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फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (FOPL) सिस्टम

  • 21 Apr 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एफओपीएल सिस्टम, FSSAI, डब्ल्यूएचओ, FAO, गैर-संचारी रोग।

मेन्स के लिये:

फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (FOPL) सिस्टम और संबंधित चिंताएँ, स्वास्थ्य, उपभोक्ता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 40 वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दावा किया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा उपभोक्ताओं को अस्वास्थ्यकर खाद्य (Unhealthy foods) पदार्थों के सेवन को कम करने में मदद करने हेतु “स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणाली” को अपनाने की योजना साक्ष्य-आधारित नहीं है तथा यह खरीदार के व्यवहार को बदलने में विफल रही है।

  • FSSAI खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (FSSAI अधिनियम) के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।

प्रमुख बिंदु 

भूमिका:

  • भारत में फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (FOPL) की सिफारिश पहली बार वर्ष 2014 में FSSAI द्वारा 2013 में गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई थी।
  • वर्ष 2019 में FSSAI ने  खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम मसौदा पर अधिसूचना जारी किया था ।
    • मसौदा खाद्य पदार्थों पर कलर-कोडेड लेबल (Colour-Coded Labels) को अनिवार्य बनाता है।
  • दिसंबर, 2019 में FSSAI ने FOPL को सामान्य लेबलिंग नियमों से अलग कर दिया।
  • 15 फरवरी, 2022 को FSSAI ने फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (FOPL) के लिये अपने मसौदा नियमों में "हेल्थ-स्टार रेटिंग सिस्टम" को अपनाने का फैसला लिया।

हेल्थ स्टार रेटिंग (HSR) सिस्टम:

  • हेल्थ-स्टार रेटिंग सिस्टम किसी उत्पाद को 1/2 स्टार से 5 स्टार तक की रेटिंग देता है।
  • HSR प्रारूप नमक, चीनी और वसायुक्त सामग्री के प्रारूप के आधार पर एक पैकेज्ड खाद्य पदार्थ लो रैंकिंग करता है तथा रेटिंग पैकेज पर मुद्रित की जाती है।
  • यह भारत (जो दैनिक जीवन से संबंधित बीमारियों से ग्रसित एक देश है) में इस तरह की पहली रेटिंग होगी, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को स्वस्थ भोजन चुनने के लिये मार्गदर्शन करना है।

फ्रंट-ऑफ-पैक (FoP) लेबलिंग सिस्टम:

  • FoP लेबलिंग सिस्टम को लंबे समय से उपभोक्ताओं को स्वस्थ भोजन विकल्पों में शामिल करने के लिये वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
    • यह ठीक वैसे ही कार्य करता है जैसे सिगरेट के पैकेट पर खपत को हतोत्साहित करने के लिये छवियों के साथ लेबलिंग की जाती है।
  • जैसे-जैसे भारत अधिक प्रसंस्कृत और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों के साथ आहार में बदलाव का अनुभव कर रहा है तथा यह एक बढ़ते बाज़ार में ये कारक भारत के लिये FoP लेबलिंग की आवश्यकता को प्रेरित करता हैं।
    • यह बढ़ते मोटापे और कई गैर-संचारी रोगों से लड़ने में उपयोगी भूमिका निभाएगा।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) FoP लेबल को पोषण लेबलिंग सिस्टम के रूप में परिभाषित करता है जो खाद्य पैकेजों के फ्रंट में प्रस्तुत किये जाते हैं और पोषक तत्व सामग्री या उत्पादों की पोषण गुणवत्ता पर सरल, अक्सर ग्राफिक जानकारी प्रस्तुत करते हैं।
    • खाद्य पैकेजों के पीछे प्रदान की गई अधिक विस्तृत पोषक घोषणाओं को पूरा करने के लिये इनका प्रयोग किया जाता है।
  • कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन ने उल्लेख किया है कि "FoP लेबलिंग को पोषक तत्वों की घोषणाओं की व्याख्या करने में सहायता करने के लिये डिज़ाइन किया जाता है"

भोजन के लिये स्वास्थ्य रेटिंग प्रणाली की क्या आवश्यकता है?

