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कृषि

पहला लैवेंडर महोत्सव

  • 28 May 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पर्पल रेवोल्यूशन, अरोमा मिशन। 

मेन्स के लिये:

लैवेंडर की खेती और इसका महत्त्व, कृषि मूल्य निर्धारण, कृषि संसाधन। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जम्मू के भद्रवाह में भारत के पहले लैवेंडर महोत्सव का उद्घाटन किया गया। 

  • लैवेंडर की खेती ने जम्मू और कश्मीर के दूरदराज़ के क्षेत्रों में लगभग 5,000 किसानों और युवा उद्यमियों के लिये रोज़गार पैदा किया है। 200 एकड़ में इसकी खेती करने वाले 1,000 से अधिक किसान परिवार इसमें शामिल हैं। 

लैवेंडर क्रांति: 

  • परिचय: 
    • बैंगनी या लैवेंडर क्रांति 2016 में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) अरोमा मिशन के माध्यम से शुरू की गई थी। 
    • जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी 20 ज़िलों में लैवेंडर की खेती की जाती है। 
    • पहली बार में किसानों को खेती के लिये मुफ्त में लैवेंडर के पौधे दिये गए, जबकि जिन किसानों ने पहले लैवेंडर की खेती की थी, उन्हें 5-6 रुपए प्रति पौधा दिया गया था। 
  • लक्ष्य: 
    • आयातित सुगंधित तेलों की बजाय घरेलू किस्मों को बढ़ावा देकर घरेलू सुगंधित फसल आधारित कृषि अर्थव्यवस्था का समर्थन करना। 
  • उत्पाद: 
    • मुख्य उत्पाद लैवेंडर तेल है जो कम-से-कम 10,000 रुपए प्रति लीटर बिकता है। 
    • लैवेंडर का जल जो लैवेंडर के तेल से अलग होता है, का उपयोग अगरबत्ती बनाने के लिये किया जाता है। 
    • हाइड्रोसोल जो कि फूलों से आसवन के बाद बनता है, साबुन और रूम फ्रेशनर बनाने के लिये उपयोग किया जाता है। 
  • महत्त्व: 
    • यह 2022 तक कृषि आय को दोगुना करने की सरकार की नीति के अनुरूप है। 
    • यह उभरते किसानों, कृषि उद्यमियों को आजीविका के साधन प्रदान करने में मदद करेगा और स्टार्टअप इंडिया अभियान एवं क्षेत्र में उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देगा। 
      • 500 से अधिक युवाओं ने बैंगनी क्रांति का लाभ उठाया था और अपनी आय में कई गुना  वृद्धि की। 

अरोमा मिशन: 

  • परिचय:  
    • इत्र उद्योग और ग्रामीण रोज़गार के विकास को बढ़ावा देने के लिये कृषि, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास के क्षेत्रों में वांछित हस्तक्षेप के माध्यम से सुगंध क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिये CSIR द्वारा अरोमा मिशन की परिकल्पना की गई है। 
    • यह मिशन ऐसे आवश्यक तेलों के लिये सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देगा, जिनकी अरोमा (इत्र) उद्योग में काफी अधिक मांग है। 
  • यह मिशन भारतीय किसानों और अरोमा (सुगंध) उद्योग को ‘मेन्थॉलिक मिंट’ जैसे कुछ अन्य आवश्यक तेलों के उत्पादन व निर्यात में वैश्विक प्रतिनिधि बनने में मदद करेगा। 
  • इसका उद्देश्य उच्च लाभ, बंजर भूमि के उपयोग और जंगली एवं पालतू जानवरों से फसलों की रक्षा करके किसानों को समृद्ध बनाना है। 
  • अरोमा मिशन चरण- I एवं चरण II: 
    • पहले चरण के दौरान CSIR ने 6000 हेक्टेयर भूमि पर खेती करने में मदद की और देश भर के 46 आकांक्षी ज़िलों को कवर किया। इसके अलावा 44,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया। 
    • फरवरी 2021 में CSIR ने अरोमा मिशन का दूसरा चरण शुरू किया जिसमें 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधनों को शामिल करने का प्रस्ताव है जिससे देश भर में 75,000 से अधिक किसान परिवारों को लाभ होगा। 
  • नोडल एजेंसी: 
  • सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय और सुगंधित पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ इसकी नोडल एजेंसी है। 
  • संभावित परिणाम: 
    • लगभग 5500 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को सुगंधित नकदी फसलों की कैप्टिव खेती के तहत लाना, विशेष रूप से पूरे देश में वर्षा सिंचित / निम्नीकृत भूमि को लक्षित करना। 
    • पूरे देश में किसानों/उत्पादकों को आसवन और मूल्यवर्द्धन के लिये तकनीकी और ढांँचागत सहायता प्रदान करना। 
    • किसानों/उत्पादकों हेतु लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी बाय-बैक (Buy-Back) तंत्र को सक्षम करना। 
    • वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था में उनके एकीकरण के लिये आवश्यक तेलों व सुगंध सामग्री का मूल्यवर्नद्ध करना। 
       

      स्रोत: पी.आई.बी. 

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