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जैव विविधता और पर्यावरण

वैश्विक अपतटीय पवन गठबंधन

  • 18 Nov 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक अपतटीय पवन गठबंधन, अपतटीय पवन ऊर्जा, नेट ज़ीरो

मेन्स के लिये:

भारत में पवन ऊर्जा की स्थिति और संबंधित पहल

हाल ही में COP27 में वैश्विक अपतटीय पवन गठबंधन के लिये नौ नए देशों ने हस्ताक्षर किये हैं।

  • ये नौ देश हैं: बेल्जियम, कोलंबिया, जर्मनी, आयरलैंड, जापान, नीदरलैंड, नॉर्वे, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका।
  • ऑस्ट्रेलिया ने वैश्विक अपतटीय पवन गठबंधन के साथ हस्ताक्षर करने की घोषणा की है।

वैश्विक अपतटीय पवन गठबंधन (Global Offshore Wind Alliance-GOWA):

  • यह जलवायु और ऊर्जा सुरक्षा संकट से निपटने के लिये अपतटीय पवन को बढ़ाने हेतु स्थापित किया गया था।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA), डेनमार्क और वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद द्वारा स्थापित किया गया था।
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण पवन ऊर्जा क्षेत्र के लिये एक विश्वसनीय और प्रतिनिधि मंच प्रदान करने के लिये GWEC की स्थापना वर्ष 2005 में की गई थी।
  • कई संगठन गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं और अपने संबंधित क्षेत्रों में अपतटीय पवन को बढ़ावा दे रहे हैं।
    • IRENA और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) दोनों को उम्मीद है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने तथा शुद्ध शून्य/नेट ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करने के लिये अपतटीय पवन क्षमता को वर्ष 2050 तक 2000 GW से अधिक करने की आवश्यकता होगी, जो वर्तमान में 60 GW से अधिक है।
    • इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिये GOWA का लक्ष्य वर्ष 2030 के अंत तक कम से कम 380 GW की कुल स्थापित क्षमता तक पहुँचने के लिये विकास में तेज़ी लाने में योगदान देना होगा

अपतटीय पव ऊर्जा:

  • परिचय:
    • वर्तमान में पवन ऊर्जा के सामान्यत: दो प्रकार हैं- तटवर्ती पवन फार्म जो भूमि पर स्थित पवन टर्बाइनों के व्यापक रूप में स्थापित हैं और अपतटीय पवन फार्म जो जल निकायों में स्थित प्रतिष्ठान हैं।
    • अपतटीय पवन ऊर्जा का तात्पर्य जल निकायों के अंदर पवन फार्मों की स्थापना से है। वे बिजली उत्पन्न करने के लिये समुद्री हवाओं का उपयोग करते हैं। ये पवन फार्म या तो फिक्स्ड-फाउंडेशन टर्बाइन (Fixed-Foundation Turbines) या फ्लोटिंग विंड टर्बाइन (Floating Wind Turbines) का उपयोग करते हैं।
      • उथले जल में एक फिक्स्ड-फाउंडेशन टर्बाइन निर्मित किया जाता है, जबकि एक फ्लोटिंग विंड टर्बाइन गहरे जल में निर्मित होता है जहाँ इसकी नींव समुद्र तल से लगी होती है। फ्लोटिंग विंड फार्म अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं।
    • अपतटीय पवन फार्म को समुद्र तट से कम-से-कम 200 समुद्री मील (नॉटिकल माइल) दूर और समुद्र में 50 फीट गहरा होना चाहिये।
    • अपतटीय पवन टर्बाइन बिजली उत्पादन करते हैं जो समुद्र तल में दबे केबलों/तारों के माध्यम से तट पर आती है।
  • भारत में पवन ऊर्जा की स्थिति:
    • मार्च 2021 में एक वर्ष में भारत की पवन बिजली उत्पादन क्षमता 39.2 गीगावाट (GW) तक पहुँच गई है। अगले पांँच वर्षों में और 20 गीगावाट अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त होने की उम्मीद है।
    • वर्ष 2010 और 2020 के बीच पवन उत्पादन की कुल वार्षिक वृद्धि दर 11.39% रही है, जबकि स्थापित क्षमता के मामले में यह दर 8.78% रही है।
    • व्यावसायिक रूप से दोहन योग्य 95% से अधिक संसाधन सात राज्यों में स्थित हैं: आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु।
  • पवन ऊर्जा से संबंधित नीतियाँ:
    • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति: राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018 का मुख्य उद्देश्य पवन और सौर संसाधनों, ट्रांसमिशन बुनियादी अवसंरचना तथा भूमि के इष्टतम एवं कुशल उपयोग के लिये बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर फोटोवोल्टिक हाइब्रिड सिस्टम को बढ़ावा देने हेतु एक अवसंरचना का निर्माण करना है।
    • राष्‍ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति: राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अक्तूबर 2015 में भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में 7600 किलोमीटर की भारतीय तटरेखा के साथ अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करने के उद्देश्य से अधिसूचित किया गया था।

अपतटीय पवन ऊर्जा के लाभ:

  • जल निकायों पर हवा की गति अधिक और दिशा में सुसंगत होती है। परिणामस्वरूप अपतटीय पवन प्रतिस्थापन क्षमता में अधिक बिजली उत्पन्न करते हैं।
  • ऊर्जा की समान क्षमता का उत्पादन करने के लिये तटवर्ती की तुलना में कम अपतटीय टरबाइन की आवश्यकता होती है।
  • अपतटीय पवन तटवर्ती पवन की तुलना में उच्च CUF (क्षमता उपयोग कारक) होता है। इसलिये अपतटीय पवन ऊर्जा लंबे समय तक परिचालन घंटों की अनुमति देती है।
  • एक पवन टरबाइन का CUF अधिकतम बिजली क्षमताओं द्वारा विभाजित औसत उत्पादन शक्ति के बराबर है।
  • बड़े और लंबे अपतटीय पवन चक्कियों का निर्माण करना संभव है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा में वृद्धि होगी।
  • इसके अलावा हवा का प्रवाह पहाड़ियों या इमारतों द्वारा प्रतिबंधित नहीं है

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित वर्तमान स्थिति और प्राप्त किये जाने वाले लक्ष्यों का लेखा-जोखा दीजिये। प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED)  पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के महत्त्व पर संक्षेप में चर्चा कीजिये। (2016)

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

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