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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कैंसर कारक जीन उत्परिवर्तन

  • 11 Mar 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

जीन उत्परिवर्तन (Gene Mutation), चालक जीन (Driver Gene)

मेन्स के लिये:

कैंसर और जीन चिकित्सा से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘नेचर (Nature)’ नामक विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित कुछ शोधपत्रों के अनुसार, वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे जीन (Gene) की पहचान की है, जिनका उत्परिवर्तन (Mutation) कई प्रकार के कैंसर रोगों का कारण बनता है।

मुख्य बिंदु:

  • आमतौर पर कैंसर शब्द का प्रयोग कई बीमारियों के लिये किया जाता है, ऐसा इसलिये है क्योंकि कैंसर के बहुत से प्रकार हैं और इन सभी के इलाज का तरीका भी एक-दूसरे से काफी भिन्न होता हैं। 
  • हाल ही में विश्व के अनेक अंतर्राष्ट्रीय संघों के वैज्ञानिकों द्वारा ‘नेचर (Nature)’ पत्रिका में प्रकाशित कुछ शोधपत्रों में ऐसे जीन (Gene) की पहचान का दावा किया गया है जिनमें होने वाले उत्परिवर्तन (Mutation) कई प्रकार के कैंसर का कारण बनते हैं।
  • शोध से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार, सामान्यतया प्रत्येक कैंसर जीनोम में 4-5 चालक जीन (Driver Gene) की पहचान की गई है। हालाँकि लगभग 5% मामलों में किसी भी चालक जीन (Driver Gene) की पहचान नहीं की जा सकी। 

चालक जीन (Driver Gene):

चालक जीन, वे जीन होते हैं जिनमें होने वाले उत्परिवर्तन किसी अंग या जीन के समूह में किसी रोग (इस मामले में कैंसर) के विकास/प्रसार के लिये उत्तरदायी होते हैं।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्परिवर्तन के लगभग आधे मामले नौ जीन वाले एक ही समूह में पाए गए।
  • इस अध्ययन के लिये ‘पैन-कैंसर एनालिसिस ऑफ होल जीनोम्स’ (Pan-Cancer Analysis of Whole Genomes-PCAWG), इंटरनेशनल कैंसर जीनोम कंसोर्टियम (International Cancer Genome Consortium-ICGC) और ‘द कैंसर जीनोम एटलस’ (The Cancer Genome Atlas-TCGA) जैसे संस्थानों के सहयोग से 38 प्रकार के ट्यूमरों के 2658 होल-कैंसर जीनोम (Whole Cancer Genome) और उनके स्वस्थ ऊतकों (Tissue) की तुलना की गई। 
जीन उत्परिवर्तन (Gene Mutation) क्या है? 

जीन या क्रोमोसोम की संरचना अथवा क्रोमोसोम की संख्या में वंशागत परिवर्तन होना उत्परिवर्तन या म्यूटेशन (Mutation) कहलाता है। म्यूटेशन से कोशिका के आनुवंशिक संदेश में परिवर्तन आ जाता है। म्यूटेशन एक अनियमित प्रक्रिया है जो कम आवृत्ति के साथ अचानक होती है। जीन म्यूटेशन दो प्रकार के होते हैं:

  • जीन की संरचना में परिवर्तन: इस तरह के उत्परिवर्तन को पॉइंट म्यूटेशन (Point Mutation) अथवा जीन म्यूटेशन (Gene Mutation) कहते हैं। 
  • क्रोमोसोम की संरचना अथवा संख्या में परिवर्तन: इस तरह के उत्परिवर्तन को क्रोमोसोम म्यूटेशन (Chromosome mutation) कहते हैं। क्रोमोसोम म्यूटेशन में जीन की या तो हानि होती है अथवा उसके स्थान में परिवर्तन हो जाता है। 

चालक उत्परिवर्तन की पहचान के लाभ:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, चालक उत्परिवर्तन की पहचान से कीमोथेरेपी जैसे पारंपरिक उपचार के स्थान पर अलग-अलग व्यक्तियों के लिये लक्षित उपचार के माध्यम से कैंसर का इलाज किया जा सकेगा।
  • चालक उत्परिवर्तनों और उनके लक्षणों के बारे में बेहतर जानकारी उपलब्ध होने से कैंसर के ऐसे मामलों की समय रहते पहचान की जा सकेगी।
  • चालक जीन और चालक उत्परिवर्तनों की पहचान से इसके उपचार के लिये नई दवाओं और तकनीकों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

चुनौतियाँ: 

  • किसी रोग के लिये उत्तरदायी जीन की पहचान करने से लेकर उसकी दवा के विकास तक बहुत लंबा समय लग जाता है। उदाहरण के लिये फेफड़े के कैंसर के लिये उत्तरदायी एक चालक जीन ALK-1 (5-6% मामलों में) की वर्ष 2006-07 में पहचान किये जाने के बाद इसकी दवा के विकास में पाँच वर्ष लगे।
  • संसाधनों की कमी: वर्तमान में एक सामान्य चिकित्सा प्रयोगशाला में लगभग 1,000 जीन की जाँच/अध्ययन की क्षमता होती है, जिनमें से अधिकतम 200 को कैंसर के लिये रखा जाता है और उनमें से औसतन 40 से भी कम मामलों में दवा का निर्माण हो पाता है।
  • इस शोध के दौरान लगभग 5% मामलों में किसी भी चालक उत्परिवर्तन की पहचान नहीं की जा सकी, अतः ऐसे मामलों में अभी और शोध किये जाने की आवश्यकता होगी। 

निष्कर्ष: 

चालक जीन और उनके उत्परिवार्तनों की पहचान से कैंसर के उपचार के साथ ही कैंसर के संदर्भ में व्याप्त अनिश्चितताओं को दूर करने में भी सहायता प्राप्त होगी। हालाँकि कैंसर के बारे में बड़े/बृहत् स्तर पर अध्ययनों की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण कैंसर का उपचार आज भी एक बड़ी चुनौती है। अतः चिकित्सा क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं वैश्विक संस्थाओं को साथ मिलकर इस क्षेत्र में शोध और क्षमता विकास के लिये सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिये। 

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स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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