एमिशन गैप रिपोर्ट 2023: UNEP | 22 Nov 2023

प्रिलिम्स के लिये:

एमिशन गैप रिपोर्ट 2023, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG), राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), नेट-ज़ीरो

मेन्स के लिये:

एमिशन गैप रिपोर्ट 2023: UNEP, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसका शीर्षक है- एमिशन गैप रिपोर्ट 2023: ब्रोकन रिकॉर्ड - टेम्परेचर हिट न्यू हाई यट वर्ल्ड फेल्स टू कट एमिशन (अगेन), जिसमें कहा गया है कि तापमान वृद्धि की खतरनाक स्थिति से बचने के लिये तत्काल जलवायु कार्रवाई महत्त्वपूर्ण है। 

  • यह रिपोर्ट शृंखला का 14वाँ संस्करण है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भविष्य के रुझानों को देखने और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती के संभावित समाधान प्रदान करने के लिये विश्व के कई शीर्ष जलवायु वैज्ञानिकों को एक साथ लाती है।

उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट (EGR) क्या है?

  • एमिशन गैप रिपोर्ट/उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट, UNEP की वार्षिक जलवायु वार्ता से पहले हर वर्ष लॉन्च की जाने वाली स्पॉटलाइट रिपोर्ट है।
  • EGR वर्तमान में देशों की प्रतिबद्धताओं के साथ वैश्विक उत्सर्जन और वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के स्तर के बीच अंतर को ट्रैक करती है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • तापमान वृद्धि प्रक्षेपवक्र:
    • पेरिस समझौते के तहत मौजूदा प्रतिज्ञाओं ने विश्व को इस सदी के अंत तक पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2.5-2.9 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ाने की दिशा में अग्रसर किया है।
      • पेरिस समझौता (पार्टियों के सम्मेलन 21 या COP 21 के रूप में भी जाना जाता है) एक ऐतिहासिक पर्यावरण समझौता है जिसे जलवायु परिवर्तन और इसके नकारात्मक प्रभावों को संबोधित करने के लिये वर्ष 2015 में अपनाया गया था।
    • तापमान वृद्धि को 1.5-2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिये वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 28-42% की कटौती करना आवश्यक है।
  • वैश्विक उत्सर्जन रुझान: 
    • वर्ष 2022 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG) का 57.4 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड इक्वेलेंट (GtCO2e) का एक नया रिकॉर्ड सामने आया, जो विगत वर्ष की तुलना में 1.2% अधिक है।
      • 100 वर्ष की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता के साथ जीवाश्म CO2 उत्सर्जन वर्तमान GHG उत्सर्जन का लगभग दो-तिहाई है।
      • कई डेटासेट के अनुसार, वर्ष 2022 में जीवाश्म CO2 उत्सर्जन 0.8-1.5% के बीच बढ़ा जो GHG उत्सर्जन की समग्र वृद्धि में मुख्य योगदानकर्त्ता था। वर्ष 2022 में फ्लोराइडयुक्त गैसों का उत्सर्जन 5.5% बढ़ा, इसके बाद मीथेन 1.8% एवं नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) 0.9% में वृद्धि हुई।
    • G20 देशों में भी GHG उत्सर्जन में वर्ष 2022 में 1.2% की वृद्धि हुई। हालाँकि सदस्य देशों के उत्सर्जन में भिन्नता है, चीन, भारत, इंडोनेशिया तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्सर्जन में वृद्धि हुई है, जबकि ब्राज़ील, यूरोपीय संघ एवं रूसी संघ में इसमें कमी आई है। सामूहिक रूप से वर्तमान में वैश्विक उत्सर्जन में G20 देशों का 76% योगदान है।

