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सामाजिक न्याय

स्वास्थ्य और देखभाल के लिये उचित अंश रिपोर्ट

  • 26 Mar 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), स्वास्थ्य और देखभाल के लिये उचित अंश रिपोर्ट, देखभाल का अवमूल्यन, लिंग वेतन अंतर, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC)

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य और देखभाल के लिये उचित अंश रिपोर्ट, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास तथा प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में लैंगिक अंतर को समाप्त करने की दिशा में एक नई रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक है- Fair Share for Health and Care report अर्थात् स्वास्थ्य और देखभाल के लिये उचित अंश रिपोर्ट।

रिपोर्ट के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • स्वास्थ्य और देखभाल कार्यबल में लैंगिक असमानताएँ:
    • भुगतान प्राप्त वैश्विक स्वास्थ्य एवं देखभाल कार्यबल में 67% महिलाएँ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, वे सभी अवैतनिक देखभाल गतिविधियों का अनुमानित 76% प्रदर्शन करते हैं।
    • यह वैतनिक और अवैतनिक देखभाल कार्य दोनों में महत्त्वपूर्ण लैंगिक असमानताओं को उजागर करता है।
    • निम्न या मध्यम आय वाले देशों में महिलाओं की आय 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर बेहतर हो सकती है यदि उनका वेतन और वैतनिक काम तक पहुँच पुरुषों के बराबर हो।
  • निर्णय लेने पर अपर्याप्त प्रतिनिधित्व:
    • निर्णायक मामलों में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। महिलाओं को निचले दर्जे की भूमिकाओं में अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है, इनमें अधिकांश नर्सें और मिडवाइफ शामिल हैं।
    • हालाँकि नेतृत्वकारी भूमिकाओं में उनका प्रतिनिधित्व कम है। चिकित्सा विशिष्टताओं में अभी भी पुरुषों का वर्चस्व है। रिपोर्ट के अनुसार 35 देशों में डॉक्टरों में 25% से 60% महिलाएँ हैं, लेकिन नर्सिंग स्टाफ में 30% से 100% के बीच महिलाएँ हैं।
  • स्वास्थ्य प्रणालियों में कम निवेश:
    • स्वास्थ्य और देखभाल क्षेत्र में लगातार कम निवेश के कारण अवैतनिक देखभाल कार्यों का एक दुष्चक्र शुरू हो गया है, जिससे वैतनिक श्रम बाज़ारों में महिलाओं की भागीदारी कम हो गई है, इससे आर्थिक सशक्तीकरण एवं लैंगिक समानता में बाधा उत्पन्न हुई है।

