वैश्विक दासता सूचकांक 2023 | 02 Jun 2023
प्रिलिम्स के लिये:आधुनिक दासता, G20 राष्ट्र, आतंकवाद, 1976 का बंधुआ श्रम उन्मूलन अधिनियम, संविधान का अनुच्छेद 23 मेन्स के लिये:वैश्विक दासता सूचकांक 2023 के प्रमुख तथ्य, आधुनिक दासता के संबंध में भारत का रुख |
चर्चा में क्यों?
वॉक फ्री फाउंडेशन की एक नई रिपोर्ट- 'वैश्विक दासता सूचकांक (The Global Slavery Index) 2023’, वैश्विक स्तर पर आधुनिक दासता के बढ़ते प्रचलन पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी स्थितियों में रहने वाले लोगों की संख्या 50 मिलियन तक पहुँच गई है जिसमें पिछले पाँच वर्षों में 25% की व्यापक वृद्धि देखी गई है।
- रिपोर्ट उस महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है जो G20 देशों ने अपनी व्यापार गतिविधियों और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के माध्यम से इस संकट को बढ़ाने में निभाई है।
- भारत, चीन, रूस, इंडोनेशिया, तुर्किये और अमेरिका उन शीर्ष G20 देशों में शामिल हैं जहाँ सबसे अधिक संख्या में बंधुआ मज़दूर हैं।
आधुनिक दासता:
- आधुनिक दासता में शोषण के विभिन्न रूप शामिल हैं, जिनमें जबरन श्रम, जबरन विवाह, ऋण बंधन, व्यावसायिक यौन शोषण, मानव तस्करी, गुलामी जैसी प्रथाएँ और बच्चों की बिक्री एवं शोषण शामिल हैं।
- आधुनिक दासता के परिणाम व्यक्तियों, समुदायों और समाज के लिये विनाशकारी हैं।
- यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है, मानवीय गरिमा को कम करती है और सामाजिक एकजुटता को नष्ट करती है।
- यह आर्थिक विकास को भी बाधित करती है, असमानता को बनाए रखती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। यह संघर्ष, आतंकवाद एवं संगठित अपराध को बढ़ावा देकर वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिये खतरा पैदा करती है।
वैश्विक दासता सूचकांक 2023 की प्रमुख उपलब्धियाँ:
- प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक दासता सूचकांक 2023 के अनुसार, अनुमानित 50 मिलियन लोग वर्ष 2021 में किसी भी दिन आधुनिक गुलामी/दासता के शिकार थे। वर्ष 2016 के बाद इस संख्या में 10 मिलियन लोगों की वृद्धि हुई है।
- इसका मतलब है कि विश्व में प्रत्येक 160 में से एक व्यक्ति आधुनिक दासता का शिकार है।
- यह प्रति 1,000 लोगों पर आधुनिक दासता के अनुमानित प्रसार के आधार पर 160 देशों की रैंकिंग करता है।
- अधिकतम प्रसार वाले देश उत्तर कोरिया (104.6), इरिट्रिया (93) तथा मॉरिटानिया (79) हैं जहाँ आधुनिक दासता व्यापक और प्राय: राज्य प्रायोजित है।
- सबसे कम प्रचलन वाले देश आइसलैंड (0.6), आयरलैंड (0.8) तथा न्यूज़ीलैंड (0.9) हैं जहाँ मज़बूत शासन और आधुनिक दासता के लिये प्रभावी प्रतिक्रियाएँ स्पष्ट हैं।
- आधुनिक दासता में एशिया और प्रशांत के लोगों की संख्या सबसे अधिक है (29.3 मिलियन)।
- भारत में 8 की व्यापकता है। (प्रति हज़ार लोगों पर आधुनिक दासता में रहने वाली जनसंख्या का अनुमानित अनुपात)।
- वैश्विक दासता सूचकांक 2023 के अनुसार, अनुमानित 50 मिलियन लोग वर्ष 2021 में किसी भी दिन आधुनिक गुलामी/दासता के शिकार थे। वर्ष 2016 के बाद इस संख्या में 10 मिलियन लोगों की वृद्धि हुई है।
- योगदान देने वाले कारक:
