कृषि-वानिकी एवं प्राकृतिक खेती को सशक्त बनाना | 11 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP), गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री मेन्स के लिये:प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल |
चर्चा में क्यों?
कृषि-वानिकी पर उप-मिशन (SMAF) की पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजना को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के ढाँचे के भीतर एक कृषि-वानिकी घटक के रूप में पुनर्गठित और शामिल किया गया है।
- यह नवोन्मेषी दृष्टिकोण पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं के प्रति भारत की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है, जिसमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना भी शामिल है, जो एकीकृत कृषि और पशुपालन क्षेत्र में एक रसायन-मुक्त विधि है।
RKVY के अंर्तगत पुनर्गठित कृषि-वानिकी योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- केंद्रित दृष्टिकोण:
- संशोधित योजना कृषि-वानिकी के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व के रूप में गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री (QPM) की उपलब्धता को बढ़ावा देने और सुनिश्चित करने पर ज़ोर देती है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय कृषि-वानिकी अनुसंधान संस्थान (CAFRI) नर्सरी स्थापित करने, उत्पादन एवं QPM प्रमाणित करने के लिये तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण तथा मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु नोडल एजेंसी के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इस योजना के अंर्तगत QPM के उत्पादन और प्रमाणीकरण को एक विशेष प्राथमिकता दी गई।
- AICRP केंद्र:
- कृषि-वानिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP) केंद्रों के ढाँचे के अंर्तगत CAFRI नवाचार को बढ़ावा देने, टिकाऊ प्रथाओं को विकसित करने एवं ज्ञान का प्रसार करने के लिये देश भर में स्थित अनुसंधान केंद्रों के साथ सहयोग करती है।
- राज्य नोडल विभाग अथवा एजेंसियाँ:
- प्रभावी कार्यान्वयन के लिये प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश एक निर्दिष्ट राज्य नोडल विभाग अथवा एजेंसी की पहचान करता है।
- राज्य नोडल विभाग अथवा एजेंसी की ज़िम्मेदारी स्वतंत्र रूप से या विभिन्न संस्थानों और संस्थाओं के सहयोग से QPM के उत्पादन तथा उपलब्धता को सुनिश्चित करना है।
- प्रभावी कार्यान्वयन के लिये प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश एक निर्दिष्ट राज्य नोडल विभाग अथवा एजेंसी की पहचान करता है।
- किसानों/SHG में निशुल्क वितरण:
- इस योजना के माध्यम से एकत्रित QPM (Quality Planting Material) को किसानों और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के लिये या तो निशुल्क या संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लिये गए निर्णयों के आधार पर सुलभ कराया जाता है।
- प्रमुख घटक और गतिविधियाँ:
- QPM उत्पादन के लिये नर्सरी की स्थापना।
- गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के लिये टिशू कल्चर लैब।
- कौशल विकास एवं जागरूकता अभियान (आवंटन का 5% तक)।
- अनुसंधान एवं विकास, मार्केट लिंकिंग (Market Linking)।
- परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU) और कृषि वानिकी तकनीकी सहायता समूह (TSG)।
- स्थानीय पहल (स्वीकृत वार्षिक योजना का 2% तक)।
गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री (QPM):
- QPM राजस्व को बढ़ाने, प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की अनुकूलन क्षमता में सुधार करने और गुणवत्ता वाले कच्चे माल की बाज़ारों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिये कृषि-वानिकी में एक आवश्यक निविष्टि (input) है।
- रोपण सामग्री की गुणवत्ता उसकी उत्पत्ति, विविधता और स्टॉक/भंडारण की प्रामाणिकता, वनस्पति विकास एवं स्वास्थ्य स्थिति से निर्धारित होती है।
- QPM प्रमाणीकरण यह सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है कि रोपण सामग्री की गुणवत्ता निर्धारित मानकों को पूरा करती है और अभीष्ट/इच्छित उद्देश्य के लिये उपयुक्त है।
प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहल:
- भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) उप-योजना:
- वर्ष 2019-2020 से परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत शुरू की गई यह उप-योजना एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से रसायन मुक्त खेती का समर्थन करती है जिसमें पशुधन और स्थानीय संसाधन शामिल हैं, इस उपयोजना में बायोमास रीसाइक्लिंग एवं मल्चिंग पर ज़ोर दिया गया है।
- नमामि गंगे कार्यक्रम:
- PKVY योजना के भाग के रूप में सरकार गंगा नदी के तट पर रसायन मुक्त जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। वर्ष 2017-18 से आयोजित इस पहल के तहत लगभग 1.23 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर किया गया है।
- गंगा कॉरिडोर का विस्तार:
- वर्ष 2022-23 में सरकार ने बिहार, झारखंड, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों में गंगा नदी के तट पर 5 किमी. चौड़े कॉरिडोर में 1.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के लिये रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को स्वीकृति दी है।
कृषि वानिकी पर उप-मिशन (SMAF) योजना:
- वर्ष 2016-17 से कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture, Cooperation and Farmers Welfare- DAC & FW) द्वारा कार्यान्वित।
- इसका उद्देश्य किसानों को जलवायु अनुकूलन और अतिरिक्त आय स्रोतों के लिये कृषि फसलों के साथ-साथ बहुउद्देश्यीय वृक्ष लगाने के लिये प्रोत्साहित करना है।
- इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिये किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) की आवश्यकता होती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. स्थायी कृषि (पर्माकल्चर), पारंपरिक रासायनिक कृषि से किस तरह भिन्न है? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी मिश्रित खेती की प्रमुख विशषेता है? (2012) (a) नकदी और खाद्य दोनों सस्यों की साथ-साथ खेती। उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. फसल विविधता के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं? (2021) प्रश्न. जल इंजीनियरी और कृषि विज्ञान के क्षेत्रें में क्रमशः सर एम. विश्वेश्वरैया और डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन के योगदानों से भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचा था? (2019) |