सामाजिक न्याय
फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन
- 15 Feb 2024
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:महिला जननांग विकृति, महिला जननांग विकृति के लिये शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष मेन्स के लिये:महिलाओं से संबंधित चुनौतियाँ, FGM उन्मूलन में चुनौतियाँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा कि वर्ष 2024 में दुनिया भर में लगभग 44 लाख लड़कियों पर महिला जननांग विकृति (female genital mutilation) का खतरा मंडरा रहा है।
महिला जननांग विकृति क्या है?
- परिचय: महिला जननांग विकृति (Female genital mutilation - FGM) में वे सभी प्रक्रियाएँ शामिल हैं जिनमें गैर-चिकित्सीय कारणों से महिला जननांग को बदलना या घायल करना शामिल है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों तथा महिलाओं के मानवाधिकारों, स्वास्थ्य एवं अखंडता के उल्लंघन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- प्रसार: यह मुख्यतः पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी अफ्रीका के साथ-साथ चुनिंदा मध्य पूर्वी तथा एशियाई देशों में केंद्रित है।
- हालाँकि बढ़ते प्रवासन के साथ, FGM एक वैश्विक चिंता बन गया है, जो यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका में भी लड़कियों एवं महिलाओं को प्रभावित कर रहा है।
- प्रभाव: जो लड़कियाँ, महिला जननांग विकृति से गुज़रती हैं उन्हें गंभीर दर्द, आघात, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण और पेशाब करने में कठिनाई जैसी अल्पकालिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, साथ ही उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक परिणाम भी होते हैं।
- भारत में स्थिति: वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो देश में FGM प्रथा पर प्रतिबंध लगाता हो।
- वर्ष 2017 में, सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका के जवाब में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा था कि "वर्तमान में कोई आधिकारिक डेटा या अध्ययन नहीं है जो भारत में FGM के अस्तित्व का समर्थन करता हो।"
- हालाँकि कुछ अन्य अनौपचारिक रिपोर्टों के अनुसार, FGM की प्रक्रियाएँ मुख्य रूप से महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश राज्यों में बोहरा समुदाय के बीच प्रचलित हैं।
- FGM उन्मूलन में चुनौतियाँ:
- सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड: FGM अक्सर सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों में गहराई से निहित होता है, समुदाय इसे पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा के रूप में मानते हैं।
- इन पूर्ववर्ती मान्यताओं और प्रथाओं को बदलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- जागरूकता और शिक्षा का अभाव: जिन समुदायों में FGM का अभ्यास किया जाता है उनमें से कई व्यक्ति इस अभ्यास के हानिकारक परिणामों को पूरी तरह समझने में अक्षम हैं।
- FGM से संबंधित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूकता तथा शिक्षा की कमी इस प्रथा को जारी रखने में योगदान दे सकती है।
- पर्याप्त डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग का अभाव: FGM प्रचलन पर सीमित डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग का अभाव है जो इस मुद्दे के दायरे को समझने तथा इसका समाधान करने के प्रयासों में बाधा डालती है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड: FGM अक्सर सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों में गहराई से निहित होता है, समुदाय इसे पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा के रूप में मानते हैं।
- FGM के उन्मूलन हेतु वैश्विक पहलें:
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने वर्ष 2008 से फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM) के उन्मूलन हेतु संयुक्त रूप से सबसे बड़े वैश्विक कार्यक्रम का नेतृत्व किया।
- वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रथा के उन्मूलन के प्रयासों में प्रगति करने के उद्देश्य से 6 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ ज़ीरो टॉलरेंस फॉर फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन के रूप में घोषित किया।
- वर्ष 2024 थीम: हर वॉइस, हर फ्यूचर आवाज़ (Her Voice. Her Future)।
- संयुक्त राष्ट्र, सतत् विकास लक्ष्य 5 का अनुपालन करते हुए वर्ष 2030 तक इस प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिये प्रयासरत है।
- SDG 5.3 का उद्देश्य समाज में व्याप्त सभी कुप्रथाओं, जैसे कि बाल, अल्प आयु तथा ज़बरन विवाह और फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन को खत्म करना है।
आगे की राह
- विधान और नीति प्रवर्तन: FGM को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने के लिये मौजूदा कानूनों को सुदृढ़ करना चाहिये तथा इसका अभ्यास करने अथवा इसे करने की सुविधा प्रदान कराने वालों पर दंड अधिरोपित करने की आवश्यकता है।
- सरकारों को विधि प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से इन विधियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिये।
- जागरूकता और शिक्षा: शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और लैंगिक स्वास्थ्य पर FGM के हानिकारक प्रभावों के बारे में समुदायों को शिक्षित करने के लिये व्यापक जागरूकता अभियान की शुरुआत की जानी चाहिये।
- इन अभियानों में न केवल अभ्यास करने वाले समुदायों के व्यक्तियों को बल्कि अन्य लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिये।
- मानवाधिकार ढाँचे में शामिल करना: यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि FGM से निपटने के प्रयास मानवाधिकार सिद्धांतों पर आधारित हों तथा महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित किया जाए।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार ढाँचे में FGM की रोकथाम तथा निवारण उपायों को शामिल करने का समर्थन किया जाना चाहिये।
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