- रिपोर्ट प्रमुख कारकों के रूप में जलवायु परिवर्तन, सशस्त्र संघर्ष, कमज़ोर शासन और कोविड-19 महामारी जैसी स्वास्थ्य आपात स्थितियों की पहचान करती है जिन्होंने आधुनिक दासता में वृद्धि में योगदान दिया है।
- मुख्यत: कमज़ोर श्रमिक सुरक्षा वाले देशों से 468 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उत्पादों के आयात के कारण आधुनिक दासता में जीवन जी रहे लोगों में से आधी संख्या G20 देशों से है जिससे श्रमिकों की स्थिति खराब हो रही है।
- रिपोर्ट प्रमुख कारकों के रूप में जलवायु परिवर्तन, सशस्त्र संघर्ष, कमज़ोर शासन और कोविड-19 महामारी जैसी स्वास्थ्य आपात स्थितियों की पहचान करती है जिन्होंने आधुनिक दासता में वृद्धि में योगदान दिया है।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की भूमिका:
- जटिल और अपारदर्शी वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएँ जबरन मज़दूरी से जुड़ी हुई हैं जिनमें कच्चे माल की प्राप्ति, निर्माण, पैकेजिंग और परिवहन शामिल हैं।
- रिपोर्ट उच्च जोखिम वाले उत्पादों जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, ताड़ का तेल और सौर पैनलों के आयात के साथ जबरन मज़दूरी, मानव तस्करी तथा बाल श्रम पर भी प्रकाश डालती है।
- इससे पता चलता है कि G20 देश जो कि सामूहिक रूप से प्रत्येक वर्ष अरबों डॉलर के कपड़ा और परिधान की वस्तुओं का आयात करते है, उसके उत्पादन में जबरन मज़दूरी का उपयोग किये जाने की संभावना है।
- मूल्यांकन पद्धति:
- राजनीतिक अस्थिरता, असमानता, बुनियादी ज़रूरतों की कमी, आपराधिक न्याय तंत्र, आंतरिक संघर्ष और विस्थापन जैसे कारकों ने एक राष्ट्र की आधुनिक गुलामी की भेद्यता को परिभाषित किया है।
- सूचकांक 2022 अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), वॉक फ्री और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) द्वारा जारी डेटा का उपयोग करता है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि कैसे "आधुनिक गुलामी सादे लिबास में छिपी हुई है"।
- केस स्टडी: कपड़ा उद्योग:
- रिपोर्ट में कपड़ा उद्योग को जबरन मज़दूरी में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता के रूप में रेखांकित किया गया है। यह जबरन और अवैतनिक काम, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जोखिम, कम मज़दूरी, लाभ की कमी तथा ऋण बंधन की स्थितियों का वर्णन करता है।
- तमिलनाडु में सुमंगली योजना को कताई मिलों में महिलाओं और लड़कियों की शोषणकारी स्थितियों के उदाहरण के रूप में उल्लेखित किया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रयास और चुनौतियाँ:
- वर्ष 2030 तक आधुनिक गुलामी, जबरन मज़दूरी और मानव तस्करी को समाप्त करने के लक्ष्य को अपनाने के बावजूद रिपोर्ट में आधुनिक दासता में रहने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि तथा सरकारी कार्यवाही में प्रगति की कमी पर प्रकाश डाला गया है।
- रिपोर्ट 10 मिलियन लोगों की वृद्धि को जटिल संकटों के लिये ज़िम्मेदार ठहराती है, जिसमें सशस्त्र संघर्ष, पर्यावरणीय गिरावट, लोकतंत्र पर हमले, महिलाओं के अधिकारों का वैश्विक रोलबैक और कोविड-19 महामारी के आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव शामिल हैं।
