ग्रीनवाॅशिंग से निपटने हेतु दिशा-निर्देश | 18 Oct 2024

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीनवाॅशिंग, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA), विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR), ग्रीनवाॅशिंग दिशा-निर्देश, COP-27

मेन्स के लिये:

उपभोक्ता संरक्षण और पर्यावरण संबंधी दावे, कॉर्पोरेट जवाबदेही और ग्रीनवाॅशिंग, वैश्विक पर्यावरण शासन, ग्रीनवाॅशिंग के समक्ष चुनौतियाँ, पर्यावरण नैतिकता और सतत् विकास

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने जनता और उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान पहुँचाने वाले भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों में किये जाने वाले गलत दावों की जानकारी (ग्रीनवाॅशिंग) पर रोक लगाने की प्रक्रिया को विनियमित करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल विपणन प्रथाओं में पारदर्शिता और उपभोक्ता विश्वास सुनिश्चित करना है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA)

  • CCPA उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA), वर्ष 2019 की धारा 10 के तहत स्थापित नियामक निकाय है, यह उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है।
    • यह अधिनियम CCPA को झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को रोकने तथा उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

ग्रीनवाॅशिंग क्या है?

  • परिचय:
    • ग्रीनवॉशिंग शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1986 में एक अमेरिकी पर्यावरणविद् तथा शोधकर्त्ता  जे वेस्टरवेल्ड द्वारा किया गया था।
    • इसका तात्पर्य किसी भी भ्रामक या गुमराह करने वाले व्यवहार से है जिसमें अतिशयोक्ति, अप्रमाणित या झूठे पर्यावरणीय दावे शामिल हों।
    • भ्रामक भाषा, छवियों या प्रतीकों का उपयोग जो पर्यावरण के लाभकारी पहलुओं पर ज़ोर देते हैं जबकि नकारात्मक पहलुओं को छिपाते हैं
      • अपवर्जन: इसमें प्रत्यक्ष अतिशयोक्ति, आडम्बर, तथा सामान्य, गैर-भ्रामक रंग और चित्र शामिल नहीं हैं।
      • पर्यावरणीय दावों से तात्पर्य वस्तुओं या सेवाओं के बारे में उनके घटकों, विनिर्माण प्रक्रियाओं, पैकेजिंग, उपयोग या निपटान से है, जो पर्यावरण के अनुकूल विशेषताओं का सुझाव देते हैं।
  • ग्रीनवाॅशिंग के उदाहरण:
    • वोक्सवैगन घोटाला: जर्मन कार निर्माता कंपनी पर अपने कथित पर्यावरण-अनुकूल डीजल वाहनों के उत्सर्जन परीक्षणों में धोखाधड़ी का आरोप लगा, जो ग्रीनवाॅशिंग का एक उदाहरण है।
    • कोका-कोला तथा तेल दिग्गज़ बी.पी. और शेल जैसी कई अन्य वैश्विक कंपनियों पर भी ग्रीनवॉशिंग का आरोप लगाया गया है।

ग्रीनवाॅशिंग दिशा-निर्देशों के मुख्य बिंदु क्या हैं? 

