पशुओं में रोगाणुरोधी उपयोग में वैश्विक रुझान | 20 Sep 2023

प्रिलिम्स के लिये:

पशुओं में रोगाणुरोधी उपयोग में वैश्विक रुझान, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन (WTO), रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR)

मेन्स के लिये:

पशुओं में रोगाणुरोधी उपयोग में वैश्विक रुझान

स्रोत: डाउन टू अर्थ  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) ने  पशुओं में रोगाणुरोधी उपयोग पर अपनी 7वीं रिपोर्ट जारी की है, यह वर्ष 2017 से वर्ष 2019 तक की अवधि को कवर करती है।

  • 157 प्रतिभागियों ने विश्लेषण के लिये WOAH को डेटा प्रस्तुत किया, लेकिन केवल 121 ने कम-से-कम एक वर्ष के लिये मात्रात्मक डेटा प्रदान किया। 74 प्रतिभागियों ने उपयोग के प्रकार और दवा की खुराक दिये जाने की पद्धति के आधार पर वर्गीकृत रोगाणुरोधी उत्पादों की विशिष्ट मात्रा की सूचना दी।
  • यह विश्लेषण 80 देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों पर आधारित है जो पशुओं में रोगाणुरोधी उपयोग पर लगातार अद्यतन/अपडेट होते रहते हैं।

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH):

  • WOAH (OIE के रूप में स्थापित) स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपायों के अनुप्रयोग पर समझौते द्वारा मान्यता प्राप्त मानक-निर्धारण निकायों में से एक है।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो दुनिया भर में पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिये ज़िम्मेदार है।
    • वर्ष 2018 में इसमें कुल 182 सदस्य देश थे। भारत इसके सदस्य देशों में शामिल है।
  • WOAH उन नियमों से संबंधित मानक दस्तावेज़ विकसित करता है जिसका उपयोग सदस्य देश स्वयं को बीमारियों और रोगजनकों से बचाने के लिये कर सकते हैं। उनमें से एक है स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता।
  • WOAH मानकों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा संदर्भ अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता नियमों के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • रोगाणुरोधी उपयोग:  
    • वर्ष 2017 से वर्ष 2019 तक तीन वर्षों में पशुओं में वैश्विक रोगाणुरोधी उपयोग में 13% की कमी आई है।
    • 80 देशों में से एशिया, सुदूर पूर्व ओशिनिया और यूरोप के 49 देशों में रोगाणुरोधी उपयोग में समग्र कमी दर्ज की गई।
      • इसके विपरीत अफ्रीकी और अमेरिकी क्षेत्रों के 31 देशों ने इसी अवधि के दौरान रोगाणुरोधी उपयोग में समग्र वृद्धि दर्ज की।
  • रोगाणुरोधी विकास प्रवर्तक:
    • 68% प्रतिभागियों ने विकास प्रवर्तकों के रूप में रोगाणुरोधकों का उपयोग बंद कर दिया है।
    • 26% प्रतिभागियों ने प्रायः उचित कानून या विनियमों की कमी के कारण विकास प्रवर्तकों का उपयोग करना जारी रखा है।
      • सामान्य रोगाणुरोधी विकास प्रवर्तकों में फ्लेवोमाइसिन, बैकीट्रैसिन, एविलामाइसिन और टायलोसिन शामिल हैं।
      • जबकि फ्लेवोमाइसिन और एविलामाइसिन को वर्तमान में मानव उपयोग से बाहर रखा गया है, बैकीट्रैसिन को WHO के महत्त्वपूर्ण रोगाणुरोधी (CIA) के बीच वर्गीकृत नहीं किया गया है।  
      • इनमें से कुछ को CIA या सर्वोच्च प्राथमिकता वाले CIA (HP-CIA) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • सिफारिशें:
    • उपयोग में प्रगति और बदलाव के बावजूद रोगाणुरोधी दवाओं की प्रभावकारिता को बनाए रखने के लिये निरंतर प्रयासों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
    • नई एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में चुनौतियों को देखते हुए मौजूदा एंटीबायोटिक प्रभावशीलता की सुरक्षा को एक साझा ज़िम्मेदारी के रूप में उजागर किया गया है।
    • पैटर्न और प्रवृत्तियों की पहचान करने के लिये यह निगरानी महत्त्वपूर्ण है कि कैसे, कब और कौन से रोगाणुरोधी का उपयोग किया जाता है।
    • यह निर्णय लेने की सुविधा प्रदान कर सकता है और इन प्रमुख दवाओं के इष्टतम एवं स्थायी उपयोग को सुनिश्चित करने के उपायों के कार्यान्वयन का समर्थन कर सकता है।

रोगाणुरोधी दवाएँ:

