इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

नजफगढ़ झील के लिये पर्यावरण प्रबंधन योजना

  • 25 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, पर्यावरण प्रबंधन योजना, नजफगढ़ झील, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि प्राधिकरण, सारस क्रेन और अन्य पक्षी, मध्य एशियाई फ्लाईवे, माइक्रोकलाइमेट।

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, नजफगढ़ झील और इसका महत्त्व, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने दिल्ली और हरियाणा को पर्यावरण प्रबंधन योजना (EMP) को लागू करने का निर्देश दिया है, जिसे दोनों सरकारों ने नजफगढ़ झील, एक ट्रांसबाउंडरी  आर्द्रभूमि (वेटलैंड) के कायाकल्प और संरक्षण के लिये तैयार किया है।

  • इन कार्य योजनाओं से संबंधित कार्यान्वयन की निगरानी राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों के माध्यम से राष्ट्रीय आर्द्रभूमि प्राधिकरण द्वारा की जानी है।
  • इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एकीकृत रूप से ईएमपी (EMP) को तैयार करने के लिये तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया था।

Najafgarh

प्रमुख बिंदु:

  • पर्यावरण प्रबंधन योजना:
    • आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत नजफगढ़ झील एवं उसके प्रभाव क्षेत्र को अधिसूचित करना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
      • ये नियम आर्द्रभूमि और उनके 'प्रभाव क्षेत्र' के भीतर कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित और विनियमित करते हैं।
    • इसमें भू-चिह्नित स्तंभों का उपयोग करके आर्द्रभूमि की सीमा का सीमांकन करने और हाइड्रोलॉजिकल मूल्यांकन तथा प्रजातियों की सूची की शुरुआत करने सहित तत्काल उपायों को सूचीबद्ध किया गया है।
    • दो से तीन वर्षों में लागू किये जाने वाले मध्यम अवधि के उपायों में नजफगढ़ झील से मिलने वाले प्रमुख नालों का स्वःस्थाने (in-situ) उपचार, जलपक्षी आबादी की नियमित निगरानी एवं बिजली उप-स्टेशनों जैसे प्रवाह अवरोधों को स्थानांतरित करना शामिल है।
      • इस झील को प्रवासी और निवासी जलपक्षी आवास के रूप में जाना जाता है।
    • यह अनुमानित आबादी के 15 वर्षों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में सीवेज उत्पादन (sewage generation) का विस्तृत अनुमान और झील में प्रदूषण में योगदान करने वाले सभी नालों की पहचान का भी प्रस्ताव करता है।
  • नजफगढ़ झील:
    • यह राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर गुरुग्राम-रजोकरी सीमा के निकट दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में एक प्राकृतिक डिप्रेशन/अवतलित भूमि में स्थित है।
    • यह झील बड़े पैमाने पर गुरुग्राम और दिल्ली के आस-पास के गाँवों से निकलने वाले सीवेज (मल-जल) से भरी हुई है। झील का एक हिस्सा हरियाणा के अंतर्गत आता है।
    • झील में 281 पक्षी प्रजातियों की उपस्थिति की सूचना मिली है, जिनमें इजिप्टियन वल्चर, सारस क्रेन, स्टेपी ईगल, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, इंपीरियल ईगल जैसे कई संकटग्रस्त और मध्य एशियाई फ्लाईवे के साथ प्रवास करने वाले पक्षी शामिल हैं।
  • संबंधित चिंताएँ:
    • बड़े पैमाने पर अतिक्रमण के कारण दिल्ली और गुरुग्राम में फैले जल निकाय केवल सात वर्ग किमी. तक सिमट कर रह गए हैं, जो कभी 226 वर्ग किमी. में फैला हुए थे।
      • इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के अनुसार, झील के पुनरुद्धार से 3.5 लाख की आबादी की सहायता के लिये एक दिन में लगभग 20 मिलियन गैलन पानी का उत्पादन होगा।
      • INTACH एक गैर-लाभकारी संगठन है जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है।
    • कई लाभों और विविध प्रजातियों के स्थायी आवासों का स्रोत होने के बावजूद नजफगढ़ झील अत्यधिक खंडित और रूपांतरित हो गई है, यहाँ विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य किये गए हैं, अपशिष्टों के निपटान हेतु इसका उपयोग किया गया है और साथ ही यह विभिन्न आक्रामक प्रजातियों से भी पीड़ित है।
    • नज़फगढ़ झील साहिबी नदी का प्राकृतिक बाढ़ का मैदान थी, यह अब एक नाले में परिवर्तित हो गई है। आर्द्रभूमि के क्षय से हरियाणा और दिल्ली की बस्तियाँ बाढ़ के उच्च जोखिम से प्रभावित हैं तथा इनके भू-जल स्तर में भी कमी आई है।
    • आर्द्रभूमि के भीतर हालिया निर्माण प्राकृतिक आर्द्रभूमि कार्यों को बाधित करते हुए क्षेत्र के भीतर उच्च भूकंपीयता और द्रवीकरण के कारण बने हैं।
  • महत्त्व:
    • नज़फगढ़ झील क्षेत्र के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक बुनियादी ढाँचा है जो बाढ़ को बफर करना, अपशिष्ट जल का उपचार, भूजल को रिचार्ज (महत्त्वपूर्ण आबादी को पानी की आपूर्ति के लिये उच्च क्षमता के साथ) और कई पौधों, जानवरों एवं पक्षियों की प्रजातियों को आवास प्रदान करती है।
    • यह ऊष्मा और कार्बन सिंक होने के कारण माइक्रॉक्लाइमेट को नियंत्रित कर सकती है। वास्तव में यदि EMPs को ठीक से और पूरी तरह से लागू किया जाता है, तो यह झील जलवायु परिवर्तन के स्थानीय प्रभावों को कम करने की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की क्षमता का केंद्र बन सकती है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण:

  • यह पर्यावरण संरक्षण और वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी तथा शीघ्र निपटान हेतु ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम’ (2010) के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है।
  • ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ की स्थापना के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बाद एक विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण स्थापित करने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया और साथ ही वह ऐसा करने वाला पहला विकासशील देश भी है।
  • ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम’ (2010) ने ट्रिब्यूनल को उन मुद्दों पर कार्रवाई करने हेतु एक विशेष भूमिका प्रदान की है, जहाँ सात निर्दिष्ट कानूनों (अधिनियम की अनुसूची I में उल्लिखित) के तहत विवाद उत्पन्न हुआ- जल अधिनियम, जल उपकर अधिनियम, वन संरक्षण अधिनियम, वायु अधिनियम, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम और जैविक विविधता अधिनियम।
  • NGT का मुख्यालय दिल्ली में है, जबकि अन्य चार क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, पुणे, कोलकाता एवं चेन्नई में स्थित हैं।

आर्द्रभूमि:

  • आर्द्रभूमियांँ पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं। इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे अपशिष्ट-जल उपचार तालाब व जलाशय आदि शामिल हैं।
  • आर्द्रभूमियांँ कुल भू सतह के लगभग 6% हिस्से को कवर करती हैं। पौधों और जानवरों की सभी 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं।
  • यह जल एवं स्थल के मध्य का संक्रमण क्षेत्र होता है।
  • 2 फरवरी विश्व आर्द्रभूमि दिवस है। वर्ष 1971 में इसी तारीख को ईरान के रामसर में आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन को अपनाया गया था।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2