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भारतीय राजव्यवस्था

निशुल्क कानूनी सहायता

  • 14 Feb 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस, नालसा।

मेन्स के लिये:

निशुल्क कानूनी सहायता, संबंधित संवैधानिक प्रावधान और कानून।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कानून एवं न्याय मंत्रालय ने लोकसभा को अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता और आउटरीच अभियान के बारे में सूचित किया, जिसे राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस (NLSD) के अवसर पर अक्तूबर 2021 में शुरू किया गया था।

सभी नागरिकों के लिये उचित, निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस (NLSD) मनाया जाता है।

राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस (NLSD) और संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  • परिचय:

    • वर्ष 1995 में पहली बार NLSD को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों को सहायता प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
    • इसके तहत सिविल, आपराधिक और राजस्व न्यायालयों, न्यायाधिकरणों या अर्द्ध-न्यायिक कार्य करने वाले किसी अन्य प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित मामलों में मुफ्त कानूनी सेवाएंँ प्रदान की जाती हैं।
    • इस दिवस को देश के नागरिकों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत विभिन्न प्रावधानों और वादियों के अधिकारों से अवगत कराने हेतु मनाया जाता है। इस दिन प्रत्येक कानूनी क्षेत्राधिकार में सहायता शिविर, लोक अदालत एवं कानूनी सहायता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
  • संवैधानिक प्रावधान:

    • अनुच्छेद 39A कहता है, राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार काम करे जिससे समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो और विशिष्टतया यह सुनिश्चित करने के लिये कि आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए, निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।
    • अनुच्छेद 14 और 22(1) भी राज्य के लिये कानून के समक्ष समानता और सभी के लिये समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने वाली कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाते हैं।

कानूनी सेवा प्राधिकरणों के उद्देश्य:

  • मुफ्त कानूनी सहायता और सलाह प्रदान करना।
  • कानूनी जागरूकता का प्रसार।
  • लोक अदालतों का आयोजन करना।
  • वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution- ADR) तंत्र के माध्यम से विवादों के निपटारे को बढ़ावा देना। विभिन्न प्रकार के ADR तंत्र हैं- मध्यस्थता, सुलह, न्यायिक समझौता जिसमें लोक अदालत के माध्यम से निपटान या मध्यस्थता शामिल है।
  • अपराध पीड़ितों को मुआवज़ा प्रदान करना।

निशुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये कानूनी सेवा संस्थान:

  • राष्ट्रीय स्तर:
    • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA): इसका गठन कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया था। भारत का मुख्य न्यायाधीश इसका मुख्य संरक्षक है।
  • राज्य स्तर:
    • राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण: इसकी अध्यक्षता राज्य उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश करता है, जो इसका मुख्य संरक्षक है।
  • ज़िला स्तर:
    • ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण: ज़िले का ज़िला न्यायाधीश इसका पदेन अध्यक्ष होता है।
  • तालुका/उप-मंडल स्तर:
    • तालुका/उप-मंडल विधिक सेवा समिति: इसकी अध्यक्षता एक वरिष्ठ सिविल जज करता है।
  • उच्च न्यायालय: उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति
  • सर्वोच्च न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति।

निशुल्क कानूनी सेवाएंँ प्राप्त करने के लिये पात्र व्यक्ति:

  • महिलाएंँ और बच्चे
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य
  • औद्योगिक कामगार
  • सामूहिक आपदा, हिंसा, बाढ़, सूखा, भूकंप, औद्योगिक आपदा के शिकार।
  • दिव्यांग व्यक्ति
  • हिरासत में उपस्थित व्यक्ति वे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय संबंधित राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राशि से कम है, अगर मामला सर्वोच्च न्यायालय से पहले किसी अन्य अदालत के समक्ष है और यदि मामला 5 लाख रुपए से कम का है तो वह सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जाएगा।
  • मानव तस्करी के शिकार या बेगार में संलग्न लोग।

स्रोत: पी.आई.बी.

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