- वर्ष 2030 तक आधुनिक गुलामी, जबरन मज़दूरी और मानव तस्करी को समाप्त करने के लक्ष्य को अपनाने के बावजूद रिपोर्ट में आधुनिक दासता में रहने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि तथा सरकारी कार्यवाही में प्रगति की कमी पर प्रकाश डाला गया है।
- सिफारिश:
- वैश्विक दासता सूचकांक सरकारों और व्यवसायों को आधुनिक दासता से जुड़ी वस्तुओं तथा सेवाओं को आयात करने से रोकने के लिये मज़बूत उपायों और कानूनों को लागू करने की सिफारिश करता है।
- रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन स्थिरता योजनाओं में दासता-विरोधी उपायों को शामिल करने, बच्चों को शिक्षा प्रदान करने, बाल विवाह से संबंधित नियमों को कड़ा करने और मूल्य शृंखलाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का भी सुझाव देती है।
आधुनिक दासता से संबंधित भारत का रुख:
- विधायी ढाँचा:
- भारत ने बंधुआ मज़दूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 (संविदा और प्रवासी श्रमिकों को शामिल करने हेतु 1985 में अधिनियम में संशोधन किया गया था) में बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास के लिये केंद्रीय योजना सहित आधुनिक दासता से निपटने हेतु विधायी उपाय किये हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी फैसला सुनाया है कि संविधान के अनुच्छेद 23 के तहत न्यूनतम मज़दूरी भुगतान "जबरन श्रम" के समान है।
- चुनौतियाँ:
- देश में आधुनिक गुलामी के प्रभावी उन्मूलन में बाधा डालने वाले अधिनियमों के कार्यान्वयन की कमी, भ्रष्टाचार, कानूनी खामियाँ और राजनीति जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- उदाहरण के लिये ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्वदेशी समुदाय और मछली पकड़ने तथा कृषि में लगे लोग ऋण बंधन, मानव तस्करी एवं बड़े पैमाने पर विस्थापन के शिकार हुए हैं।
- देश में आधुनिक गुलामी के प्रभावी उन्मूलन में बाधा डालने वाले अधिनियमों के कार्यान्वयन की कमी, भ्रष्टाचार, कानूनी खामियाँ और राजनीति जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- समय की आवश्यकता:
- बहु आयामी दृष्टिकोण:
- सरकार को ऐसे कानून बनाने और लागू करने की आवश्यकता है जो सभी प्रकार की आधुनिक दासता को अपराध मानते हों एवं पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करते हों।
- व्यवसायों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनकी संचालन और आपूर्ति शृंखलाएँ बलात् श्रम और मानव तस्करी से मुक्त हों।
- नागरिक समाज को जागरूकता बढ़ाने, बदलाव को प्रोत्साहित करने और प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
- व्यक्तियों को इस मुद्दे पर स्वयं को शिक्षित/जागरूक करना चाहिये, उन्हें उन फर्मों से पारदर्शिता की मांग करनी चाहिये जिनके साथ वे व्यापार करते हैं या जिनमें निवेश करते हैं, साथ ही आधुनिक दासता के किसी भी संदिग्ध उदाहरण की सूचना देनी चाहिये।
- बंधुआ मज़दूरी पर सर्वेक्षण:
- आधुनिक दासता की स्थितियों में फँसे लोगों की पहचान करने और उनकी गणना करने की भी आवश्यकता है। भारत में बंधुआ मज़दूरी पर आखिरी राष्ट्रीय सर्वेक्षण 1990 के दशक के मध्य में किया गया था।
- बहु आयामी दृष्टिकोण:
नोट: वाक फ्री अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूह है जो हमारे जीवन से आधुनिक दासता के सभी रूपों के उन्मूलन पर केंद्रित है।