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सामाजिक न्याय

ग्रीनिंग द एजुकेशन सेक्टर

  • 19 Jun 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूनेस्को, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, ग्रीनिंग एजुकेशन पार्टनरशिप, सतत् विकास के लिये शिक्षा, व्यापक सुरक्षित स्कूल फ्रेमवर्क (CSSF) 2022-2030, शिक्षा क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और लचीलेपन के लिये वैश्विक गठबंधन, ग्रीन बिल्डिंग मटेरियल।

मेन्स के लिये:

ग्रीनिंग एजुकेशन पार्टनरशिप, भारत में एजुकेशन सेक्टर को ग्रीन बनाने में प्रमुख चुनौतियाँ। 

स्रोत: यूनेस्को 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में यूनेस्को ने ग्रीनिंग/हरित एजुकेशन पार्टनरशिप के तहत दो नवीन टूल, ग्रीनिंग करिकुलम गाइडेंस (GCG) और ग्रीन स्कूल क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (GSQS) लॉन्च किये।

ग्रीनिंग एजुकेशन के लिये यूनेस्को के नवीन टूल क्या हैं?

  • ग्रीनिंग करिकुलम गाइडेंस (GCG):
    • उद्देश्य: जलवायु शिक्षा की एक सामान्य समझ स्थापित करना।
    • क्षेत्र: यह रेखांकित करना कि देश किस प्रकार पर्यावरणीय विषयों को पाठ्यक्रम में एकीकृत कर सकते हैं।
    • शिक्षण परिणाम: 5 वर्ष से 18+ आयु समूहों के लिये विस्तृत शिक्षण परिणाम प्रदान करता है।
    • शिक्षण विधियाँ: सक्रिय शिक्षण और व्यावहारिक गतिविधियों पर ज़ोर देती हैं।
  • ग्रीन स्कूल क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (GSQS):
    • उद्देश्य: यह एक क्रिया-उन्मुख दृष्टिकोण के साथ "ग्रीन स्कूल" बनाने के लिये न्यूनतम आवश्यकताएँ निर्धारित करता है।
    • गवर्नेंस: यह स्थायी प्रबंधन की देखरेख हेतु छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों सहित ग्रीन गवर्नेंस समितियों की स्थापना की सिफारिश करता है।
    • शिक्षक प्रशिक्षण: पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर शिक्षकों के लिये व्यापक प्रशिक्षण की मांग करता है।
    • रिसोर्स ऑडिट: यह स्कूलों के भीतर ऊर्जा, जल, भोजन और अपशिष्ट के ऑडिट आयोजित करने का समर्थन करता है।
    • सामुदायिक जुड़ाव: यह स्थानीय स्तर पर पर्यावरण संबंधी मुद्दों को संबोधित करने में छात्रों की मदद करने के लिये व्यापक समुदाय के साथ मज़बूत संबंधों को प्रोत्साहित करता है।

ग्रीनिंग/हरित एजुकेशन पार्टनरशिप क्या है? 