  • स्वास्थ्य देखभाल संबंधी लागत को कम करना:
    • FoPL के लागू होने के बाद से अधिकांश देशों ने सकारात्मक उपभोक्ता व्यवहार से लाभ उठाना शुरू कर दिया है।
    • इसने उन सरकारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्वास्थ्य देखभाल संबंधी लागत को कम करने में मदद की है।
      • चिली और ब्राज़ील उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने फूड पैक पर 'हाई-इन (high-in)' चेतावनी लेबल को अपनाया है, जो अस्वास्थ्यकर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों की खपत को कम करने में सफल रहा है।
  • एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिये:
    • भारत में फ्रंट-ऑफ-पैकेज चेतावनी लेबलिंग एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिये एक व्यापक रणनीति का एक प्रमुख घटक है क्योंकि वे उपभोक्ताओं को चीनी, सोडियम, संतृप्त वसा, ट्रांस वसा और कुल वसा में उच्च उत्पादों की पहचान करने में सक्षम बनाते हैं जो गैर-संचारी रोग (NCDs) से जुड़े महत्त्वपूर्ण पोषक तत्व हैं।।

संबंधित चिंताएंँ:

  • सकारात्मक पोषक तत्वों की मास्किंग: अधिकांश उपभोक्ता संगठनों ने 'सकारात्मक पोषक तत्व' के रूप में आपत्ति जताई, जिससे भोजन में उच्च वसा, नमक और चीनी के नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ेगा और उद्योग उपभोक्ता को गुमराह करने हेतु इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। 
  • प्रतिबंधित लक्षित समूह: लेबलिंग प्रारूप केवल उन व्यक्तियों को ही लक्षित होता है जो साक्षर और पोषण के प्रति जागरूक हैं।
    • इसके अलावा सीमित सामान्य और पोषण साक्षरता का मतलब है कि पाठ-गहन पोषक तत्वों की जानकारी को समझना मुश्किल है। 
  • उपभोक्ताओं के  भ्रमित होने की संभावना: HSR प्रणाली एक "स्वास्थ्य हेलो" (Health Halo) की ओर ले जा सकती है, जो उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकती है।

आगे की राह: 

  • सचित्र प्रकाशन पर अधिक ज़ोर: 
    • लगभग एक चौथाई भारतीय आबादी निरक्षर है इसलिये सचित्र प्रकाशन बेहतर जुड़ाव और समझ को विकसित करेगा।
    • खाद्य छवियों का लोगो और स्वास्थ्य लाभों के साथ भारत में फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग के लिये  प्रतीक आधारित होना फायदेमंद हो सकता है। 
  • अधिक अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता:  
    • पैक लेबलिंग के अनिवार्य करने से पहले मज़बूत शोध एक ऐसे प्रारूप में होना चाहिये  जो सभी के लिये समझने योग्य और स्वीकार्य हो। 
  • विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य रुचि पर आधारित:
    • किसी भी प्रकार के हितों के टकराव से बचने हेतु लेबल चुनने के निर्णय को व्यावसायिक हितों से मुक्त रखा जाना चाहिये।  
    • लेबल का चुनाव वैज्ञानिकता पर आधारित होना चाहिये और सार्वजनिक स्वास्थ्य हित चर्चा के केंद्र भी स्थापित में होना चाहिये।

Health-Indicators

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू)

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)  

  1. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 का स्थान लिया है।
  2. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक के अधीन है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)  केवल 1  
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2  

उत्तर: (a)  

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय है। इसे खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित किया गया है जो विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में खाद्य संबंधी मुद्दों को संभालने वाले विभिन्न अधिनियमों और आदेशों को समेकित करता है।
  • खाद्य मानक और सुरक्षा अधिनियम, 2006 ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 जैसे कई अधिनियमों और  फल उत्पाद आदेश, 1955 आदि आदेशों को प्रतिस्थापित किया। अत: कथन 1 सही है।
  • FSSAI का नेतृत्व केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक गैर-कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा किया जाता है जो या तो भारत सरकार के सचिव के पद से नीचे का पद धारण करता है या रखता है। यह स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के प्रभार के अधीन नहीं है। अतः कथन 2 सही नहीं है।

स्रोत: बिजनेस स्टैंडर्ड

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