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स्टार्ट-अप इण्डिया एवं स्टैंड-अप इण्डिया

  • 05 Apr 2019
  • 6 min read

भूमिका

16 जनवरी, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नया उद्यम शुरू करने वाले स्टार्ट-अप कारोबारियों के लिये तीन साल का टैक्स अवकाश, पूंजीगत लाभ टैक्स से छूट, इंस्पेक्टर राज मुक्त परिवेश और वित्तपोषण के लिये ₹10,000 करोड़ के कोष की घोषणा की। इसके साथ ही 5 अप्रैल, 2016 को केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों एवं महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये स्टैंड-अप योजना की भी शुरुआत की।

स्टार्ट-अप इण्डिया एवं स्टैंड-अप इण्डिया

  • ये मुख्यतः ऐसी योजनाएँ हैं जिनके तहत नए छोटे-बड़े उद्यमों को शुरू करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा, जिसमें लोन सुविधा, उचित मार्गदर्शन एवं अनुकूल वातावरण आदि को शामिल किया गया है। इसके तहत ज़रूरी स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
  • स्टार्ट-अप इण्डिया, स्टैंड-अप इण्डिया योजना का मुख्य उद्देश्य कुल मिलाकर उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है जिससे देश में रोज़गार के अवसर बढ़ें।
  • योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिये इस योजना को ‘डिप’ (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एण्ड प्रोमोशन) को सौंपा गया है।

स्टार्ट-अप इण्डिया स्टैंड-अप इण्डिया के लिये कार्य योजना

इसमें शामिल 19 कार्य योजनाओं में से कुछ प्रमुख योजनाएँ निम्न हैं-

  • ई-रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
  • स्वप्रमाणित व्यवस्था शुरू होगी।
  • इससे संबंधित वेब पोर्टल और मोबाइल एप शुरू किया जाएगा।
  • आसान निकासी व्यवस्था।
  • स्टार्ट-अप प्रारंभ करने वाली कंपनियो को पेटेंट दाखिल करने के शुल्क में 80% की छूट।
  • क्रेडिट गारंटी कोष का समावेशन।
  • अटल नवाचार मिशन की शुरुआत जिसमें नवाचार संबंधित पाठ्यक्रम छात्रें के लिये शुरू किये जाएंगे।

रोज़गार के अवसर

  • नैसकॉम स्टार्ट-अप, 2015 रिपोर्ट के अनुसार स्टार्ट-अप के जरिये 2014-20 तक 65,000 नई नौकरियाँ लाई जाएंगी और ऐसी उम्मीद की जा रही है कि यह आँकड़ा 25,000 तक पहुँचेगा।
  • अगर यह पहला पड़ाव उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन करता है तो नौकरियों के लिये और भी अधिक स्थान होंगे। फिलहाल यह अधिकतर प्राइवेट सेक्टर से संबंधित हैं।

अंतर्राष्ट्रीय निवेश के मापदंड

  • अंतर्राष्ट्रीय निवेश के मापदण्डों की यदि अब बात की जाए तो उसमें भारत ने काफी सुधार किया है। चाहे वे अनुमान विश्व बैंक के हों या अन्य देशों के, सभी ने ‘मेक इन इण्डिया’ तथा ‘स्किल इण्डिया’ जैसी योजनाओं की प्रशंसा की है। इन योजनाओं के बाद भारत में निवेश की अपार संभावनाएँ खुली हैं।
  • पिछले तीन वर्षों में नवीन स्टार्ट-अप ने उम्दा प्रदर्शन किया है। परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय निवेश में सुधार हुआ है।

उचित मार्गदर्शन एवं संरक्षण

  • सरकार की योजनानुसार देश के युवाओं को देश के अन्य शिक्षण संस्थानों, जैसे IIF एवं IIM आदि के नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।
  • इससे देश के युवाओं को इन सभी बड़ी यूनिवर्सिटी और अन्य औद्योगिक एशिया के सम्पर्क में आ जाने से बेहतर ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त होगा जिससे उन्हें संरक्षण प्राप्त होगा।

योजना में आने वाली संभावित समस्याएँ

  • कई स्टार्ट-अप मार्केट कंडीशन, एंट्री टाइमिंग आदि के कारण असफल हो जाती हैं। इसी कारण से असफल स्टार्ट-अप के उदाहरण अधिक दिखाई देते हैं जबकि यह एक सत्य है कि कोई भी बड़ा उद्योगपति पहले असफलता की सीढ़ी चढ़ता है।
  • अब तक कोई उचित स्टार्ट-अप नियम एवं बाहर निकलने का प्रावधान नहीं बनाया गया है।
  • स्टार्ट-अप की सबसे अधिक संभावनाएँ छोटे कस्बों एवं गाँवों में हैं लेकिन उन्हें इस योजना से जोड़ना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
  • सरकारी निवेशकों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। स्टार्ट-अप प्रारम्भ करने वाले लोगों को पेपर वर्क करने में अनुभव की कमी होगी। इस दशा में सुधार किया जाना तत्काल ज़रूरी है।

निष्कर्ष

स्टार्ट-अप इण्डिया, स्टैंड-अप इण्डिया योजना भारत सरकार का एक सार्थक प्रयास है जिसके माध्यम से देश में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और देश तेजी से प्रगति की ओर अग्रसर होगा। इसके साथ ही इस कार्य की सफलता हेतु इसका गाँव और छोटे शहरों से जुड़ना बेहद आवश्यक है क्योंकि देश की अधिकांश जनसंख्या वहीं निवास करती है और इन्हीं स्थानों पर रोज़गार की सबसे अधिक समस्या भी है।

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