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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

GSLV-F10 की विफलता: इसरो का ‘EOS-03’ उपग्रह मिशन

  • 13 Aug 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, ‘EOS-03’ उपग्रह मिशन, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह

मेन्स के लिये

‘EOS-03’ उपग्रह मिशन की विफलता के कारण और इसके प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) को एक महत्त्वपूर्ण ‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह’ (EOS-03) के लॉन्च के दौरान नुकसान का सामना करना पड़ा जब इसे ले जाने वाले GSLV रॉकेट में लिफ्ट-ऑफ के दौरान लगभग पाँच मिनट में ही कुछ तकनीकी खराबी आ गई।

पृथ्वी अवलोकन उपग्रह

  • पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, रिमोट सेंसिंग तकनीक से लैस उपग्रह होते हैं, जो कि पृथ्वी की भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रणालियों के बारे में जानकारी संग्रह करते हैं।
  • कई पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों को ‘सन-सिंक्रोनस’ ऑर्बिट में तैनात किया जाता है।
  • इसरो द्वारा लॉन्च किये गए अन्य पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों में रिसोर्ससैट-2, 2A, कार्टोसैट-1, 2, 2A, 2B, रिसैट-1 और 2, ओशनसैट-2, मेघा-ट्रॉपिक्स, सरल और स्कैटसैट-1, इन्सैट-3DR, 3D शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

‘EOS-03’ के विषय में:

  • यह उपग्रह प्रतिदिन पूरे देश की चार से पाँच बार इमेजिंग करने में सक्षम था।
  • इसे एक GSLV रॉकेट (GSLV-F10) के माध्यम से लॉन्च किया जा रहा था, जिसमें एक नया पेलोड कैरियर शामिल है, जिसे वायुगतिकीय ड्रैग को कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है और इस प्रकार यह अधिक पेलोड ले जाता है।
  • यह रॉकेट उपग्रह को ‘जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट’ तक ले जाने वाला था, जहाँ से उपग्रह की अपनी प्रणोदन प्रणाली इसे ‘‘जियोस्टेशनरी ऑर्बिट’ में निर्देशित कर देती, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 36,000 किलोमीटर दूर है।
    • ‘जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट’ एक गोलाकार कक्षा है, जो भूमध्य रेखा से लगभग 35,900 किमी. ऊपर स्थित है।
    • इस ऑर्बिट में कोई वस्तु घूर्णन करती हुई पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर दिखाई देती है।

महत्त्व

  • ‘EOS-03’ पृथ्वी-अवलोकन उपग्रहों की नई जनरेशन का हिस्सा है और देश के बड़े हिस्से की लगभग वास्तविक समय की छवियाँ प्रदान करने में सक्षम था।
    • इन छवियों का उपयोग बाढ़ एवं चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं, जल निकायों, फसलों, वनस्पति और वन आवरण की निगरानी के लिये किया जा सकता है।
  • EOS-03 को EOS-02 से पहले भेजा जाना था, जो कि कोविड-19 महामारी के कारण विलंबित हो गया है।
    • EOS-02 को इस वर्ष मार्च-अप्रैल के आसपास लॉन्च किया जाना था, लेकिन अब इसे सितंबर-अक्तूबर के लिये पुनर्निर्धारित किया गया है।
    • EOS-02 को ISRO के नए SSLV (स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाना था।
    • SSLVs इसरो की वर्तमान रॉकेट रेंज का विस्तार है, जिसमें  और GSLVs शामिल हैं तथा यह छोटे वाणिज्यिक उपग्रहों के प्रक्षेपण की बढ़ती मांग को पूरा करता है।

EOS-01

  • नवंबर 2020 में ISRO ने EOS-01 लॉन्च किया था, जो नए पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की शृंखला में पहला उपग्रह है।
    • इसे भारत की तीसरी पीढ़ी के प्रक्षेपण यान- ‘पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’ (PSLV) द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • यह कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन सहायता में अनुप्रयोगों के लिये अभिप्रेत है।

जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)

  • GSLV एक अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान है, जिसे इसरो द्वारा डिज़ाइन, विकसित और संचालित किया जाता है ताकि उपग्रहों एवं अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में लॉन्च किया जा सके।
    • जियोसिंक्रोनस उपग्रहों को उसी दिशा में कक्षा में प्रक्षेपित किया जाता है जिस दिशा में पृथ्वी घूम रही है और उनका झुकाव किसी भी ओर हो सकता है।
  • GSLV में ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान’ (PSLV) की तुलना में कक्षा में भारी पेलोड l;ए जाने की क्षमता है।
  • यह स्ट्रैप-ऑन मोटर्स के साथ तीन चरणों वाला लॉन्चर है।

GSLV-F10 की विफलता

कारण:

  • तरल ईंधन स्ट्रैप-ऑन बूस्टर रॉकेट को ज़मीन से ऊपर उठाने के लिये आवश्यक अतिरिक्त बल प्रदान करके उपग्रह का प्रक्षेपण शुरू करते हैं।
  • फिर पहले चरण में ठोस ईंधन का अनुसरण करके दूसरे चरण में तरल ईंधन चरण का प्रयोग किया जाता है। ये दो चरण अपेक्षित रूप से संचालित होते हैं।
  • उसके बाद रॉकेट का महत्त्वपूर्ण तीसरा चरण था, जो स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS) का उपयोग करता है, यह प्रज्वलित होने में विफल रहा।
    • क्रायोजेनिक चरण "अत्यंत कम तापमान पर प्रणोदकों के उपयोग और संबंधित थर्मल और संरचनात्मक समस्याओं के कारण ठोस या पृथ्वी-भंडारण योग्य तरल प्रणोदक चरणों की तुलना में तकनीकी रूप से एक बहुत ही जटिल प्रणाली है"।

भविष्य के मिशनों पर प्रभाव:

  • यह दूसरा प्रक्षेपण था जिसे इसरो ने वर्ष 2021 के लिये प्रतीक्षा में रखा था, जिसे मूल रूप से मार्च 2020 तक निर्धारित होने के बाद कई बार देरी का सामना करना पड़ा था।
    • इसरो ने फरवरी में एक मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जो ब्राज़ील का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह अमेज़ोनिया-1 और 18 सह-यात्री उपग्रह थे।
  • इस विफलता ने वर्ष 2017 से इसरो द्वारा लगातार 16 सफल प्रक्षेपणों की शृंखला को तोड़ा है।
  • वर्ष 2020-21 के लिये उपग्रहों की योजना बनाई गई थी, जिसमें OCEANSAT-3, GISAT-2, RISAT-2A आदि शामिल हैं, इन मिशनों की अनुमानित लागत 701.5 करोड़ रुपए है।
  • गगनयान और चंद्रयान-3 जैसे मिशन GSLV Mk-III पर लॉन्च किये जाएंगे, जीएसएलवी रॉकेट का एक अधिक उन्नत संस्करण है जिसे अंतरिक्ष में अधिक भारी पेलोड ले जाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • यह निसार मिशन के लिये चिंता का एक बड़ा कारण है, जो संयुक्त पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह के लिये नासा और इसरो के बीच अपनी तरह का पहला सहयोग है।
    • NISAR जो कि 12 दिनों के चक्र में पूरी पृथ्वी की निगरानी के लिये दो सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) का उपयोग करेगा, अब तक का सबसे महत्वपूर्ण मिशन है जिसमें GSLV Mk-II रॉकेट शामिल है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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