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जैव विविधता और पर्यावरण

निर्माण क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता

  • 01 Apr 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान, इको-निवास संहिता, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE), ऊर्जा संरक्षण बिल्डिंग कोड, ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2022

मेन्स के लिये:

निर्माण क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता, संरक्षण, सरकारी नीतियाँ एवं हस्तक्षेप

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत के निर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व उछाल ने आर्थिक विकास के नए अवसर सृजित किये हैं और साथ ही जीवन स्तर में सुधार भी किये हैं, लेकिन इससे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी उत्त्पन्न हुई हैं। इस परिदृश्य के बीच आवासीय भवनों में ऊर्जा अक्षमता का समाधान करना भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

भारत के निर्माण क्षेत्र में ऊर्जा अक्षमता का समाधान करना महत्त्वपूर्ण क्यों है?

  • आर्थिक विकास, शहरीकरण, ऊष्मा द्वीपों तथा जलवायु परिवर्तन के कारण भारत की बढ़ती ऊर्जा एवं कूलिंग डिमांड को देखते हुए, आवासीय भवनों में ऊर्जा दक्षता का समाधान करना आवश्यक है।
  • भारत में निर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व उछाल देखा जा रहा है, जिसमें वार्षिक स्तर पर 300,000 से अधिक आवास इकाइयाँ बनाई जा रही हैं। यह वृद्धि आर्थिक अवसर एवं बेहतर जीवन स्तर का निर्माण करती है किंतु साथ-ही-साथ बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी उत्पन्न करती है।
    • भारत के विद्युत उपयोग में भवन निर्माण क्षेत्र का हिस्सा 33% से अधिक है, जो पर्यावरणीय क्षरण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है।
  • इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान में वर्ष 2017 से वर्ष 2037 के बीच कूलिंग डिमांड में आठ गुना वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें सक्रिय कूलिंग डिमांड को कम करते हुए थर्मल कम्फर्ट की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
  • ऊर्जा दक्षता में सुधार ऊर्जा की खपत साथ संबद्ध ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
    • अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई, ऊर्जा-कुशल इमारतें बेहतर इनडोर वायु गुणवत्ता, थर्मल कम्फर्ट एवं प्राकृतिक प्रकाश प्रदान करती हैं, जो इसमें रहने वालों के लिये लाभकारी होती है।

नोट:

  • वैश्विक स्तर पर भवन क्षेत्र ऊर्जा-संबंधी CO2 उत्सर्जन में लगभग 37% योगदान करता है।
  • वैश्विक ऊर्जा मांग का 34% से अधिक हिस्सा घरों एवं व्यवसायों के निर्माण, हीटिंग, कूलिंग तथा प्रकाश व्यवस्था के लिये ज़िम्मेदार है।
  • जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) का सुझाव है कि इमारतों के निर्माण में में दक्षता नीतियों के प्रयोग से विकसित देश GHG उत्सर्जन में 90% एवं विकासशील देश 80% तक की कटौती कर सकते हैं।
    • ऐसी नीतियों के कार्यान्वयन से विकासशील देशों में 2.8 बिलियन लोगों को ऊर्जा गरीबी से बाहर निकालने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

निर्माण क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता के संबंध में भारत की पहल क्या हैं?