  • परिचय:
    • रोगाणुरोधी दवाएँ, जिन्हें सामान्यतः एंटीबायोटिक्स के रूप में जाना जाता है, ऐसे पदार्थ हैं जो बैक्टीरिया, कवक, वायरस और परजीवी जैसे सूक्ष्मजीवों को या तो मार देते हैं या उनके विकास को रोकते हैं।
    • इनका उपयोग मनुष्यों, जानवरों और कभी-कभी पौधों में संक्रमण के इलाज या रोकथाम के लिये किया जाता है।
    • ये दवाएँ आधुनिक चिकित्सा में विभिन्न सूक्ष्मजीवी रोगों को नियंत्रित और समाप्त करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण हैं।
  • चिंताएँ:
    • वर्ष 1928 में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा पेनिसिलिन की खोज से पहले, मामूली रूप से कटने पर भी यह रक्त में संक्रमण या मृत्यु का कारण बन जाता था। वर्तमान में विभिन्न क्षेत्रों में दुरुपयोग और अति प्रयोग के कारण ये जीवनरक्षक दवाएँ अपनी प्रभावकारिता खो रही हैं।
    • इस घटना को 'रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance- AMR)' के रूप में जाना जाता है। यह पशु, मानव या पौधों की आबादी में उत्पन्न हो सकता है और फिर अन्य सभी प्रजातियों के लिये खतरा उत्पन्न कर सकता है।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने हेतु पहल:

  • भारत:
    • AMR रोकथाम पर राष्ट्रीय कार्यक्रम: इसे वर्ष 2012 में शुरू किया गया। इस कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय मेडिकल कॉलेज में प्रयोगशालाएँ स्थापित करके AMR निगरानी नेटवर्क को मज़बूत किया गया है।
    • AMR पर राष्ट्रीय कार्य योजना: यह वन हेल्थ दृष्टिकोण पर केंद्रित है और विभिन्न हितधारक मंत्रालयों/विभागों को शामिल करने के उद्देश्य से अप्रैल 2017 में लॉन्च किया गया था।
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध सर्विलांस एंड रिसर्च नेटवर्क (AMRSN): इसे देश में दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के साक्ष्य उत्पन्न करने और रुझानों एवं पैटर्न को समझने के लिये वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था।
    • AMR अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने AMR में चिकित्सा अनुसंधान को मज़बूत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से नई दवाएँ विकसित करने की पहल की है।
    • एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम: ICMR ने अस्पताल के वार्डों और ICU में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग तथा अत्यधिक उपयोग को नियंत्रित करने के लिये पूरे भारत में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम (AMSP) शुरू किया है।
  • वैश्विक स्तर पर:
    • विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (World Antimicrobial Awareness Week - WAAW):
      • वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला WAAW एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य विश्व भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के विकास तथा प्रसार को धीमा करने के लिये आम जन, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व नीति निर्माताओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित करना है।
    • वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध और उपयोग निगरानी प्रणाली (The Global Antimicrobial Resistance and Use Surveillance System- GLASS):
      • जागरूकता अंतर को कम करने और सभी स्तरों पहल संबंधी रणनीतियाँ तैयार करने के लिये WHO ने वर्ष 2015 में GLASS की शुरुआत की।
      • इसे मनुष्यों में AMR की निगरानी, रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग की निगरानी, खाद्य शृंखला और पर्यावरण में AMR से प्राप्त डेटा को क्रमिक रूप से एकीकृत करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • पशुओं में रोगाणुरोधी उपयोग (ANImal antiMicrobial USE- ANIMUSE)  के लिये वैश्विक डेटाबेस:
      • यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में सहायता के लिये डेटा तक पहुँच की सुविधा प्रदान करता है।
    • वैश्विक उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन:
      • वर्ष 2022 में रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर तीसरे वैश्विक उच्च-स्तरीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में 47 देशों ने वर्ष 2030 तक पशुओं और कृषि क्षेत्र में रोगाणुरोधी उपयोग को 30-50% तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)

  1. कुछ व्यक्तियों में आनुवंशिक पूर्ववृत्ति (जेनेटिक प्रीडिस्पोज़ीशन) का होना।
  2. रोगों के उपचार के लिये वैज्ञानिकों (एंटिबॉयोटिक्स) की गलत खुराकें लेना।
  3. पशुधन फार्मिंग प्रतिजैविकों का इस्तेमाल करना।
  4. कुछ व्यक्तियों में चिरकालिक रोगों की बहुलता होना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1, 3 और 4  
(d) केवल 2, 3 और 4 

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. क्या एंटीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना मुक्त उपलब्धता, भारत में औषधि-प्रतिरोधी रोगों के अंशदाता हो सकते हैं? अनुवीक्षण और नियंत्रण की क्या क्रियाविधियाँ उपलब्ध हैं? इस संबंध में विभिन्न मुद्दों पर समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014)