श्रीलंका संकट पर चार सूत्री रणनीति | 03 Dec 2021

प्रिलिम्स के लिये:

मित्र शक्ति, ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना

मेन्स के लिये:

श्रीलंका संकट पर चार सूत्री रणनीति, भारत-श्रीलंका संबंध और चीन की चुनौती

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और श्रीलंका ने श्रीलंका के आर्थिक संकट को कम करने में मदद हेतु खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा करने के लिये चार सूत्री रणनीति पर सहमति व्यक्त की है।

  • इस वर्ष की शुरुआत में श्रीलंका ने बढ़ती खाद्य कीमतों, मुद्रा मूल्यह्रास और तेज़ी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार के बीच आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी।

Sri-Lanka

प्रमुख बिंदु 

  • चार सूत्री रणनीति:
    • लाइन ऑफ क्रेडिट: भारत द्वारा भोजन, दवाओं और ईंधन की खरीद के लिये ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ सुविधा प्रस्तुत की गई है।
      • ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ एक क्रेडिट सुविधा है, जो किसी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान द्वारा सरकार, व्यवसाय या व्यक्तिगत ग्राहक को दी जाती है, यह ग्राहक को अधिकतम ऋण राशि प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
    • करेंसी स्वैप: श्रीलंका के भुगतान संतुलन के मुद्दों से निपटने के लिये एक ‘मुद्रा स्वैप समझौता’ भी किया गया है।
      • ‘स्वैप’ शब्द का अर्थ है ‘विनिमय’। करेंसी स्वैप अथवा मुद्रा विनिमय का आशय दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित नियमों और शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान हेतु किये गए समझौते या अनुबंध से है।
    • आधुनिकीकरण परियोजना: ‘ट्रिंको तेल फार्म’ की प्रारंभिक आधुनिकीकरण परियोजना, जिसे भारत कई वर्षों से अपना रहा है।
      • त्रिंकोमाली हार्बर, दुनिया के सबसे गहरे प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेज़ों द्वारा विकसित किया गया था।
      • त्रिंकोमाली में तेल के बुनियादी अवसंरचना को विकसित करने संबंधी परियोजनाएँ वर्ष 2017 से लंबित हैं।
    • भारतीय निवेश: विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निवेश को सुगम बनाने हेतु श्रीलंका की प्रतिबद्धता।
  • भारत-श्रीलंका संबंधों में हाल के मुद्दे:
    • मछुआरे की हत्या:
      • श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या दोनों देशों के बीच एक पुराना मुद्दा है।
    • ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना:
      • इस वर्ष (2021) श्रीलंका ने ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना के लिये भारत और जापान के साथ हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन को रद्द कर दिया।
        • भारत ने इस कदम का विरोध किया, हालाँकि बाद में वह अडानी समूह द्वारा विकसित किये जा रहे वेस्ट कोस्ट टर्मिनल के लिये सहमत हो गया।
    • चीन का प्रभाव
      • श्रीलंका में चीन के तेज़ी से बढ़ते आर्थिक पदचिह्न और परिणाम के रूप में राजनीतिक दबदबा भारत-श्रीलंका संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है।
        • चीन पहले से ही श्रीलंका में सबसे बड़ा निवेशक है, जो कि वर्ष 2010-2019 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का लगभग 23.6% था, जबकि भारत का हिस्सा केवल 10.4 फीसदी है।
        • चीन श्रीलंकाई सामानों के लिये सबसे बड़े निर्यात स्थलों में से एक है और श्रीलंका के विदेशी ऋण के 10% हेतु उत्तरदायी है।
    •   श्रीलंका का 13वाँ संविधान संशोधन: 
      • यह एक संयुक्त श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति और सम्मान के लिये तमिल लोगों की उचित मांग को पूरा करने हेतु प्रांतीय परिषदों को आवश्यक शक्तियों के हस्तांतरण की परिकल्पना करता है।

भारत-श्रीलंका संबंध

  • पृष्ठभूमि: भारत और श्रीलंका के द्विपक्षीय संबंधों का इतिहास 2,500 वर्षों से भी अधिक पुराना है, दोनों देशों ने बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी संबंधों की विरासत का निर्माण किया है। 
  • आतंकवाद के खिलाफ समर्थन: गृहयुद्ध के दौरान भारत ने आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये श्रीलंका सरकार का समर्थन किया।
  • पुनर्वास सहायता: भारतीय आवास परियोजना (Indian Housing Project) भारत सरकार की श्रीलंका को विकासात्मक सहायता की प्रमुख परियोजना है। इसकी आरंभिक प्रतिबद्धता गृहयुद्ध से प्रभावित लोगों के साथ-साथ बागान क्षेत्रों में संपदा/एस्टेट श्रमिकों के लिये 50,000 घरों का निर्माण करना है।
  • कोविड-19 के दौरान सहायता:  भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने विदेशी भंडार को बढ़ावा देने और देश में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये श्रीलंका को 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुद्रा विनिमय (Currency Swap) सुविधा का विस्तार करने हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जब वह कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित था। हाल ही में भारत ने श्रीलंका को भी कोविड-19 के टीके की आपूर्ति की है।
  • संयुक्त अभ्यास: भारत और श्रीलंका संयुक्त सैन्य अभ्यास (मित्र शक्ति) तथा नौसैनिक अभ्यास- स्लीनेक्स (SLINEX) आयोजित करते हैं।
  • समूहों के बीच भागीदारी: श्रीलंका भी बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) और सार्क जैसे समूहों का सदस्य है जिसमें भारत प्रमुख भूमिका निभाता है।

आगे की राह

  • भारत और श्रीलंका के बीच एक ज़मीनी स्तर पर विश्वास की कमी है, फिर भी दोनों देश आपसी संबंधों को खराब करने के पक्ष में नहीं है। 
  • हालाँकि एक बड़े देश के रूप में भारत पर श्रीलंका को साथ ले चलने की ज़िम्मेदारी है। भारत को धैर्य रखने की ज़रूरत है और किसी भी तनाव पर प्रतिक्रिया करने से बचना चाहिये तथा श्रीलंका (विशेष रूप से उच्चतम स्तर पर) को और अधिक नियमित रूप से तथा बारीकी से इस कार्य में संलग्न करना चाहिये।
  • कोलंबो के घरेलू मामलों में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से दूर रहते हुए भारत को अपनी जन-केंद्रित विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। 
  • श्रीलंका के साथ ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का संपोषण भारत के लिये हिंद महासागर क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को संरक्षित करने के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। 

स्रोत: द हिंदू