  • देखभाल का अवमूल्यन:
    • मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा की जाने वाली देखभाल को कम महत्त्व दिया जाता है, जिससे कम वेतन, खराब कामकाजी स्थिति, उत्पादकता में कमी और संबद्ध क्षेत्र पर नकारात्मक आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
  • लैंगिक वेतन अंतर के निहितार्थ:
    • वेतन अंतराल महिलाओं की अपने परिवार और समुदाय में निवेश करने की क्षमता को सीमित करता है।
    • विश्व स्तर पर औसतन महिलाओं द्वारा अर्जित आय के 90% का व्यय अपने परिवार की देखभाल के लिये किया जाता है जबकि पुरुषों की आय का केवल 30-40% ही उक्त संबंध में व्यय किया जाता है।
  • हिंसा का उच्च स्तर:
    • स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में महिलाओं को असमान रूप से लैंगिक हिंसा के उच्च स्तर का सामना करना पडा।
    • अनुमानों के अनुसार विश्व के सभी क्षेत्रों में कार्यस्थल पर होने वाली हिंसा में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में होने वाली हिंसा का योगदान एक-चौथाई है।
      • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के सभी कर्मचारियों में से कम-से-कम आधे कर्मचारियों को कार्यस्थल पर किसी न किसी क्षण पर हिंसा का सामना करना पड़ा।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • भारत में महिलाएँ अपने कुल दैनिक कार्य समय का लगभग 73% (अर्थात् राष्ट्रीय दैनिक समय-उपयोग सर्वेक्षणों के माध्यम से दर्ज किये गए अवैतनिक और भुगतान किये गए कार्यों हेतु नियोजित किया गया संयुक्त औसत समय) अवैतनिक कार्यों पर खर्च करती हैं जबकि पुरुषों के दैनिक कार्य समय में अवैतनिक कार्य का अंश केवल 11% है।
    • यूनाइटेड किंगडम में लगभग 4.5 मिलियन लोगों ने कोविड-19 के दौरान अवैतनिक कार्य किया, जिनमें महिलाओं की भागीदारी 59% अर्थात् लगभग 3 मिलियन थी।
  • स्वास्थ्य देखभाल का वैश्विक संकट:
    • रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य और देखभाल कार्यों में निवेश दशकों से अपर्याप्त रहा जिससे विश्व स्तर पर संबद्ध क्षेत्र अत्यधिक प्रभावित हुआ।
    • यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) की दिशा में प्रगति में बाधा के कारण अरबों लोग आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने से वंचित रहे, जिससे महिलाओं पर अवैतनिक देखभाल कार्य का बोझ बढ़ गया।
  • प्रमुख अनुशंसाएँ:
    • सभी प्रकार के स्वास्थ्य और देखभाल कार्यों, विशेष रूप से अत्यधिक नारीवादी व्यवसायों के लिये कार्य स्थितियों में सुधार करना।
    • वेतनभोगी श्रम कार्यबल में महिलाओं को अधिक न्यायसंगत रूप से शामिल करना।
    • स्वास्थ्य और देखभाल कार्यबल में कार्य स्थिति में सुधार कर वेतन वृद्धि करना एवं समान कार्य के लिये समान वेतन सुनिश्चित करना।
    • स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में लैंगिक अंतराल का समाधान करते हुए गुणवत्तापूर्ण देखभाल कार्य का अनुसमर्थन करना और देखभाल कर्मियों के अधिकारों का संरक्षण कर उनका कल्याण सुनिश्चित करना।
    • राष्ट्रीय आँकड़ों में सभी स्वास्थ्य और देखभाल कार्यों का लेखा-जोखा, मापन एवं मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करना।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश करना।

लैंगिक असमानता का समाधान करने के लिये सरकार की पहल क्या हैं?

  • आर्थिक भागीदारी और स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता:
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: यह बालिकाओं की सुरक्षा, अस्तित्त्व और शिक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
    • महिला शक्ति केंद्र: इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कौशल विकास और रोज़गार के अवसरों के साथ सशक्त बनाना है।
    • महिला पुलिस स्वयंसेवक: इसमें राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में महिला पुलिस स्वयंसेवकों की भागीदारी की परिकल्पना की गई है जो पुलिस और समुदाय के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करती हैं तथा संकट में महिलाओं की सहायता करती हैं।
    • राष्ट्रीय महिला कोष: यह एक शीर्ष सूक्ष्म-वित्त संगठन है जो गरीब महिलाओं को विभिन्न आजीविका और आय सृजन गतिविधियों के लिये रियायती शर्तों पर सूक्ष्म ऋण प्रदान करता है।
    • सुकन्या समृद्धि योजना: इस योजना के तहत लड़कियों के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
    • महिला उद्यमिता: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया और महिला ई-हाट (महिला उद्यमियों/SHG/NGO का समर्थन करने हेतु ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म), उद्यमिता तथा कौशल विकास कार्यक्रम (ESSDP) जैसे कार्यक्रम शुरू किये हैं।
    • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय: इन्हें शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (EBB) में खोला गया है।
  • राजनीतिक आरक्षण: सरकार ने महिलाओं के लिये पंचायती राज संस्थाओं में 33% सीटें आरक्षित की हैं।
    • निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण: यह महिलाओं को शासन प्रक्रियाओं में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिये सशक्त बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन, विश्व के देशों के लिये सार्वभौम लैंगिक अंतराल सूचकांक का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017)

  1. विश्व आर्थिक मंच
  2. UN मानव अधिकार परिषद
  3. UN वीमेन
  4. विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a)


प्रश्न. 2 'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (Médecins Sans Frontières)' जो प्रायः समाचारों में देखा जाता है, है: (2016)

  1. विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक प्रभाग
  2. एक गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन
  3. यूरोपीय संघ द्वारा प्रायोजित एक अंत:सरकारी एजेंसी
  4. संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. भारत में समय और स्थान के विरुद्ध महिलाओं के लिये निरंतर चुनौतियाँ क्या हैं? (2019)

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