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भारतीय अर्थव्यवस्था

दीर्घावधि रेपो परिचालन

  • 26 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

LTRO, ऑपरेशन ट्विस्ट

मेन्स के लिये:

मौद्रिक नीति से संबंधित मुद्दे, अर्थव्यवस्था में RBI का योगदान

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति संबंधी कार्रवाइयों के प्रसारण और अर्थव्यवस्था में ऋण के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिये दीर्घकालिक रेपो परिचालन (Long Term Repo Operation- LTRO) शुरू करने का निर्णय लिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • RBI द्वारा शुरू किये गए ऑपरेशन ट्विस्ट (Operation Twist) के साथ यह नया उपाय केंद्रीय बैंक द्वारा बॉण्ड यील्ड के प्रबंधन और ब्याज दर में कटौती का लाभ जनता तक पहुँचाने का एक प्रयास है।
  • ध्यातव्य है कि RBI ने इसके पहले ब्याज दरों को नीचे लाने के लिये यूएस-स्टाइल के आधार पर ऑपरेशन ट्विस्ट को शुरू किया है।

क्या है दीर्घावधि रेपो परिचालन?

  • LTRO एक ऐसा उपकरण है जिसके तहत केंद्रीय बैंक प्रचलित रेपो दर पर बैंकों को एक साल से तीन साल की अवधि के लिये 1 लाख करोड़ रुपए तक का ऋण प्रदान करेगा तथा कोलेटरल के रूप में सरकारी प्रतिभूतियों को लंबी अवधि के लिये स्वीकार करेगा।
  • RBI तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility- LAF) और सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility- MSF) के माध्यम से बैंकों को उनकी तत्काल ज़रूरतों हेतु 1 से 28 दिनों के लिये ऋण मुहैया कराता है, जबकि LTRO के माध्यम से RBI द्वारा रेपो रेट पर ही उनको 1 से 3 वर्ष के लिये ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

LTRO महत्त्वपूर्ण क्यों है?

  • RBI ने बाज़ार की मौजूदा परिस्थितियों में उचित लागत पर टिकाऊ तरलता उपलब्धता के बारे में बैंकों को आश्वस्त करने के उद्देश्य से LTRO की शुरुआत की है।
  • देश में आर्थिक मंदी से निपटने के लिये RBI आसान ऋण नीतियों के माध्यम से लगातार प्रयास कर रहा है। RBI बाज़ार में आसान ऋण उपलब्ध करवाकर देश के उपभोग में वृद्धि करना चाहता है।
  • जनवरी 2019 से रेपो रेट (जिस दर पर बैंक RBI से त्वरित ऋण लेते हैं) में 139 आधार अंकों की कटौती की गई है। लेकिन इन दरों में कटौती के केवल एक हिस्से का लाभ ही अभी तक बैंकों द्वारा ऋण प्राप्तकर्ताओं को प्रदान किया गया है।
  • RBI का मानना है कि रेपो दर (5.15 फीसदी) पर बैंकों को लंबी अवधि के लिये धन उपलब्ध कराने से बैंकों को अपने मार्जिन को बनाए रखते हुए खुदरा और औद्योगिक ऋणों पर ब्याज दरों को कम करने में मदद मिलेगी।
  • LTRO बॉण्ड मार्केट में अल्प अवधि की प्रतिभूतियों (1-3 वर्ष की अवधि) के लिये यील्ड (Yield) कम करने में भी मदद करेगा।

LTRO से संभावित लाभ

  • RBI द्वारा रेपो रेट में कमी किये जाने के बावजूद बैंक उसका लाभ ऋण प्राप्तकर्त्ताओं को नहीं दे रहे थे किंतु अब दीर्घ अवधि के लिये ऋण प्राप्त होने से बैंक आसानी से एवं कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर सकते हैं।
  • ऋण तक आसान पहुँच के कारण उपभोग में वृद्धि की जा सकेगी जो कि वर्तमान आर्थिक सुस्ती का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है।
  • यह एक ऐसा उपाय है जिससे बाज़ार सहभागियों को उम्मीद है कि बैंक अल्पकालिक ब्याज दरों को काम करेंगे तथा कॉर्पोरेट बॉण्ड में निवेश को भी बढ़ावा देंगे।

ऑपरेशन ट्विस्ट (Operation Twist) :

  • ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ के अंतर्गत केंद्रीय बैंक दीर्घ अवधि के सरकारी ऋण पत्रों को खरीदने के लिये अल्पकालिक प्रतिभूतियों की बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग करता है, जिससे लंबी अवधि के ऋणपत्रों पर ब्याज दरों के निर्धारण में आसानी होती है।
  • ऑपरेशन ट्विस्ट (Operation Twist) पहली बार वर्ष 1961 में अमेरिकी डॉलर को मज़बूत करने और अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिये लाया गया था।
  • इसके तहत RBI द्वारा ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के तहत 10,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की एक साथ खरीद और बिक्री की जाएगी।
  • इसके अंतर्गत RBI द्वारा दीर्घ अवधि की परिपक्वता वाले (2029 तक परिपक्व होने वाले) 10,000 करोड़ रुपये के सरकारी बॉण्ड खरीदे जाएंगे और साथ ही 10,000 करोड़ रुपये के कम अवधि की परिपक्वता (वर्ष 2020 में परिपक्व होने वाले) वाले सरकारी बॉण्ड बेंचे जाएंगे।
  • पात्र प्रतिभागी आरबीआई के कोर बैंकिंग समाधान (ई-कुबेर) पर इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में बोली लगा सकते हैं या ऑफर जमा कर सकते हैं।

आगे की राह

  • वर्तमान समय में व्याप्त आर्थिक सुस्ती से निपटने एवं उपभोग बढ़ाने के लिये व्यापक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
  • अर्थव्यवस्था में व्याप्त खामियों को दूर कर आर्थिक चुनौतियों से निपटने का प्रयास किया जाना चाहिये।

स्त्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन

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