आंतरिक सुरक्षा
F/A 18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान
- 27 Aug 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:विमान वाहक, INS विक्रांत, INS विक्रमादित्य,INS विशाल, F/A 18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान। मेन्स के लिये :आंतरिक सुरक्षा के लिये विमान वाहक का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों ?
भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक (IAC), विक्रांत को तैनात करने से पूर्व अमेरिका की प्रमुख सैन्य उपकरण निर्माता कंपनी बोइंग ने भारतीय नौसेना को अपने F/A 18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान को तैनात करने का प्रस्ताव रखा है।
F/A18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान की मुख्य विशेषताएँ:
- F/A-18 सुपर हॉर्नेट ब्लॉक III दुनिया का सबसे उन्नत मल्टी-रोल फ्रंटलाइन नौसैनिक लड़ाकू विमान है जो भारतीय नौसेना के वाहक के साथ अद्वितीय और विभेदित क्षमता तथा पूर्ण संगतता प्रदान करता है।
- इसे वाहक संचालन के लिये डिज़ाइन और निर्मित किया गया है और यह INS विक्रमादित्य तथा INS विक्रांत विमान वाहक के साथ पूरी तरह से अनुकूलित है।
- F/A-18 हैंगर में डेक पर और भारतीय नौसेना के विमान वाहक के बेस पर कार्य करने में सक्षम है।
- यह विमान वाहक पर मानवयुक्त और मानव रहित प्रणालियों के मध्य इंटरफेस बढ़ावा देगा ।
- सुपर हॉर्नेट का सटीक लैंडिंग मोड सॉफ्टवेयर विशेष रूप से उचित ग्लाइड स्लोप और गति को बनाए रखते हुए भारतीय नौसेना के विक्रमादित्य वाहक पर उतरते समय पायलट कार्यभार को कम करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है।
- यह पूर्णतः स्वचालित और वाहक के ऑप्टिकल लैंडिंग प्रणाली से स्वतंत्र है।
- F/A-18 सुपर हॉर्नेट के सिंगल-सीटर (E-Variant) और टू-सीटर (F-Variant) दोनों संस्करण उपलब्ध हैं जो पूरी तरह वाहक डेक द्वारा संचालित हो सकते हैं।
- टू-सीटर एक सक्षम प्रशिक्षक विमान भी है।
आईएसी विक्रांत:
- परिचय:
- विक्रांत भारत में अब तक बनाया गया सबसे बड़ा युद्धपोत है, और भारतीय नौसेना के लिये स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित पहला विमानवाहक पोत है।
- यह भारत को उन राष्ट्रों के एक विशिष्ट समूह में शामिल करता है जो इन विशाल, शक्तिशाली युद्धपोतों को डिज़ाइन और उनका निर्माण करने की क्षमता रखते हैं।
- यह कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा डिज़ाइन किया गया है, जो कि बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड है।
- जहाज़ ने समुद्री परीक्षणों के अपने चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था
- संचालन क्षमता:
- इसकी अधिकतम डिज़ाइन गति 28 समुद्री मील (लगभग 52 किमी/घंटा) और 7500 NM की सहनशक्ति है।
- इसमें 30 विमानों का एक वायु घटक होगा, जिसमें युद्धपोत मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 हेलीकॉप्टर, MH-60R बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर और स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) शामिल है।
- शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्ट रिकवरी (STOBAR) नामक एयरक्राफ्ट-ऑपरेशन मोड का उपयोग करते हुए IAC विमान को लॉन्च करने के लिये स्की-जंप तथा एयरक्राफ्ट पर उनकी पुनर्प्राप्ति के लिये तीन 'अरेस्टर वायर' के सेट लैस है।
- यह एक कोणीय स्की-जंप के साथ शॉर्ट टेक-ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी या STOBAR तंत्र पर काम करता है।
- महत्व:
- यह हवाई वर्चस्व अभियानों के संचालन के लिये अपने घरेलू समुद्री तटों से दूर यात्रा करने की नौसेना की क्षमता को बढ़ाएगा।
- इसे एक "" नौसेना माना जाता है, जो एक ऐसी नौसेना है जो उच्च समुद्रों में एक राष्ट्र की ताकत और शक्ति को प्रोजेक्ट करने की क्षमता रखती है।
भारत में विक्रांत निर्माण का महत्त्व:
- वर्तमान में केवल पांँच या छह देशों के पास विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। भारत अब इस विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है।
- विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत ने दुनिया के सबसे उन्नत और जटिल युद्धपोतों में से एक माने जाने वाले निर्माण की क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन किया है।
- भारत के पास पहले भी विमानवाहक पोत ब्रिटिश या रूस से आयातित थे। 'INS विक्रमादित्य', जिसे 2013 में कमीशन किया गया था और जो वर्तमान में नौसेना का एकमात्र विमानवाहक पोत है, सोवियत-रूसी युद्धपोत 'एडमिरल गोर्शकोव' का भारतीय संस्करण है।
- भारत के पहले के दो वाहक, 'INS विक्रांत' और 'INS विराट' मूल रूप से ब्रिटिश निर्मित 'एचएमएस हरक्यूलिस' और 'एचएमएस हर्मीस' थे। इन दोनों युद्धपोतों को क्रमश: वर्ष 1961 और 1987 में नौसेना में शामिल किया गया था।
नए युद्धपोत IAC-1 का नाम 'INS विक्रांत' रखा जाएगा:
- 'INS विक्रांत' नाम मूल रूप से भारत के बहुचर्चित पहले विमानवाहक पोत से संबंधित था, जो 1997 में सेवामुक्त होने से पहले कई दशकों की सेवा मे राष्ट्रीय गौरव था।
- मूल 'विक्रांत' 19,500 टन वजन का एक मैजेस्टिक-क्लास युद्धपोत, जिसे वर्ष 1961 में यूनाइटेड किंगडम से अधिग्रहीत किया गया था, ने पाकिस्तान के साथ वर्ष 1971 के युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- पिछले वर्ष जैसे ही IAC-1 ने अपना पहला समुद्री परीक्षण शुरू किया, नौसेना ने "भारत के लिये गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक दिन" बताया क्योंकि समुद्री परीक्षणों के लिये 'विक्रांत' का पुनर्निर्माण हुआ था।
IACs हेतु भविष्य की योजनाएँ:
- नौसेना 2015 से देश के लिये तीसरा विमानवाहक पोत बनाने की मंज़ूरी मांग रही है, जिसे अगर मंज़ूरी मिल जाती है, तो यह भारत का दूसरा स्वदेशी विमान वाहक (IAC-2) बन जाएगा।
- इस प्रस्तावित वाहक का नाम ‘INS विशाल' रखा गया है, जो 65,000 टन का विशाल पोत है, यह IAC -1 और ' ‘INS विक्रमादित्य' दोनों से काफी बड़ा है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा 'INS अस्त्रधारिणी' का सबसे अच्छा वर्णन है, जो हाल ही में समाचारों में था? (2016) (a) उभयचर (एम्फिब) युद्ध जहाज़ उत्तर: (c) व्याख्या:
प्रश्न : एस-400 वायु रक्षा प्रणाली, दुनिया में वर्तमान में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रणाली से तकनीकी रूप से कैसे बेहतर है? (मुख्य परीक्षा, 2021) |