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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

निसार : नासा और इसरो का संयुक्त पृथ्वी अवलोकन मिशन

  • 31 Mar 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) संयुक्त रूप से NISAR नामक SUV के आकार के उपग्रह को विकसित करने हेतु कार्य कर रहे हैं। यह उपग्रह एक टेनिस कोर्ट के लगभग आधे क्षेत्र में 0.4 इंच से भी छोटी किसी वस्तु की गतिविधि का अवलोकन करने में सक्षम होगा।

  • इस उपग्रह को वर्ष 2022 में श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक ध्रुवीय कक्षा में लॉन्च किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु:

  • निसार: यह नासा-इसरो-एसएआर (NASA-ISRO-SAR) का संक्षिप्त नाम है। 
    • SAR, सिंथेटिक एपर्चर रडार (Synthetic Aperture Radar) को संदर्भित करता है जिसका उपयोग नासा द्वारा पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तनों को मापने में किया जाएगा।  
      • यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्राप्त करने वाली एक तकनीक को संदर्भित करता है। अपनी सटीकता के कारण यह बादलों और अंधेरे को भी भेदने में सक्षम है, जिसका अर्थ है कि यह किसी भी मौसम में दिन और रात, किसी भी समय डेटा एकत्र करने में सक्षम है।
  • कार्य: यह अपने तीन-वर्षीय मिशन के दौरान हर 12 दिनों में पृथ्वी की सतह का चक्कर लगाकर पृथ्वी की सतह, बर्फ की चादर, समुद्री बर्फ के दृश्यों का चित्रण करेगा।  

नासा की भूमिका: 

  • नासा, उपग्रह में प्रयोग किये जाने हेतु एक रडार, विज्ञान डेटा, जीपीएस रिसीवर और एक पेलोड डेटा सब-सिस्टम के लिये उच्च दर संचार उपतंत्र प्रदान करेगा।
  • निसार, नासा द्वारा लॉन्च किये गए अब तक के सबसे बड़े रिफ्लेक्टर एंटीना (Reflector Antenna) से लैस होगा।

इसरो की भूमिका: 

  • इसरो द्वारा स्पेसक्रॉफ्ट बस (अंतरिक्षयान बस), दूसरे प्रकार के रडार (जिसे S- बैंड रडार कहा जाता है), लॉन्च वाहन और संबद्ध लॉन्च सेवाएंँ उपलब्ध कराई जाएंगी।

प्राथमिक लक्ष्य:

  • पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों की निगरानी करना।  
  • संभावित ज्वालामुखी विस्फोटक के बारे में चेतावनी देना।
  • भूजल आपूर्ति की निगरानी में मदद करना।
  • बर्फ की चादरों के पिघलने की दर की निगरानी करना। 

अपेक्षित लाभ: 

  • निसार से प्राप्त डेटा वैश्विक स्तर पर लोगों को प्राकृतिक संसाधनों और खतरों का बेहतर प्रबंधन करने में मदद कर सकते हैं, साथ ही वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उनका बेहतर ढंग से समाधान करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
    • स्थानीय स्तर पर हुए परिवर्तन को दर्शाने हेतु निसार द्वारा लिये गए चित्र पर्याप्त होंगे, साथ ही ये व्यापक स्तर पर क्षेत्रीय रुझानों को मापने में भी सहायक  होंगे। 
  • आने वाले वर्षों में इस मिशन से प्राप्त डेटा क्रस्ट के बारे में तथा भूमि की सतह पर होने वाले परिवर्तन के परिणामों की बेहतर समझ विकसित करने में सहायक होंगे।
  • यह हमारे ग्रह की कठोर बाहरी परत जिसे क्रस्ट कहा जाता है, के बारे में हमारी समझ को और बेहतर रूप से विकसित करने में सहायक होगा।

एस-बैंड रडार:

  • एस बैंड रडार 8-15 सेमी. की तरंगदैर्ध्य और 2-4 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करते हैं।
  • तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति के कारण एस-बैंड रडार को आसानी से नहीं देखा जा सकता है जो इसे निकट और दूर के मौसम के अवलोकन हेतु उपयोगी बनाता है। 
  • एस-बैंड की खामी यह है कि इसमें विद्युत आपूर्ति हेतु एक बड़ी एंटीना डिश और मोटर की आवश्यकता होती है। एस-बैंड डिश का आकार 25 फीट से अधिक होना असामान्य बात नहीं है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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