  • प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों से उत्सर्जन:
    • उत्सर्जन को पाँच प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है- ऊर्जा आपूर्ति, उद्योग, कृषि एवं भूमि उपयोग, भूमि-उपयोग परिवर्तन और वानिकी (Land use, Land-Use Change and Forestry- LULUCF), परिवहन व भवन।
    • वर्ष 2022 में ऊर्जा आपूर्ति 20.9 GtCO2e (कुल का 36%) उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत थी, इसके बाद उद्योग (25%), कृषि तथा LULUCF CO2 (18%), परिवहन (14%) और भवन (6.7%) का स्थान था। 
  • शमन प्रयास: 
    • यदि मौजूदा नीतियाँ और प्रतिज्ञाएँ जारी रहीं, तो सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग पूर्व-औद्योगिक स्तर से 3 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुँच जाएगी।
    • बिना शर्त राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को लागू करने से वृद्धि को 2.9 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकता है, जबकि सशर्त NDC इसे 2.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित कर सकते हैं।
  •  शुद्ध-शून्य प्रतिज्ञाएँ: 
    • हालाँकि देशों ने  शुद्ध-शून्य प्रतिज्ञाएँ की हैं, लेकिन G20 देशों में से कोई भी अपने लक्ष्य के अनुरूप गति से उत्सर्जन में कमी नहीं कर रहा है।
    • यहाँ तक कि सबसे आशावादी परिदृश्य में भी तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की संभावना केवल 14% है।
  • प्रगति और चुनौतियाँ:
    • पेरिस समझौते के बाद से नीतिगत प्रगति ने कार्यान्वयन अंतर को कम कर दिया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।
    • नौ देशों ने अपने NDC को अद्यतन किया, जिससे संभावित रूप से वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में लगभग 9% सालाना की कमी आएगी।
    • हालाँकि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने हेतु कम-से-कम लागत के लिये और कटौती करना आवश्यक है।

उत्सर्जन अंतर को पाटने के लिये क्या सिफारिशें हैं?

  • निम्न-कार्बन विकास:
    • वैश्विक, निम्न-कार्बन विकास परिवर्तनों की आवश्यकता है, विशेष रूप से ऊर्जा परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने की।
    • जीवाश्म ईंधन का निष्कर्षण और नियोजित उपयोग तापमान लक्ष्यों को पूरा करने के लिये कार्बन बजट से कहीं अधिक है।
  • समर्थन और वित्तपोषण:
    • उत्सर्जन की अधिक क्षमता और ज़िम्मेदारी वाले देशों को अधिक महत्त्वाकांक्षी कार्रवाई करने तथा विकासशील देशों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होगी।
    • निम्न और मध्यम आय वाले देशों, जो पहले से ही वैश्विक उत्सर्जन के दो-तिहाई से अधिक के लिये ज़िम्मेदार हैं, को कम उत्सर्जन विकास प्रक्षेप पथ के साथ अपनी वैध विकास आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करना होगा।
  • कार्बन डाइऑक्साइड हटाना:
    • भविष्य में कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की अधिक आवश्यकता होगी। हालाँकि कार्बन डाइऑक्साइड हटाने के नए तरीकों के साथ कई जोखिम हैं, जिनमें से एक मुख्य यह है कि तकनीक अभी तक विकसित नहीं हुई है।
    • मूलतः हम जितना लंबा इंतज़ार करेंगे, यह उतना ही कठिन होता जाएगा। विश्व को अपर्याप्त कार्रवाई के इस ढाँचे से बाहर निकलने की ज़रूरत है और उत्सर्जन, हरित और न्यायसंगत बदलाव तथा जलवायु वित्त पर नए रिकॉर्ड स्थापित करने की ज़रूरत है।   

भारत में उत्सर्जन कम करने के लिये क्या पहलें की गई हैं?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम क्या है?

  • परिचय:
    • यह 5 जून, 1972 को स्थापित एक अग्रणी वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
    • यह वैश्विक पर्यावरण एजेंडा निर्धारित करता है, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत् विकास को बढ़ावा देता है और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण हेतु आधिकारिक तौर पर वकालत करता है।
  • मुख्यालय:
    • नैरोबी, केन्या।
  • प्रमुख रिपोर्ट:
  • प्रमुख अभियान:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. यू. एन. ई. पी. द्वारा समर्थित ‘कॉमन कार्बन मेट्रिक’को किसलिये विकसित किया गया है? (2021)

(a) संपूर्ण विश्व में निर्माण कार्यों के कार्बन पदचिह्न का आकलन करने के लिये।
(b) कार्बन उत्सर्जन व्यापार में विश्व भर में वाणिज्यिक कृषि संस्थाओं के प्रवेश हेतु अधिकार प्रदान करने के लिये।
(c) सरकारों को अपने देशों द्वारा किये गए समग्र कार्बन पदचिह्न के आकलन हेतु अधिकार देने के लिये।
(d) किसी इकाई समय (यूनिट टाइम) में विश्व में जीवाश्म ईंधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले समग्र कार्बन पदचिह्न के आकलन के लिये।

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के लिये नियंत्रण उपायों को समझाइये। (2022)