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‘फ्रंट-ऑफ-पैक’ लेबलिंग

  • 20 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

‘फ्रंट-ऑफ-पैक’ लेबलिंग, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये

‘फ्रंट-ऑफ-पैक’ लेबलिंग का महत्त्व और आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने वर्ष 2018 में खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम मसौदा जारी किया था।

  • हालाँकि कई विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों और विनियमों के बाद भी भारत में एक स्पष्ट लेबलिंग या फ्रंट-ऑफ-पैक (FoP) लेबलिंग सिस्टम लागू नहीं हो पाया है, जो उपभोक्ताओं को प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में वसा, नमक और चीनी के हानिकारक स्तरों के बारे में चेतावनी देता है।

Journey-to-nowhere

प्रमुख बिंदु

  • फ्रंट-ऑफ-पैक (FoP) लेबलिंग सिस्टम के विषय में:
    • फ्रंट-ऑफ-पैक (FoP) लेबलिंग सिस्टम को उपभोक्ताओं को स्वस्थ भोजन विकल्पों के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करने संबंधी वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
      • यह ठीक वैसे ही काम करता है जैसे सिगरेट के पैकेट पर उपभोग को हतोत्साहित करने के लिये छवियों के साथ लेबल किया जाता है।
    • जैसे-जैसे भारत में आहार प्रथाओं में बदलाव आ रहा है, लोग तेज़ी से अधिक प्रसंस्कृत एवं अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं और इनका बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसके कारण देश में फ्रंट-ऑफ-पैक (FoP) लेबलिंग की आवश्यकता काफी बढ़ गई है।
      • यह बढ़ते मोटापे और कई गैर-संचारी रोगों से लड़ने में उपयोगी भूमिका निभा सकता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) फ्रंट-ऑफ-पैक (FoP) लेबल को एक ऐसे पोषण लेबलिंग सिस्टम के रूप में परिभाषित करता है जो पोषक तत्त्वों या उत्पादों की पोषण गुणवत्ता पर सरल और ग्राफिक जानकारी प्रस्तुत करते हैं।
      • यह खाद्य पैकेजों के पीछे प्रदान की गई अधिक विस्तृत पोषक सूचनाओं का पूरक होती है।
    • WHO तथा खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानक निकाय- ‘कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन’ ने उल्लेख किया है कि ‘FAO लेबलिंग को पोषक तत्त्वों संबंधी सूचनाओं की व्याख्या करने में सहायता हेतु डिज़ाइन किया जाता है।
  •  खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम मसौदे के बारे में: 
    • नियम खाद्य पदार्थों की पैकिंग पर कलर-कोडित लेबल (colour-coded labels) को अनिवार्य करते हैं।
    • विनियमन मसौदा उपभोक्ताओं को स्वस्थ भोजन का विकल्प खोजने के लिये प्रोत्साहित करने और उत्पाद में वास्तव में क्या शामिल है, इसके बारे में सूचित करने हेतु लाया गया है।
    • सभी पैक किये गए खाद्य पदार्थों के पैकेट्स पर कुल कैलोरी, संतृप्त और ट्रांस वसा, नमक एवं अतिरिक्त चीनी सामग्री के साथ-साथ खाद्य पदार्थ द्वारा पूरी की जाने वाली दैनिक ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुपात को प्रदर्शित करना होगा।
    • FSSAI ने शाकाहारी भोजन के प्रतीक के रूप में प्रयोग होने वाले हरे गोले की आकृति को  हरी त्रिकोण आकृति में बदल दिया है ताकि नेत्रहीन लोगों को इसे मांसाहारी भोजन को दर्शाने वाले भूरे रंग के घेरे से अलग करने में मदद मिल सके।
    • प्रस्तावित नियमन के अनुसार, यदि कैलोरी, वसा, ट्रांस-वसा, चीनी और सोडियम की कुल मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक है, तो इसे लाल रंग में दर्शाया जाएगा।
  • इन नियमों से संबंधित मुद्दे:
    • पोज़िटिव न्यूट्रीयंटस  की मास्किंग/छिपाना: अधिकांश उपभोक्ता संगठनों ने आपत्ति जताई कि 'पोज़िटिव न्यूट्रीयंटस' (Positive Nutrients ) भोजन में उच्च वसा, नमक और चीनी जैसे नेगेटिव न्यूट्रीयंटस (Negative Nutrients) के प्रभावों की मास्किंग करने का कार्य करेंगे तथा उद्योग इसका उपयोग उपभोक्ता को गुमराह करने के लिये करेगा।
      • FSSAI  ने  FoP लेबल में 'पोज़िटिव न्यूट्रीयंटस एलीमेंट्स' पर भी विचार करने का प्रस्ताव रखा जो स्वस्थ खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने के नाम पर प्रोटीन, नट, फल और सब्जियों जैसे 'पोज़िटिव न्यूट्रीयंटस एलीमेंट्स' को बढ़ावा देने से संबंधित था।
    • प्रतिबंधित लक्षित दर्शक: लेबलिंग प्रारूप केवल उन व्यक्तियों के लिये उपयोगी होता है जो साक्षर और पोषण के प्रति जागरूक हैं।
      • इसके अलावा सीमित और सामान्य पोषण साक्षरता का तात्पर्य है कि विषय की गहन पोषक तत्त्वों की जानकारी को समझना मुश्किल है।
    • खाद्य उद्योग की आपत्तियाँ: भारतीय खाद्य उद्योग ने प्रस्तावित प्रारूप पर ‘विशेष रूप से लाल रंग का उपयोग करने के संबंध में’ कई चिंताएँ व्यक्त की हैं क्योंकि यह खतरे का संकेत देता है और उपभोक्ताओं को उत्पादों से दूर कर सकता है।

आगे की राह

  • सचित्र प्रतिनिधित्व पर अधिक ध्यान: लगभग एक-चौथाई भारतीय आबादी निरक्षर है, इसलिये सचित्र प्रतिनिधित्व बेहतर जुड़ाव और समझ को बढ़ाएगा।
    • खाद्य छवियों, लोगो (Logos) और स्वास्थ्य लाभों के साथ भारत में फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग का प्रतीक आधारित होना फायदेमंद हो सकता है।
  • अधिक अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता: पैक लेबलिंग की अनिवार्यता से पहले गहन शोध और इसे एक ऐसे प्रारूप में होना चाहिये जो सभी के लिये समझने योग्य और स्वीकार्य हो।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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