भारतीय अर्थव्यवस्था
अंतर्राष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट
- 10 Apr 2021
- 8 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों में आई गिरावट ने इसमें छः महीने से हो रही बढ़ोतरी को स्थिर कर दिया है, जब पूरे देश में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई।
- मार्च 2021 की शुरुआत में ब्रेंट क्रूड की कीमत में 63 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से 70 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई।
- WTI और ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में बदलाव से अन्य प्रकार के क्रूड ऑयलों की कीमतें भी प्रभावित होती हैं।
प्रमुख बिंदु
तेल का मूल्य निर्धारण:
- सामान्यतः पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC) एक तेल उत्पादक संघ के रूप में क्रूड ऑयल का मूल्य निर्धारित करता है।
- सऊदी अरब के हाथ में OPEC का नेतृत्व है जो विश्व में क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा निर्यातक (वैश्विक मांग का 10% निर्यात करता है) है।
- OPEC के 13 देश (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला और वेनेज़ुएला) सदस्य हैं।
- OPEC तेल उत्पादन में वृद्धि करके कीमतों में कमी और उत्पादन में कटौती करके कीमतों में बढ़ोतरी कर सकता है।
- तेल का मूल्य निर्धारण मुख्य रूप से स्वतंत्र स्पर्धा की जगह तेल निर्यातक देशों की नीतियों पर निर्भर करता है।
- तेल उत्पादन में कटौती या तेल के कुएँ पूरी तरह से बंद करना एक कठिन निर्णय है, क्योंकि इसे फिर से शुरू करना बेहद महँगा और जटिल है।
- यदि कोई देश उत्पादन में कटौती करता है और दूसरा देश इस प्रकार की कटौती नहीं करता है तो उसे बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी खोनी पड़ सकती है।
- OPEC तेल की वैश्विक कीमत और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने के लिये OPEC+ के रूप में रूस के साथ काम कर रहा है।
- वर्ष 2016 में OPEC ने अन्य शीर्ष तेल-निर्यातक देशों के साथ मिलकर एक और अधिक शक्तिशाली इकाई बनाई, जिसे OPEC+ या ओपेक प्लस नाम दिया गया है।
- OPEC और अन्य देश जो शीर्ष तेल-निर्यातक हैं, के गठबंधन को OPEC+ के नाम से जाना जाता है जो वर्ष 2016 में अस्तित्व में आया।
मूल्य में गिरावट का कारण:
- कोविड संक्रमण के मामलों में पुनः बढ़ोतरी:
- OPEC+ देशों द्वारा कोविड-19 संक्रमण के दूसरे दौर में एक साथ मिलकर क्रूड ऑयल के उत्पादन को बढ़ाने के निर्णय से कीमतों में गिरावट आई है।
- OPEC+ देशों ने क्रूड ऑयल के उत्पादन में चरणबद्ध कटौती करने के निर्णय को वापस लेने की घोषणा की, जिससे जुलाई से प्रतिदिन 1.1 मिलियन बैरल वृद्धि क्रूड ऑयल के उत्पादन में देखने को मिली।
- OPEC+ देशों द्वारा कोविड-19 संक्रमण के दूसरे दौर में एक साथ मिलकर क्रूड ऑयल के उत्पादन को बढ़ाने के निर्णय से कीमतों में गिरावट आई है।
- आपूर्ति में सुधार:
- माँग के बिना आपूर्ति बढ़ाने से क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट आई है क्योंकि वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थिति को देखते हुए तेल उत्पादक देशों के लिये आपूर्ति में कटौती करना मुश्किल था।
- अमेरिकी आँकड़ों के अनुसार, पेट्रोलियम उत्पादों की माँग में कमी हो रही है और गैसोलीन उत्पादों की माँग तेज़ी से बढ़ रही है जो एक चिंतनीय स्थिति है।
