भारतीय राजव्यवस्था
भारतीय संविधान में प्रथम संशोधन
- 31 Oct 2022
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प्रिलिम्स के लिये:अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 19, राष्ट्रीय सुरक्षा, जनहित याचिका, सर्वोच्च न्यायालय, राजद्रोह। मेन्स के लिये:वर्ष 1951 का भारतीय संविधान का पहला संशोधन और इसके निहितार्थ। |
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1951 में संविधान में पहले संशोधन द्वारा भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में किये गए परिवर्तनों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका की जाँच करने के लिये सहमति व्यक्त की है।
- न्यायालय ने कहा कि यह एक विचार-विमर्श वाला कानूनी मुद्दा है और इस पर केंद्र की राय अपेक्षित है।
याचिकाकर्त्ता के तर्क:
- आपत्तिजनक प्रविष्टियाँ (Objectionable Insertions):
- संशोधन अधिनियम की धारा 3(1) द्वारा अनुच्छेद 19 के मूल खंड (2) को एक नए खंड (2) के साथ प्रतिस्थापित किया गया, जिसमें दो आपत्तिजनक प्रविष्टियाँ थीं।
- अनुच्छेद 19 का मूल खंड (2) अनुच्छेद 19 (1) (a) के तहत गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंधों से संबंधित था।
- नए खंड (2) में "दो आपत्तिजनक प्रविष्टियाँ " शामिल हैं, जो "लोक व्यवस्था के हित में" और "अपराध को उकसाने के संबंध में" भी प्रतिबंधों की अनुमति देती हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा की उपेक्षा:
- इस संशोधन द्वारा 'राज्य की अखंडता को नुकसान पहुँचाने के संदर्भ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा की भी उपेक्षा की गई है,जिससे कट्टरपंथ, आतंकवाद और धार्मिक कट्टरवाद द्वारा धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य की अवधारणा के प्रति गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है।
- ये दो प्रविष्टियाँ निम्न धाराओं (Sections) को प्रतिरक्षा देती हैं:
- 124A: राजद्रोह
- 153 A: धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव के प्रतिकूल कार्य करना।
- 295A: जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण कार्य करना, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं या उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना है।
- 505: असंवैधानिक तरीके से भारतीय दंड संहिता के तहत सार्वजनिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचाने वाले वक्तव्य देना।
- धारा 3 (1) (a) - 3 (2) को अप्रभावी करना:
- इस याचिका में न्यायालय से पहले संशोधन की धारा 3 (1) (a) और 3 (2) को "संसद की संशोधन शक्ति से परे" घोषित करने तथा इसे "संविधान की आधारभूत संरचना को नुकसान पहुँचाने एवं नष्ट करने" के आधार पर शून्य घोषित करने का आग्रह किया गया।
संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 1951:
- विषय:
- प्रथम संशोधन वर्ष 1951 में अनंतिम संसद द्वारा पारित किया गया था, जिसके सदस्य संवैधानिक सभा के हिस्से के रूप में संविधान का मसौदा तैयार करने का काम समाप्त कर चुके थे।
- प्रथम संशोधन अधिनियम ने अनुच्छेद 15, 19, 85, 87, 174, 176, 341, 342, 372 और 376 में संशोधन किया।
- कानून की रक्षा के लिये संपत्ति अधिग्रहण आदि की व्यवस्था।
- भूमि सुधारों और इसमें शामिल अन्य कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिये नौवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके पश्चात अनुच्छेद 31 के बाद अनुच्छेद 31ए और 31बी जोड़े गए।
- संशोधन का कारण:
- इन संशोधनों का तात्कालिक कारण सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के फैसलों की एक शृंखला थी, जिन्होंने सार्वजनिक सुरक्षा कानूनों, प्रेस से संबंधित कानूनों और आपराधिक प्रावधानों को खारिज कर दिया था, जिन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ असंगत माना जाता था।
- प्रभाव:
- अनुच्छेद 31 के प्रावधानों के तहत नौवीं अनुसूची में रखे गए कानूनों को इस आधार पर न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है कि उन्होंने नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।
- अनुच्छेद 31 (ए) ने राज्य को संपत्ति के अधिग्रहण या सार्वजनिक हित में किसी भी संपत्ति या निगम के प्रबंधन के संबंध में शक्ति निहित की है। इसका उद्देश्य ऐसे अधिग्रहणों को अनुच्छेद 14 और 19 के तहत न्यायिक समीक्षा से छूट देना था।
- नौवीं अनुसूची का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया था। नौवीं अनुसूची में न्यायिक जाँच से संरक्षण प्राप्त करने वाले 250 से अधिक विधान शामिल हैं।
आगे की राह
- अलग राजनीतिक संदर्भ में आयोजित होने के बावजूद प्रथम संशोधन की बहस आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि भारत में लोकतंत्र कठिन अथवा अनिश्चित समय से गुज़र रहा है।
- स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत और विपक्षी नेताओं, वकीलों तथा मानवाधिकार रक्षकों के खिलाफ पेगासस निगरानी स्पाइवेयर के दुरुपयोग के बारे में हालिया खुलासे आदि इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये संस्थागत सुरक्षा उपायों को क्यों संरक्षित एवं मज़बूत किये जाने की आवश्यकता है।
- आज़ादी के 74 साल बाद प्रथम संशोधन की बहस पर फिर से विचार करना इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय संविधान में नौवीं अनुसूची की शुरुआत किस प्रधानमंत्री के काल के दौरान की गई थी? (2019) (a) जवाहरलाल नेहरू उत्तर: (a) |