  • इको-निवास संहिता (ENS):
    • ECO निवास संहिता दिसंबर 2018 में विद्युत मंत्रालय द्वारा आवासीय भवनों के लिये एक ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ECBC-R) लॉन्च किया गया है।
      • संहिता का उद्देश्य निवासियों और पर्यावरण के लाभ के लिये घरों, अपार्टमेंटों तथा टाउनशिप के डिज़ाइन एवं निर्माण में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना है।
    • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में नीतियों तथा कार्यक्रमों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार वैधानिक निकाय है।
    • ENS ने रेजिडेंशियल एनवलप ट्रांसमिटेंस वैल्यू (RETV) पेश किया, जो एक इमारत के लिफाफे (दीवारों, छत और खिड़कियों) के माध्यम से गर्मी हस्तांतरण को मापने वाला एक मीट्रिक है।
      • कम RETV मूल्यों से इनडोर वातावरण ठंडा हो जाता है और शीतलन के लिये ऊर्जा का उपयोग कम हो जाता है।
    • ENS इष्टतम दक्षता, बेहतर रहने वाले आराम और कम उपयोगिता व्यय के लिये 15W/m² या उससे कम का RETV बनाए रखने की सिफारिश करता है।
  • ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ECBC):
    • वर्ष 2007 में ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) द्वारा शुरू किया गया और वर्ष 2017 में अद्यतन किया गया ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ECBC), वाणिज्यिक भवनों के लिये न्यूनतम ऊर्जा मानक निर्धारित करता है।
      • इसका लक्ष्य अनुपालन वाली इमारतों में 25 से 50% की ऊर्जा बचत हासिल करना है और यह महत्त्वपूर्ण कनेक्टेड लोड वाले वाणिज्यिक भवनों पर लागू होता है।
    • ECBC मुख्य रूप से भवन डिज़ाइन के छह घटकों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें लिफाफा, प्रकाश व्यवस्था, हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (HVAC) सिस्टम एवं विद्युत ऊर्जा सिस्टम शामिल हैं।
    • अद्यतन 2017 संहिता नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, अनुपालन में आसानी, निष्क्रिय भवन डिज़ाइन रणनीतियों को शामिल करने और डिज़ाइनरों के लिये लचीलेपन को प्राथमिकता देता है।
      • यह अनुपालन स्तरों के आधार पर ECBC से लेकर सुपर ECBC तक की दक्षता के टैग प्रदान करता है।
  • ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022:
    • ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 एम्बेडेड कार्बन, शुद्ध शून्य उत्सर्जन, सामग्री और संसाधन दक्षता, स्वच्छ ऊर्जा की तैनाती एवं परिपत्रता से संबंधित उपायों को शामिल करके ECBC को ऊर्जा संरक्षण व स्थिरता निर्माण कोड में परिवर्तित करने का प्रावधान करता है।
    • ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 आवासीय भवन ऊर्जा संहिता, ECO निवास संहिता को भी अनिवार्य बनाता है।
  • NEERMAN पुरस्कार:
  • भवनों के लिये BEE स्टार रेटिंग:
    • भवनों के लिये BEE स्टार रेटिंग एक अनूठा उपकरण है जिसे वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा दक्षता की स्थिति का आकलन करने के लिये विकसित किया गया है।
      • यह रेटिंग प्रणाली 100 किलोवाट अथवा इससे अधिक के कनेक्टेड लोड वाले भवनों पर लागू होती है।
      • मूल्यांकन की इस प्रणाली के तहत, भवन में ऊर्जा के उपयोग के आधार पर 1-5 सितारे प्रदान किये जाते हैं।
    • यह रेटिंग विभिन्न मानदंडों पर आधारित है जिसमें निर्मित क्षेत्र, वातानुकूलित और गैर-वातानुकूलित क्षेत्र, भवन का प्रकार, एक दिन में भवन के संचालन की अवधि, जलवायु क्षेत्र तथा सुविधा से संबंधित अन्य विविध जानकारी शामिल है।
  • ग्रीन रेटिंग फॉर इंटिग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट (GRIHA):
    • GRIHA ग्रीन बिल्डिंग के लिये एक राष्ट्रीय रेटिंग प्रणाली है जिसका प्रयोग नए भवनों के डिज़ाइन और मूल्यांकन के दौरान किया जाता है। इस उपकरण को नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अपनाया गया है।
  • भारतीय हरित भवन परिषद (IGBC):
    • IGBC, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का हिस्सा है जिसका गठन वर्ष 2001 में किया गया था। इस परिषद का विज़न "सभी के लिये सतत् रूप से निर्मित वातावरण सुनिश्चित करना और भारत को वर्ष 2025 तक सतत् रूप से निर्मित वातावरण वाले अग्रणी देशों से रूप में स्थापित करना” है।

निर्माण क्षेत्र को किस प्रकार ऊर्जा दक्ष बनाया जा सकता है?