- अमेरिकी क्रूड ऑयल की उत्पादन क्षमता लगभग 11 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गई है जो इससे पहले प्रतिदिन 9.7 मिलियन बैरल हो गया था।
- माँग के बिना आपूर्ति बढ़ाने से क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट आई है क्योंकि वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थिति को देखते हुए तेल उत्पादक देशों के लिये आपूर्ति में कटौती करना मुश्किल था।
भारत पर प्रभाव:
- चालू खाता घाटा:
- तेल की कीमतों में कमी से देश के आयात में कमी आएगी, जिससे चालू खाते के घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
- एक अनुमान के मुताबिक क्रूड ऑयल की कीमत में एक डॉलर की बढ़ोतरी से तेल के खर्च में प्रतिवर्ष लगभग 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होती है।
- भारत अपनी क्रूड ऑयल की ज़रूरतों का 80% आयात करता है।
- तेल की कीमतों में कमी से देश के आयात में कमी आएगी, जिससे चालू खाते के घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
- मुद्रास्फीति:
- क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी से (जो पिछले कुछ महीनों से बढ़ रही है) महंगाई में कमी आ सकती है।
- इससे मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) को नीतिगत दरों का निर्धारण करने में आसानी होगी।
- राजकोषीय स्थिति:
- तेल की कीमतें ऐसे ही बढ़ती रहीं तो सरकार को पेट्रोलियम और डीज़ल पर करों में कटौती करने के लिये मज़बूर होना पड़ेगा, जिससे राजस्व का नुकसान हो सकता है। अतः राजकोषीय संतुलन (Fiscal Balance) बिगड़ सकता है।
- राजस्व में कमी से केंद्र के विभाजन योग्य कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा और राज्य सरकारों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) ढाँचे के तहत दिया जाने वाला मुआवज़ा प्रभावित होगा।
ब्रेंट और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट
उत्पत्ति:
- ब्रेंट क्रूड ऑयल का उत्पादन उत्तरी सागर में शेटलैंड द्वीप (Shetland Islands) और नॉर्वे के बीच तेल क्षेत्रों में होता है।
- वेस्ट क्रूड इंटरमीडिएट (WTI) ऑयल क्षेत्र मुख्यत: अमेरिकी क्षेत्र टेक्सास, लुइसियाना और नॉर्थ डकोटा में अवस्थित है।
लाइट एंड स्वीट:
- ब्रेंट क्रूड ऑयल और WTI दोनों ही लाइट और स्वीट (Light and Sweet) होते हैं, लेकिन ब्रेंट में अमेरिकी पेट्रोलियम संस्थान (American Petroleum Institute- API) की हिस्सेदारी थोड़ी अधिक होती है।
- API क्रूड ऑयल या परिष्कृत उत्पादों के घनत्व का एक संकेतक है।
- ब्रेंट (0.37%) की तुलना में WTI में कम सल्फर सामग्री (0.24%) होने के कारण इसे तुलनात्मक रूप में "स्वीट" कहा जाता है।
बेंचमार्क मूल्य:
- OPEC द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला ब्रेंट क्रूड ऑयल मूल्य अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क मूल्य (Benchmark Price) है, जबकि अमेरिकी तेल कीमतों के लिये WTI क्रूड ऑयल मूल्य एक बेंचमार्क है।
- भारत मुख्य रूप से क्रूड ऑयल OPEC देशों से आयात करता है, अतः भारत में तेल की कीमतों के लिये ब्रेंट बेंचमार्क है।
शिपिंग लागत
- शिपिंग की लागत आमतौर पर ब्रेंट क्रूड ऑयल के लिये कम होती है, क्योंकि इसका उत्पादन समुद्र के पास होता है, जिससे इसे कार्गो जहाज़ों में तुरंत लादा जा सकता है।
- WTI के शिपिंग का मूल्य अधिक होता है क्योंकि इसका उत्पादन भूमि वाले क्षेत्रों में होता है, जहाँ भंडारण की सुविधा सीमित है।