ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स: विश्व बैंक | 11 Jun 2021
प्रिलिम्स के लियेविश्व बैंक, ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स, सकल घरेलू उत्पाद मेन्स के लियेरिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि संबंधी अनुमान और इसके कारण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व बैंक ने अपनी जून 2021 की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट जारी की है, जिसके तहत वर्ष 2021-22 के लिये भारत की GDP वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
प्रमुख बिंदु
जीडीपी अनुमान
- भारत के लिये
- वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये भारत की अर्थव्यवस्था 8.3%, वर्ष 2022-23 के लिये 7.5% और वर्ष 2023-24 के लिये 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
- विश्व के लिये
- विश्व अर्थव्यवस्था के 5.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो बीते 80 वर्षों में किसी भी मंदी के बाद सबसे तेज़ विकास दर है।
- हालाँकि वैश्विक उत्पादन अभी भी वर्ष के अंत तक पूर्व-महामारी अनुमानों से 2% तक कम रहेगा।
कारण
- वित्त वर्ष 2020-21 के लिये
- वर्ष 2019-20 में 4% की वृद्धि दर की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3% की सबसे खराब संकुचन दर देखी गई।
- महामारी की शुरुआत के बाद से किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत पर सबसे अधिक गंभीर प्रभाव देखा गया है, जो कि भारत की आर्थिक रिकवरी में बाधा बन रहा है।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये
- विश्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये आर्थिक वृद्धि दर अनुमान (8.3 प्रतिशत) में कमी व्यक्त की है, जिसके प्रमुख कारणों में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के गंभीर प्रभाव और मार्च 2021 के बाद लागू किये गए स्थानीय गतिशीलता प्रतिबंध आदि शामिल हैं।
- वित्त वर्ष 2022-23 के लिये
- वित्त वर्ष 2022-23 में घरों, कंपनियों और बैंकों की वित्तीय स्थिति पर महामारी के प्रभाव, उपभोक्ता विश्वास का निम्न स्तर और रोज़गार तथा आय संबंधी अनिश्चितता के परिणामस्वरूप विकास दर (7.5%) में कमी होने की आशंका है।
भारत द्वारा उठाए गए कदम
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम फर्मों (MSMEs) को तरलता प्रदान करने के उपायों की घोषणा की है और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के प्रावधान पर नियामक आवश्यकताओं में ढील दी है।
- वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में नीतिगत बदलाव करते हुए स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी अवसंरचना पर लक्षित व्यय में बढ़ोतरी की गई, ताकि महामारी के बाद रिकवरी को बढ़ावा दिया जा सके।
सुझाव
- निम्न आय वाले देशों के लिये वैक्सीन वितरण और ऋण राहत कार्यक्रम में तेज़ी लाने हेतु विश्व स्तर पर समन्वित प्रयास किये जाने आवश्यक हैं।
- जैसे-जैसे स्वास्थ्य संकट कम होगा, नीति निर्माताओं को महामारी के स्थायी प्रभावों को दूर करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए हरित, लचीले और समावेशी विकास को बढ़ावा देने हेतु कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
- निम्न आय वाले देशों के लिये सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को बढ़ाने, रसद में सुधार करने और स्थानीय खाद्य आपूर्ति को जलवायु की दृष्टि से लचीला बनाने संबंधी नीतियाँ महत्त्वपूर्ण हो सकती हैं।
प्रमुख शब्दावली
- सकल घरेलू उत्पाद
- सकल घरेलू उत्पाद किसी देश में आर्थिक गतिविधि का एक माप होता है। यह किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं के वार्षिक उत्पादन का कुल मूल्य है। यह उपभोक्ताओं की ओर से आर्थिक उत्पादन को दर्शाता है।
- जीडीपी = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात-आयात)।
- मंदी और अवसाद या महामंदी
- मंदी: यह एक व्यापक आर्थिक शब्द है, जो एक लंबी अवधि के लिये आर्थिक गतिविधियों में व्यापक पैमाने पर संकुचन को संदर्भित करता है या यह कहा जा सकता है कि जब स्लोडाउन काफी लंबे समय तक बना रहता है, तो इसे मंदी कहा जाता है।
- अवसाद या महामंदी: इस स्थिति में मंदी का वातावरण बना रहता है तथा अर्थव्यवस्था की स्थिति और भी खराब हो जाती है। यह नकारात्मक आर्थिक विकास की एक लंबे समय तक चलने वाली अवधि है, जिसमें उत्पादन कम-से-कम 12 महीने तक गिरता है और जीडीपी 10% से अधिक गिर जाती है।
- राजकोषीय नीति
- राजकोषीय नीति का तात्पर्य आर्थिक स्थितियों को प्रभावित करने के लिये सरकारी खर्च और कर नीतियों के उपयोग से है।
- मंदी के दौरान सरकार कुल मांग को बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये कर दरों को कम करके विस्तारवादी राजकोषीय नीति का प्रयोग करती है।
- मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी और अन्य विस्तारवादी लक्षणों का मुकाबला करने के लिये सरकार संकुचनकारी राजकोषीय नीति का प्रयोग करती है।
विश्व बैंक
परिचय
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना एक साथ वर्ष 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान हुई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) को ही विश्व बैंक के रूप में जाना जाता है।
- विश्व बैंक समूह विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये काम कर रहे पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है।
सदस्य
- इसके 189 सदस्य देश हैं। भारत भी एक सदस्य देश है।
प्रमुख रिपोर्ट
- ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस।
- ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स।
- वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट।
- माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ।
- ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स।
पाँच प्रमुख संस्थान
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD): यह लोन, ऋण और अनुदान प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA): यह निम्न आय वाले देशों को कम या बिना ब्याज वाले ऋण प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC): यह कंपनियों और सरकारों को निवेश, सलाह तथा परिसंपत्तियों के प्रबंधन संबंधी सहायता प्रदान करता है।
- बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA): यह ऋणदाताओं और निवेशकों को युद्ध जैसे राजनीतिक जोखिम के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का काम करती है।
- निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID): यह निवेशकों और देशों के मध्य उत्पन्न निवेश-विवादों के सुलह और मध्यस्थता के लिये सुविधाएँ प्रदान करता है।
- भारत इसका सदस्य नहीं है।