भारतीय अर्थव्यवस्था
RBI द्वारा सरकार को धन का हस्तांतरण
- 21 Sep 2019
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संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) और सरकार के मध्य आरक्षित निधि के बँटवारे का विवाद बिमल जालान समिति (Bima।Jalan Committee) की रिपोर्ट के साथ ही सुलझ गया है।
प्रमुख बिंदु
- समिति ने वित्तीय स्थिरता (Financia Stability) का संकट उत्पन्न होने की दशा में इससे निपटने हेतु जोखिम प्रावधान के तहत आवश्यक आरक्षित निधि की मात्रा को स्पष्ट किया है।
- RBI बोर्ड ने भी इन सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपए हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है।
RBI एवं सरकार
- हालाँकि RBI पूरी तरह से सरकार से संबंधित है परंतु देश में वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करने और डॉलर की परिवर्तनशीलता जैसे बाज़ार के जोखिमों से निपटने के लिये इसकी बैलेंस शीट (Balance Sheet) को सुरक्षित स्तर पर बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है।
समिति द्वारा संज्ञान में लिये गये प्रमुख बिंदु
- समिति ने वित्तीय सलाह में क्रॉस-कंट्री प्रैक्टिस (Cross-country Practices), सांविधिक (statutory) प्रावधानों एवं इसकी सार्वजनिक नीतियों और कार्यात्मक वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव आदि बिंदुओं पर RBI की भूमिका को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की है।
- इन कारकों के आधार पर समिति ने आर्थिक संकट की स्थिति में वित्तीय प्रणाली का समर्थन करने के लिये आवश्यक आरक्षित निधि की मात्रा पर निर्णय लिया। इसने निष्कर्ष निकाला कि वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये विकसित देशों की तुलना में प्रावधान अधिक कठोर होने चाहिये।
- समिति ने इसके लिये भारत की कम रेटिंग वाली अर्थव्यवस्था और भारतीय रुपए का डॉलर की तरह आरक्षित मुद्रा का दर्जा न होने को विशेष आधार माना है।
समिति क्या कहती है
- इसने एक संशोधित आर्थिक पूंजी ढाँचे (Capita Framework) का सुझाव दिया जो 'रिवैल्यूएशन रिज़र्व' (Revaluation Reserves) और 'वास्तविक इक्विटी' (Realised Equity) के बीच RBI की आर्थिक पूंजी को पृथक करता है। रिवैल्यूएशन रिज़र्व को कैपिटल रिज़र्व के रूप में माना जाता है क्योंकि इसे लाभांश के रूप में वितरित नहींं किया जा सकता है। यह बैलेंस शीट में किसी परिसंपति से संबद्ध होता है।
- 'रिवैल्यूएशन रिज़र्व’ (Revaluation Reserves) बाज़ार जोखिमों के विरुद्ध एक बफर रिज़र्व है जिसका हस्तांतरण सरकार को नहींं किया जा सकता है।
- समिति ने बाज़ार के जोखिम को मापने के लिये अपेक्षित कमी (Expected Shortfall-ES) पद्धति का उपयोग किया। इस पद्धति में बाज़ार जोखिमो का मूल्यांकन किया जाता है।
- संशोधित ढाँचे के अनुसार, आर्थिक पूंजी को बैलेंस शीट के 24.5% से 20% के स्तर पर होना चाहिये। समिति ने बैलेंस शीट के 6.5% से 5.5% के बीच इक्विटी सीमा की भी सिफारिश की है।
RBI पूंजी हस्तांतरण (Capita Transfer) से सरकार को लाभ
- RBI ने वर्ष 2018-19 के दौरान अर्जित 1,23,414 करोड़ रुपए के पूरे अधिशेष को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। यह फरवरी 2019 में अंतरिम लाभांश के रूप में 28,000 करोड़ रुपए पहले ही स्थानांतरित कर चुका है और शेष राशि चालू वित्त वर्ष में हस्तांतरित की जाएगी।
- वर्ष 2018-2019 में केंद्र का वास्तविक शुद्ध कर राजस्व संग्रह 15.9 लाख करोड़ रुपए था। वर्ष 2019-2020 में 19.78 लाख करोड़ रुपए के राजस्व संग्रह लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये शुद्ध कर राजस्व में लगभग 25% की वृद्धि और सकल कर राजस्व में 26.5% की वृद्धि को प्राप्त करना होगा।
- केंद्र सरकार के कर राजस्व में लगभग 70,000 करोड़ रुपए की अपेक्षित कमी होने की संभावना है, जिसकी प्रतिपूर्ति रिज़र्व बैंक द्वारा हस्तांतरित राशि से की जा सकेगी।
राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना
- आर्थिक मंदी (Eeconomy Slowing Down) और वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax-GST) से कर संग्रह न हो पाने के कारण राजकोषीय घाटे में वृद्धि हो सकती है।
- रिज़र्व बैंक द्वारा हस्तांतरित राशि से सरकार सामाजिक क्षेत्र और गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में धन आवंटन मे कटौती किये बिना राजकोषीय घाटे को कम करने का लक्ष्य प्राप्त कर सकेगी।
आगे की राह
- यदि कर राजस्व वृद्धि होने से सरकार अतिरिक्त धन का उपयोग सार्वजनिक उपक्रमों के ऋण को चुकाने के लिये कर सकती है ताकि अगले वित्तीय वर्ष के राजस्व घाटे को कम करने में सहायता किया जा सके।
- हस्तांतरित धन का उपयोग बुनियादी ढाँचे जैसे पूंजीगत व्यय पर खर्च करने के लिये भी किया जा सकता है।
निष्कर्ष
RBI बोर्ड के निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिये और आर्थिक मंदी (Economic Slowdown) से निपटने के लिये तथा राजकोषीय लक्ष्यों (Fisca।Targets) के अनुरूप सरकार की मदद करनी चाहिये। सरकार को भी इस हस्तांतरित निधि का विवेकपूर्ण उपयोग में करना चाहिये।