  • ऑटोक्लेव्ड एयरेटेड कंक्रीट (AAC) ब्लॉक का उपयोग:
    • भारत के चार ऊष्म जलवायु वाले शहरों में एक विश्लेषण के माध्यम से ऑटोक्लेव्ड एरेटेड कंक्रीट (AAC) ब्लॉक, लाल ईंटों, फ्लाई ऐश और मोनोलिथिक कंक्रीट (मिवान) जैसी सामग्रियों की लोकप्रियता की तुलना की गई।
      • AAC एक प्रकार का कंक्रीट होता है जिसका निर्माण क्लोज़्ड एयर पॉकेट को बनाए रखने के लिये किया जाता है। AAC का वज़न कंक्रीट पाँचवें हिस्से के बराबर होता है।
    • AAC ब्लॉक विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में बेहतर थर्मल दक्षता प्रदर्शित करते हैं।
      • अन्य सामग्रियों की तुलना में इनकी RETV सबसे कम है जो इनकी ऊर्जा दक्षता की क्षमता को दर्शाता है।
    • AAC ब्लॉक लाल ईंटों और मोनोलिथिक कंक्रीट की तुलना में सन्निहित ऊर्जा तथा निर्माण समय के बीच
    • हतर संतुलन प्रदान करते हैं।
  • भवन निर्माण हेतु नवोन्वेषी सामग्री की खोज:
    • भारत में नवीन निर्माण सामग्री के लिये अप्रयुक्त क्षमता मौजूद है।
    • स्थिरता विशेषज्ञों के साथ अंतःविषय सहयोग ऊर्जा-कुशल भवन डिज़ाइन के लिये नीतियों के अनुकूलन में मदद कर सकता है।
  • संधारणीयता संबंधी चिंताओं का समाधान:
    • मोनोलिथिक कंक्रीट जैसी सामग्रियों के लिये निर्माण उद्योग की प्राथमिकता उच्च सन्निहित कार्बन और थर्मल असुविधा के कारण चिंता पैदा करती है।
      • मोनोलिथिक निर्माण एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा दीवारों और स्लैबों का निर्माण एक साथ किया जाता है।
    • टिकाऊ निर्माण के लिये लागत प्रभावी और लचीले समाधान विकसित करने हेतु निर्माताओं से नवाचार की आवश्यकता होती है।
  • सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देना:
    • निर्माण प्रथाओं की फिर से कल्पना करना और स्थिरता की संस्कृति को बढ़ावा देना ऊर्जा दक्षता तथा पर्यावरणीय स्थिरता को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है।
    • लागत प्रभावी, टिकाऊ और जलवायु-लचीली निर्माण सामग्री जीवन की गुणवत्ता में सुधार तथा पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप योगदान कर सकती है।
  • स्मार्ट बिल्डिंग सिस्टम को अपनाना:
    • ऊर्जा खपत को अनुकूलित करने के लिये स्मार्ट बिल्डिंग सिस्टम, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 3डी प्रिंटिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) को निर्माण परियोजनाओं में एकीकृत किया जाना चाहिये।
      • बुद्धिमान HVAC सिस्टम तैनात करना जो रहने वालों के आराम को सुनिश्चित करते हुए ऊर्जा की खपत को कम करने के लिये अधिभोग के आधार पर समायोजित करना।
    • न्यूनतम सामग्री अपशिष्ट के साथ ऊर्जा-कुशल भवन घटक बनाने के लिये 3D प्रिंटिंग को अपनाना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स:

  1. प्रश्न. ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग करने वाले बिजली संयंत्रों से प्राप्त 'फ्लाई ऐश' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)
  2. फ्लाई ऐश का उपयोग भवन निर्माण के लिये ईंटों के उत्पादन में किया जा सकता है।
  3. फ्लाई ऐश का उपयोग कंक्रीट की कुछ पोर्टलैंड सीमेंट अंश के स्थानापत्र (रिप्लेसमेंट) के रूप में किया जा सकता है।
  4. फ्लाई ऐश केवल सिलिकॉन डाइऑक्साइड तथा कैल्शियम ऑक्साइड से बनी होती है और इसमें कोई विषाक्त (टॉक्सिस) तत्त्व नहीं होते।

नीचे दिये गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. "तीव्रतर एवं समावेशी आर्थिक संवृद्धि के लिये आधारिक-अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।" भारतीय के अनुभव के परिपेक्ष्य में विवेचना कीजिये। (2021)

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