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भारतीय अर्थव्यवस्था

RBI द्वारा जीडीपी पुनरुद्धार पूर्वानुमान

  • 10 Oct 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मौद्रिक नीति, मौद्रिक नीति से जुड़ी महत्त्वपूर्ण शब्दावली जैसे- LAF, SLR, CRR, RRR, RR, MSF, MSS, OMO आदि 

मेन्स के लिये:

अर्थव्यवस्था की गति एवं विकास आदि से संबंधित विशलेष्णात्मक अध्ययन, मौद्रिक नीति समिति से संबद्ध पक्ष 

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने इस वर्ष की शेष अवधि तथा वर्ष 2021-22 की अवधि के लिये अपनी उदार नीति के विस्तार की घोषणा की है और आने वाले महीनों में GDP में पुनरुद्धार का अनुमान व्यक्त किया है।

प्रमुख  बिंदु

समिति के निर्णय:

  • RBI ने अर्थव्यवस्था की वृद्धि को पुनर्जीवित करने और कोविड -19 महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिये प्रमुख नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा है अर्थात् इनमें कोई परिवर्तन नहीं किया है।
  • उच्च मुद्रास्फीति के कारण रेपो और रिवर्स रेपो दर को क्रमशः 4% और 3.35% की दर पर अपरिवर्तित रखा गया है।
  • जोखिम अधिभार यानी अलग-अलग होम लोन के लिये निर्धारित की गई आवश्यक पूंजी, में छूट दी गई है तथा खुदरा एवं छोटे व्यवसायियों के लिये ऋण सीमा में वृद्धि की गई है।
    • इससे रोज़गार-सघन रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा जो महामारी के चलते अत्यधिक प्रभावित हुआ है।
  • रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) की सुविधा चौबीसों घंटे उपलब्ध होगी।
  • यह निर्णय किया गया है कि पॉलिसी रेपो दर से सहलग्न अस्थायी दर पर कुल 1,00,000 करोड़ रुपए तक की राशि के लिये तीन वर्षों तक के लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (Targeted Long Term Repo Operations- TLTRO) को मांग पर संचालित किया जाए। 
  • चलनिधि में सुधार और कुशल मूल्य निर्धारण की सुविधा के लिये राज्य विकास ऋण (State Development Loans- SDLs) में चालू वित्त वर्ष के दौरान एक विशेष मामले के रूप में खुले बाज़ार परिचालन(Open Market Operations- OMOs) आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
    • यह बाज़ार प्रतिभागियों को तरलता और आसान वित्त स्थितियों तक पहुँच का आश्वासन देगा।
    • दीर्घकालिक रेपो परिचालन (LTRO) मौद्रिक नीति क्रियाओं के प्रसारण और अर्थव्यवस्था में ऋण के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिये एक तंत्र है। यह बैंकिंग प्रणाली में तरलता को प्रवेश कराने में मदद करता है।
    • खुला  बाज़ार परिचालन (OMO) एक मात्रात्मक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसे अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिये देश के केंद्रीय बैंक द्वारा नियोजित किया जाता है।
    • OMO का संचालन RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री (खरीद-बिक्री) के माध्यम से किया जाता है ताकि धन आपूर्ति की स्थिति को समायोजित किया जा सके।
    • केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में संचालित मुद्रा को नियंत्रित करने के लिये वाणिज्यिक बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियाँ बेचता और खरीदता है।

Governor-prescription

अनुमान:

  • GDP में पुनः सुधार 
    • वित्त वर्ष 2021 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5% की गिरावट आने की संभावना है।
    • मामूली रिकवरी से शुरुआत करके आर्थिक गतिविधियों की दर में तीसरी तिमाही में सुधार होने का अनुमान है।
    • वर्ष 2021-22  के पहले तिमाही में वास्तविक जीडीपी में 20.6% वृद्धि होने की संभावना है।
    • वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि -9.8%, तीसरी तिमाही में -5.6% और चौथी तिमाही में 0.5% होने की उम्मीद है।
  • मुद्रास्फीति में गिरावट:
    • अगले 3 महीनों में मुद्रास्फीति में कमी आने की संभावना है, यह वित्त वर्ष 2021 के चौमाही तक लगभग 4% (2% +/-) के अनुमानित लक्ष्य में भी कमी आने की संभावना जताई जा रही है।
    • आपूर्ति शृंखला में आने वाला अंतर मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि का एक प्रमुख कारक है। जैसे ही आपूर्ति शृंखला बहाल होती है, मुद्रास्फीति स्वाभाविक रूप से कम हो जाएगी।
    • अगस्त 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति की वृद्धि दर 6.69% थी।
  • अर्थव्यवस्था का पुनः सुचारू रूप से संचालन होना:
    • अर्थव्यवस्था में त्रिस्तरीय रिकवरी देखने को मिलेगी, अर्थात् क्षेत्र विशेष में अत्यधिक तेज़, मामूली और बहुत धीमी रिकवरी दर से सुधार होने की संभावना है।
    • कृषि के अलावा, तीव्रता से वृद्धि करने वाले क्षेत्र जैसे- उपभोक्ता उत्पाद, ऑटोमोबाइल, फार्मा और विद्युत आदि में सबसे पहले सुधार देखने को मिलेगा।

मौद्रिक नीति समिति 

(Monetary Policy Committee)

  • मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee), भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (Reserve Bank of India Act, 1934) के अंतर्गत विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिये एक वैधानिक और संस्थागत ढाँचा है।
  • RBI का गवर्नर इस समिति का पदेन अध्यक्ष होता है।
  • अध्यक्ष सहित समिति में छह सदस्य (RBI के तीन अधिकारी और भारत सरकार द्वारा नामित तीन बाह्य सदस्य) शामिल होते हैं।
  • समिति के निर्णय बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं तथा टाई (Tie) होने की स्थिति में गवर्नर को वोट डालने का अधिकार है।
  • MPC मुद्रास्फीति के लक्ष्य (4%) को प्राप्त करने के लिये आवश्यक नीतिगत ब्याज दर (रेपो दर) निर्धारित करता है।
  • वर्ष 2014 में तत्कालीन डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्त्व में RBI द्वारा नियुक्त समिति ने मौद्रिक नीति समिति की स्थापना की सिफारिश की थी।

स्रोत: द हिंदू

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