  • परिचय: ग्रीनिंग एजुकेशन पार्टनरशिप एक वैश्विक पहल है, जिसमें 80 सदस्य देश शामिल हैं, जो शिक्षा की महत्त्वपूर्ण भूमिका का उपयोग करके जलवायु संकट से निपटने के लिये देशों का समर्थन करने हेतु एक संपूर्ण-प्रणालीगत दृष्टिकोण अपनाते हैं।
    • इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक कम-से-कम 50% स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को ग्रीन स्कूलों में परिवर्तित करना है, ताकि शिक्षार्थियों को जलवायु के लिये तैयार किया जा सके तथा स्थिरता पहलों में सक्रिय भागीदार बनाया जा सके।
      • इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक 90% देशों में ग्रीन नेशनल करिकुलम प्राप्त करना भी है।
  • स्तंभ: इसे सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal- SDG) लक्ष्य 4.7 के साथ संरेखित करते हुए परिवर्तनकारी शिक्षा के चार प्रमुख स्तंभों के आस-पास संरचित किया गया है:
    • ग्रीनिंग स्कूल
    • ग्रीनिंग करिकुलम
    • ग्रीनिंग टीचर ट्रेनिंग एंड एजुकेशन सिस्टम कैपेसिटी
    • ग्रीनिंग कम्यूनिटी
  • आवश्यकता: 
    • हाल ही में यूनेस्को द्वारा किये गए अध्ययन में सर्वेक्षण किये गए 70% युवाओं ने कहा कि स्कूल में जो उन्होंने सीखा था, उसके आधार पर जलवायु परिवर्तन के बारे में उनकी समझ सीमित है।
    • यूनेस्को द्वारा 100 देशों के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढाँचे में जलवायु परिवर्तन को किस प्रकार एकीकृत किया जाए, इस पर किये गए शोध से कई चुनौतियाँ सामने आईं, जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है।
      • जाँचे गए पाठ्यक्रमों में से लगभग 47% में जलवायु परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं थी।
  • ग्रीन स्कूल: यूनेस्को के अनुसार, ग्रीन स्कूल एक शिक्षण संस्थान है जो सतत् विकास के लिये शिक्षा (Education for Sustainable Development- ESD) के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसका विशेष ध्यान जलवायु परिवर्तन से निपटने पर है।
    • हरित विद्यालय के सिद्धांत:
      • समग्र शिक्षा: शिक्षार्थियों में आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता, आत्म-जागरूकता, सहानुभूति और नैतिक मूल्यों का पोषण करके समग्र विकास को प्राथमिकता देना।
        • इसमें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिये व्यक्तिगत और अनुभवात्मक शिक्षण, अंतःविषयक दृष्टिकोण तथा सामुदायिक सहभागिता को शामिल किया गया है।
      • सस्टेनेबिलिटी अभ्यास: ग्रीन स्कूल ऊर्जा, जल उपयोग, अपशिष्ट प्रबंधन, कैंटीन और भवन तथा स्कूल प्रांगण डिज़ाइन जैसे क्षेत्रों में सतत् अभ्यासों को लागू करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा पर्यावरणीय प्रभाव में कमी आती है एवं विद्यार्थियों व कर्मचारियों का स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित होता है।
      • उत्तरदायित्व की भावना: शिक्षार्थियों में आलोचनात्मक सोच, समस्या समाधान कौशल और वैश्विक नागरिकता विकसित करने के लिये सतत् विकास के लिये शिक्षा (ESD) को पाठ्यक्रम में एकीकृत करना।
    • व्यापक स्कूल सुरक्षा ढाँचे के साथ संरेखण (CSSF): ग्रीन स्कूल गुणवत्ता मानक शैक्षिक सेटिंग्स के भीतर सुरक्षा, लचीलापन और स्थिरता सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिये CSSF के साथ संरेखित करता है।
      • शिक्षा क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और लचीलेपन के लिये वैश्विक गठबंधन (Global Alliance for Disaster Risk Reduction and Resilience in the Education Sector- GADRRRES) ने 12 सितंबर, 2022 को व्यापक सुरक्षित स्कूल फ्रेमवर्क (Comprehensive Safe School Framework- CSSF) 2022-2030 लॉन्च किया।

नोट: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सभी स्तरों पर पर्यावरण शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग बनाने के महत्त्व को रेखांकित करती है।

भारत में एजुकेशन सेक्टर की ग्रीनिंग से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:  

