'प्रज्ञाता' दिशा-निर्देशों (PRAGYATA guidelines) के साथ जोड़ते हुए टीवी एवं फोन की उपलब्धता के अनुसार विभिन्न समूहों में विभाजित किया जाना चाहिये।
  • यदि किसी परिवार के पास फोन है, तो इसका उपयोग उसके सभी बच्चों द्वारा अपनी पढ़ाई के लिये किया जाना चाहिये।
  • जिनके पास टीवी है उन्हें दूरदर्शन पर निश्चित निर्धारित समय पर प्रसारण/टेलीकास्ट को देखना होगा।

आगे की राह:

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (New National Education Policy- NEP) में ‘प्रौद्योगिकी का समान उपयोग’ (equitable use of technology) सुनिश्चित करने के लिये डिजिटल शिक्षा पर एक खंड/भाग को जोड़ा गया है। निजी संस्थान या प्राइवेट प्लेयर्स कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (Corporate Social Responsibility- CSR) के माध्यम से छात्रों के लिये ई-संसाधन की पहुँच एवं उपलब्धता को सुनिश्चित कर सकते हैं।

शिक्षा के अधिकार की परिभाषा को ऑनलाइन शिक्षा तक विस्तारित एवं बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि यह ज्ञान एवं सूचना तक लोगों के जुड़ाव तथा पहुँच के महत्व को संबोधित कर सके।

स्रोत: द हिंदू

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