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भारतीय राजव्यवस्था

‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ को बढ़ावा देना

  • 09 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

ऑनलाइन विवाद समाधान

मेन्स के लिये:

ऑनलाइन विवाद समाधान से संबंधित तथ्य 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग (National Institution for Transforming India- NITI Aayog) ने ‘आगामी और ओमिदयार नेटवर्क इंडिया’ (Agami and Omidyar Network India) के साथ मिलकर ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ (Online Dispute Resolution- ODR) को आगे बढ़ाने हेतु वर्चुअल बैठक आयोजित की गई । 

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि वर्चुअल बैठक में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश, प्रमुख सरकारी मंत्रालयों के सचिव, उद्योगजगत के अग्रणी लोग, कानून के विशेषज्ञ और प्रमुख  उद्यमियों ने भाग लिया।
  • इस बैठक का सामान्य विषय भारत में ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ को आगे बढ़ाने के प्रयास सुनिश्चित करने के लिये सहयोगपूर्ण रूप से कार्य करने की दिशा में बहु-हितधारक सह‍मति कायम करना था।
  • ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ (Online Dispute Resolution- ODR):
    • ऑनलाइन विवाद समाधान तंत्र से तात्पर्य वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternate Dispute Resolution- ADR) की डिजिटल तकनीक का उपयोग कर विशेष रूप से छोटे और मध्‍यम किस्‍म के विवादों का बातचीत, बीच-बचाव और मध्यस्थता के माध्यम से समाधान करना है।
    • इस विधि में विवादों के समाधान की सुविधा के लिये सभी पक्षों द्वारा ऑनलाइन प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है।
    • ऑनलाइन विवाद समाधान विवादों को कुशलतापूर्वक और किफायती तरीके से सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है।
    • ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ सुविधाजनक, सटीक, समय की बचत करने वाला और किफायती है।

ऑनलाइन विवाद समाधान की आवश्यकता क्यों?

  • भारतीय न्यायपालिका देश में लंबित मामलों में हो रही वृद्धि की समस्या से जूझ रही है तथा जजों की कमी से नागरिकों को भी समय पर न्याय नहीं मिल पाता है।
  • इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय को भी सामान्य मामलों से मुक्ति की ज़रूरत है ताकि वह अपने संविधान के आदर्शों को बनाए रखने के कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सके।
  • न्यायालय की प्रक्रिया आम आदमी हेतु आर्थिक दृष्टि से वहनीय नहीं होती तथा सुनवाई हेतु कई बार न्यायालय में उपस्थित होने से इनकी आजीविका भी प्रभावित होती है।

ऑनलाइन विवाद समाधान के लाभ:

  • न्यायालय के लंबित मामलों में कमी आएगी।
  • नागरिकों की न्याय तक सुलभ और सस्ती पहुँच सुनिश्चित होगी। 
  • ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ से मुकदमों को हल करने में तेज़ी आएगी तथा नागरिकों को त्वरित न्याय की प्राप्ति होगी। 
  • न्यायालयों की अवसंरचना संबंधी खर्च में कमी आएगी।
  • सुविधाजनक, सटीक, समय की बचत और लागत-बचत।

ऑनलाइन विवाद समाधान के चुनौतियाँ:

  • देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की पहुँच एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान किये बिना ऑनलाइन विवाद समाधान तंत्र के विस्तार की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • भारत में ऑनलाइन मध्यस्थता के कार्यान्वयन की राह में शिक्षा की कमी और प्रौद्योगिकी तक पहुँच न होना एक और बड़ी समस्या है।
  • तकनीक का असमान वितरण अर्थात् सभी तक तकनीक की एक जैसी पहुँच न होना भी ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ के राह की एक अन्य बड़ी बाधा है। 
  • विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी, इंटरनेट और ई-कॉमर्स के अवसरों का असमान वितरण इस तंत्र की स्वीकृति और मान्यता को बाधित करता है। 

वर्तमान परिदृश्य में महत्त्व:

  • COVID-19 महामारी के पश्चात् नागिरिकों को न्याय तक कुशल और किफायती पहुँच उपलब्‍ध कराने हेतु ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ के तहत प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है।
  • COVID-19 महामारी के दौरान ODR के माध्यम से COVID-19-संबंधी विवादों (विशेष रूप से ऋण, ऋण, संपत्ति, वाणिज्य और खुदरा क्षेत्र में) का निपटारा करना जो आर्थिक पुनरुद्धार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 

आगे की राह:

  • भविष्य में न्यायपालिका के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिये उचित उपाय किये जाने चाहिये। यदि ऐसा नहीं किया गया तो भारत में ऑनलाइन विवाद समाधान केवल एक सिद्धांत बनकर रह जाएगा। 
  • नागरिकों को सूचना एवं तकनीक से जोड़ने हेतु उन्हें प्रशिक्षित करने के प्रयास किये जाने चाहिये।
  • भविष्य एक हाइब्रिड मॉडल होगा जो वास्तविक और आभासी दुनिया का सबसे अच्छा संयोजन होगा। हाइब्रिड सिस्टम के क्रियान्वयन हेतु न्याय वितरण की पूरी प्रक्रिया को नए सिरे से तैयार करना होगा। 

स्रोत: पीआईबी

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