जलवायु इंजीनियरिंग के नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जोखिम | 04 Dec 2023

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु इंजीनियरिंग, जलवायु परिवर्तन, सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करना, ग्रीनहाउस गैसें, कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (CDR), सौर विकिरण संशोधन (SRM)।

मेन्स के लिये:

न्यूट्रॉन स्टार्स का संलयन और तेज़ रेडियो विस्फोट (FRB) का उत्सर्जन।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

जलवायु इंजीनियरिंग की नैतिकता पर अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) ने महिलाओं, युवाओं और स्वदेशी लोगों के साथ-साथ समाज के कमज़ोर, उपेक्षित तथा बहिष्कृत लोगों को महत्त्वपूर्ण हितधारकों के रूप में जलवायु इंजीनियरिंग के विवादास्पद क्षेत्र के संबंध में नीतिगत निर्णयों में शामिल करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया है।

जलवायु इंजीनियरिंग क्या है?

  • जलवायु इंजीनियरिंग से आशय जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये पृथ्वी की जलवायु में जान-बूझकर किये गए बदलावों से है।
  • इसमें विभिन्न तकनीकें शामिल हो सकती हैं जिनमें सौर विकिरणों को परावर्तित करना अथवा वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को सीमित करना शामिल है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने संबंधी लक्ष्यों और वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैस सांद्रता में आवश्यक कटौती के बीच मौजूदा अंतर को देखते हुए जलवायु इंजीनियरिंग तकनीकों के उपयोग को लेकर चर्चाएँ चल रही हैं।
  • जलवायु इंजीनियरिंग को तकनीकों के दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है:
    • कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (CDR): 
    • यह वायुमंडल से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को निष्काषित और संग्रहीत करती है। CDR में पाँच तकनीकों का उपयोग किया जाता है:
      • सीधे वायु से कार्बन का संग्रहण
      • वनरोपण/पुनर्वनीकरण के माध्यम से भूमि-उपयोग प्रबंधन
      • बायोमास द्वारा उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) पृथक्करण, जिसका उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में भी किया जा सकता है, से समुद्र द्वारा CO2 के अवशोषण तथा प्राकृतिक मौसम प्रक्रियाओं में वृद्धि होती है जिससे वायुमंडल में CO2 की मात्रा में कमी आती है।
    • नेचर जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई CDR प्रौद्योगिकियों के उपयोग से लक्षित प्रतिवर्ष लगभग 2.3 मिलियन टन कार्बन निष्कासन में से केवल 0.1% ही लक्ष्य पूरा किया जा सका है।
    • सौर विकिरण संशोधन (SRM):
      • इसमें पृथ्वी की धरातल परावर्तन क्षमता में वृद्धि करना शामिल है।
        • परावर्तक पेंट से संरचनाओं की रंगाई
        • उच्च परावर्तनशीलता वाले फसलों की बुवाई
        • समुद्री मेघों की परावर्तनशीलता को बढ़ाना
        • इन्फ्रारेड-अवशोषित मेघों को हटाना
      • अन्य SRM रणनीतियों में ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण होने वाली शीतलन का अनुकरण करने के लिये निचले समताप मंडल में एरोसोल मुक्त करना और पृथ्वी की कक्षा में रिफ्लेक्टर अथवा ढाल स्थापित कर पृथ्वी तक पहुँचने वाले सौर विकिरण की मात्रा को कम करना शामिल है।

रिपोर्ट में जलवायु इंजीनियरिंग से संबंधित किन मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है?

  • नैतिक मुद्दे:
    • जलवायु इंजीनियरिंग तकनीक हितधारकों को जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कटौती न करने का कारण प्रदान करते हुए "नैतिक जोखिम" उत्पन्न कर सकती है। ऐसे में नैतिक जोखिम के परिप्रेक्ष्य से आगे बढ़ते हुए जलवायु नीति की व्यापक शृंखला के हिस्से के रूप में जलवायु इंजीनियरिंग रणनीतियों का आकलन करना आवश्यक है।
    • "संगठित गैर-ज़िम्मेदारी", जलवायु इंजीनियरिंग के समक्ष एक अन्य समस्या है, जिसमें अनिश्चितताओं और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण एकल संस्थानों पर दोष आरोपित करना कठिन हो जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि सभी संस्थान अंतर्संबंधित हैं तथा उनमें व्यक्तिगत जवाबदेही का अभाव है।
  • आर्थिक मुद्दे:
    • व्यावसायिक निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिये निगम जलवायु इंजीनियरिंग को एक पसंदीदा समाधान के रूप में प्रोत्साहित कर सकते हैं।
    • जलवायु इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के लिये विभिन्न वित्तीय उद्देश्यों वाले देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इन प्रौद्योगिकियों द्वारा अन्य को खतरे में न डालते हुए कमज़ोर देशों की मदद करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
  • शासन और विनियमन संबंधी मुद्दे:
    • वर्तमान में जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई में आवश्यक वैश्विक दृष्टिकोण और वर्तमान राष्ट्र-आधारित कानूनी व्यवस्था के बीच सामंजस्य की कमी है।
    • जलवायु इंजीनियरिंग के प्रशासन हेतु गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं और बहु-स्तरीय दृष्टिकोण के बीच समन्वय की आवश्यकता होती है। ऐसे अभिकर्त्ताओं की भागीदारी जोखिमपूर्ण हो सकती है, हालाँकि संस्थानों पर उनके दायित्वों को पूरा करने के लिये दबाव बनाने हेतु नागरिक समाज कानूनी अभियोग का भी सहारा ले सकता है।

यूनेस्को की रिपोर्ट की सिफारिशें क्या हैं?

  • यूनेस्को ने अपने सदस्य राज्यों से जलवायु कार्रवाई को विनियमित करने और मानव तथा पारिस्थितिक तंत्रों पर लिये गए उनके निर्णयों का अन्य राज्यों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने हेतु कानून पेश करने की सिफारिश की है।
  • प्रभावों के असमान भौगोलिक वितरण की संभावना को कम करने के लिये देशों को क्षेत्रीय समझौतों पर विचार करना चाहिये।
  • इसमें जलवायु इंजीनियरिंग तकनीकों को शीर्ष प्राथमिकता प्रदान करने पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया।
  • इसमें आगे कहा गया है कि जलवायु इंजीनियरिंग पर शोध के लिये राजनीतिक अथवा व्यावसायिक उद्देश्यों हेतु हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समताप मंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019)

(a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये
(b) उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बारंबारता और तीव्रता को कम करने के लिये
(c) पृथ्वी पर सौर पवनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये
(d) ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये

उत्तर: (d)