भारतीय अर्थव्यवस्था
ग्रीन हाउस गैस में कमी हेतु फूड बैंक
- 19 Sep 2024
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:मीथेन उत्सर्जन से बचने के लिये खाद्य पुनर्प्राप्ति (FRAME), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) , सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), सतत् विकास लक्ष्य (SDG) , ग्रीनहाउस गैसें। मेन्स के लिये:खाद्यान्न की बर्बादी, भारत और विश्व में खाद्यान्न की बर्बादी का वर्तमान परिदृश्य, खाद्यान्न की बर्बादी के कारण, इसे कम करने के लिये उठाए गए कदम। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
मेथेन उत्सर्जन से बचने के लिए खाद्य पुनर्प्राप्ति (Food Recovery to Avoid Methane Emissions- FRAME) नामक एक नई पद्धति पर आधारित हालिया अनुमानों के अनुसार, फूड बैंक, ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कटौती कर जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- प्रत्येक फूड बैंक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में उतनी ही कमी लाता है, जितनी एक वर्ष में सड़कों से 900 गैसोलीन-संचालित कारों को हटाने से आती है।
नोट:
- FRAME एक ऐसा उपकरण है जिसे खाद्य पुनर्प्राप्ति और पुनर्वितरण के माध्यम से खाद्यान्न की बर्बादी (food loss and waste-FLW) के पर्यावरणीय प्रभाव को मापने और कम करने के लिये विकसित किया गया है ।
- मेक्सिको और इक्वाडोर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में FRAME द्वारा छह समुदाय-संचालित फूड बैंकों का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि उन्होंने सामूहिक रूप से एक वर्ष में 816 मीट्रिक टन मीथेन उत्सर्जन को रोका, जो कि प्रति फूड बैंक औसतन 136 मीट्रिक टन था।
- यह पद्धति फूड बैंकों को खाद्य पुनर्प्राप्ति से होने वाले उत्सर्जन पर नज़र रखने में मदद करती है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आती है, साथ ही खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है, तथा पर्यावरणीय एवं सामाजिक चुनौतियों का समाधान होता है।
खाद्यान्न की बर्बादी रोकने में फूड बैंक कितने प्रभावी हैं?
- फूड बैंक:
- फूड बैंक एक गैर-लाभकारी संगठन है जो ऐसे लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है जो भूख से बचने के लिये पर्याप्त भोजन जुटाने में कठिनाई महसूस करते हैं।
- यह आमतौर पर अन्य संगठनों जैसे कि फूड पैंट्री और किचन सूप के माध्यम से कार्य करता है , हालाँकि कुछ फूड बैंक प्रत्यक्ष रूप से स्वयं भोजन वितरित करते हैं।
- वे खाद्य आपूर्ति शृंखला से अधिशेष भोजन एकत्र कर सामुदायिक संगठनों के माध्यम से भूख से जूझ रहे लोगों में वितरित करते हैं।
- फूड बैंकों का वैश्विक प्रभाव:
- उत्सर्जन में कमी: अनुमान है कि प्रत्येक फूड बैंक प्रतिवर्ष 906 गैसोलीन-संचालित कारों के बराबर GHG उत्सर्जन से बचता है , या एक दशक में उगाए गए लगभग 63,000 वृक्षों के पौधों के बराबर कार्बन भंडारण से बचता है।
- वर्ष 2019 में फूड बैंकों ने सामूहिक रूप से 12 मिलियन टन से अधिक CO2 समतुल्य उत्सर्जन को रोका और 75 मिलियन टन पौष्टिक भोजन को लैंडफिल में जाने से बचाया।
- खाद्य सुरक्षा: फूड बैंकों ने अपने नेटवर्क के अंतर्गत भूख से जूझ रहे 66 मिलियन से अधिक लोगों को भोजन प्रदान किया।
- भोजन को पुनः प्राप्त और पुनर्वितरित करके, ये संगठन न केवल पर्यावरणीय प्रभावों को कम करते हैं, बल्कि कमज़ोर आबादी के लिये भी खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों के साथ संरेखण: FRAME संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य 12.3 का समर्थन करता है , जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक खुदरा और उपभोक्ता स्तर पर वैश्विक खाद्य अपशिष्ट को आधा करना है।
- उत्सर्जन में कमी: अनुमान है कि प्रत्येक फूड बैंक प्रतिवर्ष 906 गैसोलीन-संचालित कारों के बराबर GHG उत्सर्जन से बचता है , या एक दशक में उगाए गए लगभग 63,000 वृक्षों के पौधों के बराबर कार्बन भंडारण से बचता है।
खाद्यान्न की बर्बादी की वर्तमान स्थिति क्या है?
