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मिलावट के खिलाफ नियमों में संशोधन हेतु एफएसएसएआई का मसौदा

  • 27 Jun 2018
  • 6 min read

संदर्भ

हाल ही में खाद्य पदार्थों की नियामक संस्था, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India - FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव हेतु एक मसौदे का प्रस्ताव पेश किया है। नए नियमों एवं सिफारिश के अनुसार यदि कोई व्यक्ति खाद्य पदार्थों में मिलावट करता है तो इस अपराध के लिये 10 लाख के ज़ुर्माने के साथ-साथ उम्रकैद तक की सज़ा की सिफारिश की गई है। इसके अलावा, एफएसएसएआई ने 'खाद्य सुरक्षा और पोषण निधि' निर्मित किये जाने का भी सुझाव दिया है जिसका उद्देश्य खाद्य व्यवसाइयों और उपभोक्ताओं के बीच इसका प्रचार और आउटरीच गतिविधियों का समर्थन करना है।

एफएसएसएआई की सिफारिशें

  • खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून को 2006 में पारित किया गया था, लेकिन इसकी अधिसुचना 2011 में जारी की गई। FSSAI ने खाद्य परिवर्तन और मानक अधिनियम, 2006 में संशोधन हेतु निम्नलिखित अनुशंसाएँ प्रस्तुत की हैं- 
  • अधिनियम की धारा 59 में एक नए खंड को जोड़ने की सिफारिश की गई है, इसके अंतर्गत सात साल के कारावास का प्रावधान किया गया है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, ऐसे व्यक्तियों और व्यवसाइयों पर 10 लाख रुपए के ज़ुर्माना लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है जो जान-बूझकर खाद्य वस्तुओं में मिलावट करते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस मिलावट से किसी उपभोक्ता को कोई नुकसान हुआ है अथवा नहीं।
  • इसके अंतर्गत मिलावट किये जाने तथा मिलावट से नुकसान होने की आशंका में भी आजीवन कारावास की सज़ा की सिफारिश की गई है। यहाँ यह स्पष्ट करना अत्यंत आवश्यक है कि वर्तमान समय में यदि खाद्य पदार्थ में किसी भी प्रकार की मिलावट से उपभोक्ता की मृत्यु हो जाती है तो ही उम्रकैद का प्रावधान है, लेकिन इन प्रस्तावों पर सहमति बनने के बाद मिलावट की आशंका होने की स्थिति में भी उम्रकैद का प्रावधान किया गया है।
  • प्रस्तावित अन्य संशोधनों में राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरणों का गठन करने की बात भी कही गई है ताकि कानून का सही अर्थ में अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
  • इसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के काम में बाधा डालने या उन्हें परेशान करने अथवा उन पर हमला करने वालों के लिये सज़ा को बढ़ाकर न्यूनतम छह महीने व अधिकतम दो साल करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके साथ-साथ पाँच लाख रुपए ज़ुर्माने का भी प्रस्ताव किया गया है। वर्तमान में न्यूनतम तीन महीने की सज़ा और एक लाख रुपए ज़ुर्माने की व्यवस्था है।
  • इसके अतिरिक्त, निर्यात किये जाने वाले खाद्य पदार्थो को भी खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया गया है। वर्तमान में केवल वे खाद्य पदार्थ इस कानून के दायरे में शामिल होते हैं जिनकी बिक्री घरेलू बाज़ार में होती है अथवा जिनका आयात किया जाता है। 
  • इसके अलावा, खाने का सामान आयात करने वाली कंपनियों के संदर्भ में भी ज़िम्मेदारी तय की गई है जिससे कि किसी भी सामान में मिलावट न हो। साथ ही, इस संबंध में किसी प्रकार की दुविधा से बचने के लिये उपभोक्ताओं की परिभाषा में भी बदलाव किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त, पशुओं के खाद्य पदार्थों को भी कानून के दायरे में लाने संबंधी प्रस्ताव पेश किया गया है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण
(Food Safety and Standards Authority of India - FSSAI)

  • केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का गठन किया।
  • जिसे 1 अगस्‍त, 2011 को केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विनिमय (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) के तहत अधिसूचित किया गया। इसका संचालन भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है।
  • इसका मुख्‍यालय दि‍ल्ली में है, जो राज्‍यों के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के विभिन्‍न प्रावधानों को लागू करने का काम करता है।
  • एफएसएसएआई मानव उपभोग के लिये पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात की सुरक्षित व्यवस्था को सुनिश्चित करने का काम करता है।
  • इसके अलावा, यह देश के सभी राज्‍यों, ज़िला एवं ग्राम पंचायत स्‍तर पर खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री के तय मानकों को बनाए रखने में सहयोग करता है। यह समय-समय पर खुदरा एवं थोक खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता की जाँच भी करता है।
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