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वैश्विक पोषण रिपोर्ट, 2021

  • 25 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक पोषण लक्ष्य, एनीमिया,  चाइल्डहुड वेस्टिंग

मेन्स के लिये:

वैश्विक पोषण रिपोर्ट, 2021 के महत्त्वपूर्ण प्रावधान 

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में जारी वैश्विक पोषण रिपोर्ट, 2021 (Global Nutrition Report) के अनुसार, भारत ने एनीमिया (Anaemia) और चाइल्डहुड वेस्टिंग (Childhood Wasting)  पर कोई प्रगति नहीं की है।

वैश्विक पोषण लक्ष्य:

  • वर्ष 2012 में विश्व स्वास्थ्य सभा (विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्णय लेने वाली संस्था) ने वर्ष 2025 तक के लिये छह पोषण लक्ष्यों की पहचान की है, जो निम्नलिखित हैं:
    • 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग को 40% तक कम करना।
    • 19-49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में एनीमिया के प्रसार को 50% तक कम करना।
    • बच्चो में जन्म के समय कम वज़न की समस्या में 30% की कमी सुनिश्चित करना।
    • बचपन में अधिक वज़न न बढ़े, इस बात को सुनिश्चित करना।
    • पहले छह महीनों में स्तनपान की दर को कम-से-कम 50% तक बढ़ाना। 
    • चाइल्डहुड वेस्टिंग को 5% से कम करना और इसे बनाए रखना।

प्रमुख बिंदु 

  • रिपोर्ट के महत्त्वपूर्ण बिंदु:
    • वैश्विक पोषण लक्ष्य:
      • प्रगति के वर्तमान स्तर या दर पर वैश्विक पोषण लक्ष्यों को वर्ष 2025 तक विश्व स्तर पर अधिकांश देशों द्वारा हासिल नहीं किया जा सकेगा।
    • डेटा उपलब्धता में बदलाव/परिवर्तन:
      • 194 देशों में वैश्विक पोषण लक्ष्यों की दिशा में डेटा उपलब्धता और प्रगति में पर्याप्त भिन्नता है।
        • वर्ष 2025 तक केवल सात देश छह मातृ, शिशु और युवा बाल पोषण लक्ष्यों में से चार को पूरा करने की दिशा पर अग्रसर हैं, जबकि कोई भी देश वयस्क मोटापे में वृद्धि को रोकने या नमक/सोडियम सेवन में 30% की सापेक्ष कमी हासिल करने की दिशा पर अग्ररसर नहीं है।
    • कोविड-19 का प्रभाव:
      • कोविड-19 महामारी वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति में बाधक है।
        • महामारी ने अनुमानित अतिरिक्त 155 मिलियन लोगों को विश्व स्तर पर अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया गया है, जबकि आहार से संबंधित जीर्ण रोग वाले लोग कोविड-19 के बदतर परिणामों का अनुभव कर रहे हैं।
    • आहार सुधार में अल्प प्रगति:
      • पिछले दशक में आहार में सुधार करने में बहुत कम प्रगति हुई है और वयस्कों की होने वाली कुल मौतों में से एक-चौथाई का कारण खराब आहार है।
    • वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन:
      • खाद्य उत्पादन वर्तमान में विश्व स्तर पर सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक-तिहाई से अधिक का उत्पन्न करता है और पर्यावरण संसाधनों की अत्यधिक मात्रा का उपयोग करता है।
    • सतत् विकास लक्ष्य:
      • कोई भी क्षेत्र आहार और खाद्य प्रणाली से संबंधित स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय बोझ को सीमित करने के उद्देश्य से सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति नहीं कर रहा है।
  • भारत-विशिष्ट आँकड़े:
    • एनीमिक भारतीय महिलाएँ:
      • 15-49 आयु वर्ग की आधी से अधिक भारतीय महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
      • वर्ष 2016 से वर्ष 2020 के बीच एनीमिक भारतीय महिलाओं की संख्या 52.6% से बढ़कर 53% हो गई है।
    • चाइल्डहुड वेस्टिंग:
      • 5 वर्ष से कम उम्र के 17% से अधिक भारतीय बच्चे इससे प्रभावित हैं।
      • भारत भी उन 23 देशों में शामिल है, जिन्होंने 'चाइल्डहुड वेस्टिंग' को कम करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं की है या वहाँ स्थिति और खराब हो रही है।
        • वेस्टिंग से तात्पर्य उन बच्चों से है जिनका वज़न उनकी ऊँचाई के हिसाब से कम है।
    • चाइल्ड स्टंटिंग:
      • 5 वर्ष से कम उम्र के 34% से अधिक बच्चे अभी भी इससे प्रभावित हैं।
      • भारत उन 53 देशों में से एक है, जो जल्द ही स्टंटिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने वाले हैं।
        • स्टंटिंग, उम्र के अनुसार कम ऊँचाई को संदर्भित करता है।
    • चाइल्डहुड ओवरवेट:
      • भारत उन 105 देशों में से एक है, जो जल्द ही चाइल्डहुड ओवरवेट के लक्ष्य को प्राप्त करने वाले हैं।
    • भारत द्वारा प्राप्त किये गए लक्ष्य:
      • भारत ने 13 वैश्विक पोषण लक्ष्यों में से 7 को पूरा कर लिया है, जिसमें सोडियम का सेवन, बढ़ा हुआ रक्तचाप (पुरुष व महिला दोनों), मोटापा (पुरुष और महिला दोनों) तथा मधुमेह (पुरुष एवं महिला दोनों) शामिल हैं।
  • सुझाव:
    • वित्त को बढ़ाना: 
      • असंतुलित आहार और कुपोषण को समाप्त करने के लिये प्रयासों और वित्तीय निवेशों हेतु कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
    • समग्र दृष्टिकोण: 
      • सभी के लिये एक स्वस्थ भविष्य बनाने हेतु असंतुलित आहार और कुपोषण को समग्र तथा स्थायी रूप से संबोधित किया जाना चाहिये।
    • जवाबदेही और निगरानी:
      • आवश्यक प्रगति की पहचान करने हेतु बेहतर डेटा, व्यापक जवाबदेही और व्यवस्थित निगरानी महत्त्वपूर्ण है।

Nutrition-Report

वैश्विक पोषण रिपोर्ट: 

  • वर्ष 2013 में संपन्न पहले 'न्यूट्रीशन फॉर ग्रोथ इनिशिएटिव समिट' (N4G) के बाद इसकी कल्पना की गई थी।
  • पहली रिपोर्ट वर्ष 2014 में प्रकाशित हुई थी।
  • यह वैश्विक, क्षेत्रीय और विभिन्न देशों के मध्य विश्व की पोषण स्थिति के बारे में विवरण प्रदान करती है और इसे सुधारने के प्रयासों पर एक रिपोर्ट कार्ड के रूप में कार्य करती है।
  • यह एक बहु-हितधारक पहल है, जिसमें एक हितधारक समूह, स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह और सचिवालयी रिपोर्ट शामिल हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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