  • व्यापक स्थिरता नीतियों का अभाव: शिक्षा में स्थिरता को बढ़ावा देने हेतु की गई प्रमुख पहलों के बावजूद भारत में एक व्यापक राष्ट्रीय नीतिगत ढाँचे (जो शिक्षा के सभी स्तरों पर पर्यावरणीय स्थिरता सिद्धांतों के एकीकरण को अनिवार्य और निर्देशित करता हो) का अभाव है।
  • बुनियादी ढाँचे का अभाव: भारत में कई शैक्षणिक संस्थानों (विशेष रूप से ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में) में बुनियादी ढाँचे का अभाव है, जिससे धारणीय प्रथाओं को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • पाठ्यक्रम में एकीकरण का अभाव: कई भारतीय स्कूलों एवं कॉलेजों में पर्यावरण अध्ययन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के बावजूद मुख्यधारा के विषयों में व्यापक स्थिरता तथा एकीकरण का अभाव देखने को मिलता है।
  • शिक्षण एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण का अभाव: शिक्षा के प्रभावी एकीकरण हेतु शिक्षकों को पर्यावरणीय स्थिरता संबंधी सिद्धांतों, शिक्षण विधियों एवं व्यावहारिक अनुप्रयोगों में अच्छी तरह से पारंगत होना चाहिये।
    • शिक्षण कार्यक्रमों में शिक्षकों को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल से लैस करने हेतु व्यापक प्रशिक्षण मॉड्यूल या संसाधनों का अभाव देखने को मिलता है।
  • हरित भवन निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी की सीमित उपलब्धता: भारत का विनिर्माण उद्योग अभी भी धारणीय भवन निर्माण सामग्री तथा प्रौद्योगिकी उपयोग के संदर्भ में संक्रमण की प्रक्रिया में है।
    • हरित भवन निर्माण सामग्री, नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों तथा जल-कुशल उपकरणों की सीमित उपलब्धता से शैक्षणिक संस्थानों में (विशेष रूप से दूरदराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों में) धारणीय प्रथाओं को अपनाने में बाधा उत्पन्न होती है। 

आगे की राह

  • पर्यावरण जागरूकता संबंधी अभियान: सोशल मीडिया एवं छात्र नेताओं को शामिल करके एजुकेशन सेक्टर की ग्रीनिंग के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरण अनुकूल व्यवहार को प्रेरित करने हेतु लोगों को जागरूक करना चाहिये।
  • एजुकेशन सेक्टर की ग्रीनिंग से संबंधित कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिये ताकि वे शिक्षण विधियों में स्थिरता संबंधी अवधारणाओं को एकीकृत करने के लिये प्रभावी शैक्षणिक दृष्टिकोणों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा मिल सके।
    • शिक्षा को अधिक आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने हेतु परियोजना-आधारित शिक्षण, विमर्श-आधारित शिक्षण तथा अनुभवात्मक शिक्षण जैसी नवीन तकनीकों पर बल देना चाहिये।
  • स्थायित्व-संबंधी खरीद नीति: स्कूलों को ऊर्जा-कुशल वस्तुओं को अपनाने के क्रम में छात्रों को पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं की खरीद हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है, जैसे कि पुनर्नवीनीकृत कागज़ से बनी नोटबुक।
    • यह पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है, छात्रों को ज़िम्मेदारीपूर्ण विकल्पों के बारे में जागरूकता प्रदान करता है और साथ ही इससे दीर्घकाल में लागत बचत भी सुनिश्चित हो सकती है।
    • हालाँकि सफल कार्यान्वयन के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्तिकर्त्ताओं की उपलब्धता जैसी चुनौतियों का समाधान किया जाना आवश्यक है।
  • पर्यावरण उद्यमिता प्रतियोगिताएँ: पर्यावरण उद्यमिता प्रतियोगिताएँ आयोजित करना जहाँ छात्र स्थानीय पर्यावरणीय संबंधी चुनौतियों के लिये नवीन समाधान विकसित करते हैं।
    • यह रचनात्मकता, समस्या-समाधान कौशल तथा हरित नवाचार की भावना को बढ़ावा देता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

विश्लेषण करें कि स्थायी सतत् विकास को आगे बढ़ाने के लिये शिक्षा क्षेत्र की ग्रीनिंग करना कितना महत्त्वपूर्ण है। भारत में इसे सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत में डिजिटल पहल किस प्रकार से देश में शिक्षा व्यवस्था के संचालन में योगदान किया है? विस्तृत उत्तर दीजिये। (2020)

प्रश्न. जनसंख्या से जुड़ी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिये तथा भारत में उन्हें प्राप्त करने के उपायों का विस्तार से उल्लेख कीजिये। (2021)

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