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का अनुमान है कि विश्व स्तर पर 31% खाद्यान्न की बर्बादी हो जाती है, जिसमें से 14% फसल कटाई के बाद तथा अतिरिक्त 17% खुदरा एवं उपभोक्ता स्तर पर बर्बाद हो जाता है ।
- संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारतीय परिवार अपने भोजन का 40%, या 78.2 मिलियन टन प्रति वर्ष बर्बाद कर देते हैं, जिससे देश को लगभग 92,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होता है।
- भारत में प्रति व्यक्ति भोजन की बर्बादी 55 किलोग्राम प्रति वर्ष है, तथा ग्रामीण क्षेत्रों में यह बर्बादी शहरी क्षेत्रों की तुलना में कम है।
- दक्षिण एशिया मे भूटान में प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की बर्बादी सबसे कम 19 किलोग्राम प्रति वर्ष, जबकि पाकिस्तान में यह दर सबसे अधिक 130 किलोग्राम प्रति वर्ष है।
खाद्यान्न की बर्बादी के परिणाम:
- इससे भुखमरी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है ।
- लैंडफिल में खाद्य अपशिष्ट से शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस मीथेन उत्पन्न होती है, जो पहले 20 वर्षों में CO2 की तुलना में 80 गुना अधिक ऊष्मा ग्रहण कर लेती है।
- वर्ष 2017 में, खाद्यान्न की बर्बादी और अपशिष्ट से उत्सर्जन 9.3 गीगाटन CO2 समतुल्य (GtCO2e) तक पहुँच गया है।
- खाद्य प्रणालियाँ वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग एक-तिहाई के लिये ज़िम्मेदार हैं, तथा खाद्यान्न की बर्बादी इस आँकड़ें के आधे के लिये ज़िम्मेदार हैं।
नोट:
- वर्ष 2030 तक खाद्यान्न की बर्बादी को आधा करने के लिये खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट, राष्ट्रीय प्रगति को नियंत्रित करती है (SDG 12.3)। SDG 12 का उद्देश्य सतत् उपभोग और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना है।
आगे की राह:
- निम्न लक्ष्य निर्धारित करना: सरकार को सतत् विकास लक्ष्यों (SGD) के अनुरूप राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर मापन योग्य और समयबद्ध निम्न लक्ष्य निर्धारित करके खाद्य अपव्यय को कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देना: स्कूल पाठ्यक्रमों में खाद्य अपशिष्ट शिक्षा को शामिल करके, जागरूकता अभियान शुरू करके और व्यवसायों को सतत् प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करके सतत् खाद्य उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करना।
- खाद्य पुनर्प्राप्ति नेटवर्क को सुदृढ़ बनाना: खाद्य पुनर्प्राप्ति कार्यक्रमों के विकास का समर्थन करना, जो प्रौद्योगिकी और स्थानीय पहलों का लाभ उठाते हुए, कमज़ोर आबादी को अधिशेष भोजन वितरित करते हैं।
- अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ाना: जैविक कचरे का पुन: उपयोग करने और लैंडफिल पर भार कम करने के लिय, बड़े पैमाने पर खाद निर्मित करने, बायोगैस सुविधाओं और अपशिष्ट-से-ऊर्जा पहल जैसे कुशल खाद्य अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करना।
निष्कर्ष:
जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा से निपटने में फूड बैंकों के प्रभाव को अधिकतम करने हेतु खाद्य पुनर्प्राप्ति पहलों को बढ़ावा देने वाली नीतियों का समर्थन करना आवश्यक है। खाद्य प्रणाली में हितधारकों के बीच जागरूकता, वित्त पोषण और सहयोग में वृद्धि से फूड बैंकों की प्रभावशीलता बढ़ सकती है। खाद्य अपशिष्ट को संबोधित करके, हम वैश्विक स्तर पर जलवायु लक्ष्यों और खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों दोनों को प्राप्त करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न भारत खाद्यान्न की बर्बादी की समस्या का प्रभावी ढंग से निपटन करके इसे अवसर में किस प्रकार बदल सकता है? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख और कुपोषण को खत्म करने में कैसे मदद की है? (मुख्य परीक्षा, 2021) |