भारत में कृषि संधारणीयता का सुनिश्चय | 19 Mar 2025

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (NMSA), मृदा क्षरण, कार्बन पृथक्करण, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC), रोग-रोधी फसल

मेन्स के लिये:

पर्यावरण क्षरण की रोकथाम हेतु संधारणीय कृषि की आवश्यकता

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने ICAR द्वारा 'भारतीय कृषि की संधारणीयता का स्थानिक आकलन' विषयक नीति पत्र जारी किये जाने की सूचना दी और राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (NMSA) के महत्त्व पर ज़ोर दिया।

  • इसके अनुसार जल अभाव, मृदा क्षरण और सामाजिक-आर्थिक सुभेद्यताओं  के कारण भारत की कृषि संधारणीयता गंभीर खतरे में है।

ICAR के नीति पत्र के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • समग्र सूचकांक: राष्ट्रीय औसत संधारणीयता सूचकांक 0.49 है, जो संधारणीयता के मध्यम स्तर का द्योतक है।
    • यह सूचकांक 51 संकेतकों पर आधारित है, जिसमें पर्यावरणीय स्थिति, मृदा और जल गुणवत्ता तथा सामाजिक-आर्थिक विकास शामिल हैं।

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  • राज्यों का प्रदर्शन: मिज़ोरम, केरल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड का फसल विविधीकरण, बुनियादी ढाँचे, ऋण सुविधा और सतत् इनपुट के कारण राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन रहा।
    • राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब , बिहार, हरियाणा, झारखंड और असम में शुष्क परिस्थितियों, जलवायु परिवर्तन और गहन कृषि प्रथाओं के कारण उच्च जोखिम की स्थिति है।
  • कृषि के लिये प्रमुख खतरे:
    • जल अभाव: पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में अतिदोहन की दर 50% से अधिक होने के साथ भौम जलस्तर निरंतर कम हो रहा है।
      • जल की लवणता बढ़ रही है, जिससे पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और गुजरात में जलभृतों पर मुख्य रूप से प्रभाव पड़ रहा है।
    • मृदा क्षरण: अनुमानतः वर्ष 2050 तक कृषि भूमि से मृदा अपरदन प्रतिवर्ष 10 टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा।
      • अनुमानित रूप से वर्ष 2030 तक लवणता प्रभावित क्षेत्र 6.7 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 11 मिलियन हेक्टेयर हो जायेगा।
    • फसल उपज में कमी: जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2050 तक वर्षा आधारित चावल की उपज में 20% और वर्ष 2080 तक 47% की कमी आ सकती है। गेहूँ की उपज में वर्ष 2050 तक 19.3% और वर्ष 2080 तक 40% की कमी आ सकती है।
    • अनियमित वर्षा: भारत की 80% वर्षा जून और सितंबर के बीच होती है, जिससे बाढ़ और सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है, जबकि वर्षा आधारित क्षेत्रों में मानसून की शुष्कता बढ़ रही है।
      • अनुमान है कि 2050 तक खरीफ और रबी सीज़न के दौरान वर्षा में वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप जलभराव, कीट और रोग के प्रकोप की संभावना में वृद्धि होगी।

सतत् कृषि क्या है?

  • परिचय: यह एक समग्र कृषि दृष्टिकोण है जो वर्तमान खाद्य और फाइबर आवश्यकताओं को पूरा करता है तथा भावी पीढ़ियों के लिये संसाधनों को संरक्षित करता है। 
    • इसमें फसल चक्र, जैविक कृषि और समुदाय समर्थित कृषि जैसी प्रथाएँ शामिल हैं, जो पर्यावरणीय स्वास्थ्य, आर्थिक व्यवहार्यता और सामाजिक समानता सुनिश्चित करती हैं।
  • लाभ:
    • पर्यावरणीय लाभ: मृदा स्वास्थ्य में सुधार, जल संरक्षण, जैवविविधता की सुरक्षा, तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी।
    • आर्थिक लाभ: दीर्घकालिक उत्पादकता सुनिश्चित करती है, लागत कम करती है, बाज़ार के अवसर पैदा करती है, और जलवायु लचीलापन बढ़ाती है।
    • सामाजिक लाभ: स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन का उत्पादन होता है, रोज़गार सृजित होता है, तथा खाद्य सुरक्षा मज़बूत होती है।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन: जैविक कृषि, संरक्षित जुताई और कृषि वानिकी कार्बन को पृथक्करण करती है, उत्सर्जन को कम करती है, तथा जलवायु लचीलापन बढ़ाती है।

राष्ट्रीय सतत्  कृषि मिशन (NMSA) क्या है?