  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य ग्रीनवाॅशिंग से निपटना है, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनियाँ विश्वसनीय प्रमाण के बिना उत्पादों को पर्यावरण के अनुकूल या पर्यावरण से जुड़े मामलों पर किये गए दावे को सही और सार्थक बताकर गलत तरीके से प्रचारित करती हैं, ताकि उपभोक्ताओं को भ्रामक विपणन युक्तियों से बचाया जा सके।
  • प्रयोज्यता: 
    • ये दिशा-निर्देश निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं, व्यापारियों, विज्ञापन एजेंसियों और विज्ञापनदाताओं को लक्षित करते हैं तथा उनसे पर्यावरणीय दावों को प्रमाणित करने की अपेक्षा करते हैं।
    • पर्यावरण अनुकूल, हरित, सतत्, प्राकृतिक और अन्य जैसे शब्दों को विश्वसनीय साक्ष्य द्वारा समर्थित किया जाना चाहिये, तथा अस्पष्ट या भ्रामक विवरणों से बचना चाहिये। 
      • उदाहरण के लिये, 100% पर्यावरण अनुकूल या शून्य उत्सर्जन जैसे शब्दों को उत्पाद या सेवा के बारे में सटीक जानकारी के साथ जोड़ा जाना चाहिये।
    • ये दिशा-निर्देश उन विज्ञापनों या संचारों पर लागू नहीं होते जो किसी उत्पाद या सेवा से संबंधित नहीं हैं, जब तक कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी उत्पाद या सेवा का संदर्भ न देते हों।
  • सत्यापन एवं प्रकटीकरण:
    • कंपनियों को अपने पर्यावरणीय दावों का समर्थन स्वतंत्र अध्ययन, तीसरे पक्ष के प्रमाणन या विश्वसनीय वैज्ञानिक साक्ष्य से करना होगा।
    • दावों में यह स्पष्ट किया जाना चाहिये कि उत्पाद का कौन-सा भाग (जैसे, पैकेजिंग, विनिर्माण) पर्यावरण अनुकूल है तथा क्यूआर कोड, यूआरएल या स्पष्ट विज्ञापनों के माध्यम से अनुकूल।
  • भ्रामक दावों के लिये दंड: 
    • इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाली किसी भी कंपनी को उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के तहत भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार के लिये दंड का सामना करना पड़ सकता है।
    • भविष्योन्मुख दावे (जैसे, कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य) केवल तभी किये जा सकते हैं जब उनके पीछे कार्यान्वयन योग्य और पारदर्शी योजनाएँ हों।
    • विशिष्ट पर्यावरणीय दावे जैसे "खाद योग्य", "प्लास्टिक मुक्त ", "पुनर्चक्रण योग्य", आदि को वैज्ञानिक साक्ष्य या तीसरे पक्ष के सत्यापन द्वारा समर्थित तथा उपभोक्ता संदर्भ के लिये उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
  • तकनीकी शब्द: 
    •   उपभोक्ताओं की समझ को बेहतर बनाने के लिये, कंपनियों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या पर्यावरण प्रभाव आकलन जैसे तकनीकी शब्दों को उपयोगकर्त्ता के अनुकूल भाषा में समझाना आवश्यक है।
  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की भूमिका: 
    • CCPA इन दिशा-निर्देशों के प्रवर्तन की देखरेख करेगा तथा अनुपालन सुनिश्चित करने, उपभोक्ताओं को होने वाले नुकसान को रोकने तथा सच्चे पर्यावरणीय विज्ञापन को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न हितधारकों के साथ कार्य करेगा।

भारत में ग्रीनवाॅशिंग को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?

  • पर्यावरण जागरूकता: पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में भारतीय उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती जागरूकता के कारण पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ गई है। 
    • कम्पनियाँ इस मांग को पूरा करने के लिये बढ़ा-चढ़ाकर दावे कर सकती हैं, जिससे उपभोक्ता हरित उत्पाद हेतु अधिक भुगतान करने को तैयार हो सकते हैं।
  • नियामक दबाव: कंपनियों पर सरकारी नियमों, जैसे  विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) कार्यक्रम, के कारण पर्यावरण के प्रति जागरूक होने का दबाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी धोखाधड़ी वाले दावे देखने को मिलते हैं।
  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य 2% CSR व्यय की आवश्यकता को पूरा करने के लिये कंपनियों द्वारा अपने पर्यावरणीय प्रयासों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना, ग्रीनवाॅशिंग को बढ़ावा देता है।
  • मीडिया और NGOs की सक्रियता: मीडिया और NGOs ग्रीनवाॅशिंग को उजागर करते हैं, तथा कंपनियों को अधिक पारदर्शिता की ओर प्रेरित करते हैं। 
    • परीक्षण से भ्रामक पर्यावरणीय दावे देखने कू मिलते हैं, जैसे कि भ्रामक जैव-निम्नीकरणीयता लेबल।
  • उपभोक्ता संशय: लगातार ग्रीनवाॅशिंग के कारण, भारतीय उपभोक्ता स्थिरता के दावों पर अविश्वास करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप तीसरे पक्ष के प्रमाणन की मांग बढ़ जाती है।

