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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘क्षय रोग’ के मामले में भारत की स्थिति का आकलन

  • 31 Oct 2017
  • 10 min read

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2016 में भारत में क्षय रोग से होने वाली मौतों की संख्या में 12% की कमी आई है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2016 में 1.7 मिलियन नए मामलों के साथ ही भारत विश्व में क्षय रोग के नए मामलों का सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता था।
  • इस वर्ष भारत में क्षय रोग से होने वाली मौतों के मामलों में आई गिरावट के बावजूद भी भारत में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या विश्व के कुल रोगियों की संख्या का 32% है।
  • भारत के क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अध्यक्ष सुनील खापर्डे के अनुसार, भारत में क्षय रोग के मामलों में हुई वृद्धि का कारण इसका उच्च निगरानी तंत्र तथा मृत्यु दर में आने वाली कमी है। ध्यातव्य है कि ‘ड्रग प्रबंधन’ में सुधार के कारण ही इस रोग से होने वाली मौतों की संख्या वर्ष 2016 में 423,000 हो गई थी, जबकि वर्ष 2015 में इस रोग से 480,000 लोगों की मौत हुई थी।
  • दरअसल, वर्ष 2016 में क्षय रोग संक्रमण की जाँच के लिये आणविक उपचार परीक्षण किये गए थे जिससे ड्रग प्रतिरोधी क्षय रोग (drug-resistant TB) का पता लगाने में मदद मिली।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2035 तक 90-90-90 लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है। इसका तात्पर्य है कि क्षय रोग के कारण होने वाली घटनाओं, मृत्यु दर और स्वास्थ्य व्यय में 90% कमी लाई जाएगी।
  • भारत में पंजीकृत एमडीआर-टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है।    जहाँ वर्ष 2015 में इनकी संख्या 79,000 थी वहीं 2016 में यह बढ़कर 84,000 हो गई थी।
  • इस लक्ष्य की पूर्ति निदान के तरीकों में सुधार करके, उपचार के लिये छोटे कोर्स उपलब्ध कराकर, एक अच्छा टीकाकरण उपलब्ध कराकर तथा व्यापक निवारक रणनीतियों का उपयोग करके की जा सकती है।
  • हालाँकि पहले यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में इस रोग के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि दर्ज़ की जाएगी।

क्या है क्षय रोग

  • क्षय रोग मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है, जो कि मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करता है। इससे बचाव अथवा इसकी रोकथाम संभव है।
  • यह हवा के माध्यम से व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
  • विश्व की एक चौथाई जनसंख्या लेटेंट टीबी (latent TB) से ग्रस्त है। लेटेंट टीबी का अर्थ यह कि लोग टीबी के जीवाणु से संक्रमित तो हो जाते हैं परन्तु उन्हें यह रोग नहीं होता है और वे इसका संचरण अन्य व्यक्तियों तक नहीं कर सकते हैं।   
  • टीबी के जीवाणु से संक्रमित व्यक्ति के टीबी से ग्रसित होने की संभावना 5-15 प्रतिशत ही होती है। हालाँकि, एचआईवी, कुपोषण और मधुमेह से पीड़ित लोग और वे लोग जो तम्बाकू का उपयोग करते हैं, को इस रोग से ग्रसित होने का खतरा सबसे अधिक होता है।

कौन होते हैं प्रभावित?