  • परिचय: NMSA जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य भारत में सतत् कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
  • उद्देश्य:
    • कृषि उत्पादकता में वृद्धि: वर्षा आधारित क्षेत्रों में उत्पादकता में सुधार लाना, जो भारत के शुद्ध बोये गये क्षेत्र का 60% तथा कुल खाद्यान्न उत्पादन का 40% है।
    • सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देंना: मृदा और जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत् उपयोग को प्रोत्साहित करना।
    • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति लचीला बनाने के लिये अनुकूलन उपायों को लागू करना।
    • आजीविका विविधता: एकीकृत कृषि प्रणालियों के माध्यम से किसानों को उनकी आय के स्रोतों में विविधता लाने में सहायता करना।
  • कार्यवाही कार्यक्रम (POA): NMSA भारतीय कृषि के दस प्रमुख आयामों पर ध्यान केंद्रित करता है:

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  • सतत्  विकास लक्ष्यों के साथ संरेखण: NMSA सतत् कृषि पद्धतियों और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन को बढ़ावा देकर सतत विकास लक्ष्य 2 (भूखमरी को समाप्त करना) और सतत् विकास लक्ष्य 13 (जलवायु कार्यवाही) में योगदान देता है।

आगे की राह:

  • किसानों के लिये वित्तीय प्रोत्साहन: जैविक खेती, फसल चक्र और कृषि वानिकी जैसी सतत् पद्धतियों को अपनाने वाले किसानों को वित्तीय पुरस्कार प्रदान करना तथा जैविक उर्वरकों, जैव कीटनाशकों और अन्य पर्यावरण अनुकूल आदानों के लिये सब्सिडी प्रदान करना।
  • अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना: सूखा, कीट और रोग प्रतिरोधी फसलों के लिये अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना, तथा छोटे किसानों के लिये किफायती जैविक इनपुट विकसित करना।
  • सतत् उत्पादन के लिये बाज़ार तक पहुँच: फसल-उपरांत होने वाले नुकसान को कम करने के लिये भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण में सुधार करना, तथा सतत् उत्पादन के लिये किसानों से उपभोक्ताओं तक सीधे बिक्री को सक्षम बनाना।
  • पर्यावरणीय विनियमों को सुदृढ़ करना: जल उपयोग, उर्वरकों और कीटनाशकों के अति प्रयोग तथा प्रदूषण को रोकने के लिये सख्त विनियमन लागू करना, तथा अनुपालन की सावधानीपूर्वक जाँच करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भूजल की कमी और मृदा क्षरण भारतीय कृषि के लिये गंभीर जोखिम उत्पन्न करते हैं। इन चुनौतियों को कम करने में राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (NMSA) की भूमिका पर चर्चा करें।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. गहन बाजरा संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. इस पहल का उद्देश्य उचित उत्पादन और कटाई के बाद की तकनीकों का प्रदर्शन करना तथा मूल्यवर्द्धन तकनीकों को समेकित तरीके से क्लस्टर दृष्टिकोण के साथ प्रदर्शित करना है।
  2.  इस योजना में गरीब, छोटे, सीमांत और आदिवासी किसानों की बड़ी हिस्सेदारी है।
  3.  इस योजना का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य वाणिज्यिक फसलों के किसानों को पोषक तत्त्वों और सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों के आवश्यक आदानों की निःशुल्क किट देकर बाजरा की खेती में स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहित करना है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c


प्रश्न: निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय समझौतों पर विचार कीजिये: (2014)

  1. खाद्य एवं कृषि के लिये पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि
  2.  मरुस्थलीकरण से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
  3.  विश्व विरासत सम्मेलन

उपर्युक्त में से किसका/किनका जैवविविधता पर प्रभाव पड़ता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) कृषि उत्पादन को बनाए रखने में किस सीमा तक सहायक है? (2019)