ग्रीनवाॅशिंग से निपटने के लिये वैश्विक पहल

  • UNFCCC COP27 घोषणा- पत्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने व्यवसायों से अपनी प्रथाओं को बदलने का आग्रह किया और ग्रीनवाशिंग के प्रति शून्य सहिष्णुता की घोषणा की।
  • यूरोपीय संघ के ग्रीन बॉण्ड स्टैण्डर्ड: अक्तूबर 2023 में, यूरोपीय संघ ने पारदर्शिता को बढ़ावा देते हुए ग्रीनवाॅशिंग से निपटने हेतु नए मानकों को मंजूरी प्रदान की।
  • यूरोपीय ग्रीन बॉण्ड लेबल: इसके लिये आवश्यक है कि 85% धनराशि को जलवायु तटस्थता लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करने वाली स्थायी गतिविधियों की ओर निर्देशित किया जाए।

ग्रीनवाॅशिंग से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?

  • जलवायु लक्ष्यों का कमज़ोर होना: भ्रामक दावे वास्तविक पर्यावरणीय प्रयासों की विश्वसनीयता को कमज़ोर करते हैं।
  • अनुचित मान्यता: ग्रीनवाशिंग में संलग्न संगठनों को उनके अनुचित कार्यों के लिये अत्यधिक मुआवज़ा देना पड़ सकता है।
  • बाज़ार विकृति: ग्रीनवाॅशिंग से बाजार में असंतुलन उत्पन्न होता है, जिससे वास्तविक पर्यावरणीय मानकों वाली कंपनियों को नुकसान होता है।
  • विनियमनों का अभाव: पर्यावरणीय दावों के लिये अपर्याप्त मानकों के कारण ग्रीनवाॅशिंग को अनियंत्रित रूप से जारी रहने की अनुमति मिलती है।
  • कार्बन क्रेडिट: ग्रीनवाॅशिंग कार्बन क्रेडिट प्रणालियों की विश्वसनीयता को (विशेष रूप से अनियमित बाज़ारों को) प्रभावित करता है।

आगे की राह:

  • जवाबदेहिता: कंपनियों को अपने पर्यावरणीय कार्यों के लिये जवाबदेह होना चाहिये तथा अपनी नीतियों, प्रथाओं और चुनौतियों का खुलासा करना चाहिये।
  • हरित पहल का समर्थन करना: ग्राहकों को उन कंपनियों का समर्थन करना चाहिए जिनका सामाजिक उत्तरदायित्त्व और पर्यावरण प्रदर्शन का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा हो।
  • व्यापक विनियमन: जवाबदेहिता और पारदर्शिता में सुधार हेतु पर्यावरणीय दावों के लिये व्यापक नियम और दिशा-निर्देश निर्धारित करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न 

प्रश्न: ग्रीनवाॅशिंग क्या है? भारत में ग्रीनवाॅशिंग को कम करने के उपाय सुझाएँ।

अधिक पढ़ें: ग्रीनहशिंग और इसके निहितार्थ। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में कौन-सा एक ‘‘ग्रीनवाशिंग’’ शब्द का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022)

(a) मिथ्या रूप से यह प्रभाव व्यक्त करना कि कंपनी के उत्पाद पारिस्थितिक-अनुकूली (ईको-फ्रेंडली) और पर्यावरणीय रूप से उपयुक्त हैं
(b) किसी देश के वार्षिक वित्तीय विवरणों में पारिस्थितिक/पर्यावरणीय लागतों को शामिल नहीं करना
(c) आधारिक संरचना विकसित करते समय अनर्थकारी पारिस्थितिक दुष्परिणामों की उपेक्षा करना
(d) किसी सरकारी परियोजना/कार्यक्रम में पर्यावरणीय लागतों के लिए अनिवार्य उपबंध करना

उत्तर: (a)