  • इससे मुख्यतः वयस्क लोग प्रभावित होते हैं। परन्तु इसमें सभी उम्र के व्यक्ति प्रभावित हो सकते हैं। इससे होने वाली 95% से अधिक मौतें विकासशील देशों में होती हैं।
  • तम्बाकू के उपयोग से टीबी रोग और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।    विश्व भर में टीबी के 8% मामले धूम्रपान के कारण दर्ज़ किये जाते हैं।
  • क्षय रोग विश्व के सभी भागों में होता है। वर्ष 2016 में टीबी के सबसे अधिक मामले एशिया (45% नए मामले) में देखे गए थे, जबकि इसके बाद अफ्रीका (25% नए मामले) में ऐसे मामले देखे गए थे।
  • वर्ष 2016 में टीबी के 87% नए मामले टीबी नामक रोग का भार वहन करने वाले देशों में दर्ज़ किये गए थे। सात देशों (जैसे-भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलिपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका) में टीबी के कुल 64% नए मामले देखे गए थे।
  • वैश्विक टीबी रिपोर्ट के अनुसार, क्षय रोग के निदान के लिये किये गए वैश्विक प्रयासों से वर्ष 2000 से अब तक 53% लोगों को बचाया जा चुका है जिस कारण टीबी से होने वाली मौतों में 37% की कमी आई है।
  • इन उपलब्धियों के बावजूद हालिया तस्वीर अत्यधिक भयावह है। वर्ष 2016 में भी टीबी प्रमुख संक्रामक रोगों में अग्रणी स्थान पर बना हुआ था।
  • टीबी एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से होने वाली मौतों से भी संबंधित है तथा यह एचआईवी पीड़ित व्यक्तियों की मौतों का भी एक प्रमुख कारण है।
  • वर्ष 2016 में विश्व भर में टीबी के 10.4 मिलियन नए मामले दर्ज़ किये गए थे जिनमें से 10 % लोग एचआईवी से भी ग्रसित थे।
  • चूँकि क्षय रोग से मरने वाले अनुमानित 1.7 मिलियन लोगों में से तक़रीबन 400,000 लोग एचआईवी से भी संक्रमित थे, अतः वर्ष 2015 की तुलना में क्षय रोग से होने वाली मौतों में 4% की कमी आई है।
  • अनुमानित 10.4 मिलियन नए मामलों में से केवल 6.3 मिलियन का पता लगाया गया था और उन्हें वर्ष 2016 में उपचारिक रूप से पंजीकृत किया गया था।

क्षय रोग से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • क्षय रोग विश्व भर में होने वाली मौतों के प्रमुख 10 कारणों में से एक है।
  • वर्ष 2016 में क्षय रोग से पीड़ित लोगों की संख्या 10.4 मिलियन थी और इस रोग से मरने वाले लोगों (जिनमें 0.4 मिलियन वे लोग शामिल थे जो एचआईवी के रोगी भी थे) की संख्या 1.7 मिलियन थी। इसमें भी 95% से अधिक मौते निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में हुई थी।
  • क्षय रोग के कुल मामलों में से 64% मामले सात देशों जैसे- सबसे अधिक भारत उसके बाद क्रमशः इंडोनेशिया, चीन, फिलीपीन्स, पाकिस्तान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका में दर्ज़ किये गए थे।
  • वर्ष 2016 में अनुमानित 1 मिलियन बच्चे क्षय रोग से पीड़ित थे और 2,50,000 बच्चों (इनमें वे बच्चे भी शामिल थे जो एचआईवी से भी पीड़ित थे)) की मौत इसके कारण हुई थी।   
  • क्षय रोग के कारण एचआईवी पॉजिटिव लोगों की मृत्यु अधिक हुई थी। वर्ष 2016 में क्षय रोग के कारण 40% एचआईवी रोगियों की मौतें हुई थी।
  • वैश्विक स्तर पर क्षय रोग के मामलों में प्रतिवर्ष लगभग 2 प्रतिशत की कमी आ रही है। अतः वर्ष 2020 तक क्षय रोग की समाप्ति के लिये यह आवश्यक है कि इन मामलों में प्रतिवर्ष 4-5% दर से कमी लाई जाए।
  • वर्ष 2000 से 2015 के बीच क्षय रोग के निदान और उपचार के परिणामस्वरूप अनुमानित 53 मिलियन लोगों को बचा लिया गया था।
  • अपनाए गए सतत् विकास लक्ष्यों का एक उद्देश्य वर्ष 2030 तक क्षय रोग नामक संक्रमण को समाप्त करना है।

निष्कर्ष 

यद्यपि क्षयरोग एक संक्रामक रोग है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है परन्तु फिर भी इससे बचाव अथवा इसकी पूर्ण रोकथाम संभव है। अतः इस दिशा में पहल करनी होगी। हालाँकि भारत की चिकित्सकीय क्षमता के कारण इस रोग से होने वाली मौतों की संख्या में कमी देखी गई है परन्तु अभी भी इस दिशा में प्रयास किये जाने आवश्यक हैं। अतः विभिन्न देशों के समक्ष यह विकल्प मौजूद है कि वे इस संबंध में विचार-विमर्श के लिये वर्ष 2017 में मास्को में टीबी की समाप्ति के लिये होने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक मंत्रिस्तरीय सम्मेलन और वर्ष 2018 में टीबी पर होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली उच्च स्तरीय बैठक में शामिल हो सकते हैं।

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