शासन व्यवस्था
चुनावी ट्रस्ट योजना, 2013
- 11 Nov 2023
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प्रिलिम्स के लिये:चुनावी ट्रस्ट योजना, चुनावी बॉण्ड, राजनीतिक दल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 मेन्स के लिये:चुनाव प्रक्रिया पर चुनावी बॉण्ड का प्रभाव, नीति निर्माण एवं कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की चुनावी बॉण्ड योजना को चुनौती पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
- वर्ष 2018 में चुनावी बॉण्ड (EB) योजना की शुरुआत से पहले चुनावी फंडिंग के लिये एक और योजना जिसे इलेक्टोरल ट्रस्ट (ET) योजना कहा जाता है, वर्ष 2013 में शुरू की गई थी।
चुनावी ट्रस्ट योजना क्या है?
- परिचय:
- चुनावी ट्रस्ट योजना, 2013 को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा अधिसूचित किया गया था।
- चुनावी ट्रस्ट कंपनियों द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है जिसका एकमात्र उद्देश्य अन्य कंपनियों और व्यक्तियों से प्राप्त योगदान को राजनीतिक दलों में वितरित करना है।
- सिर्फ कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत पंजीकृत कंपनियाँ ही चुनावी ट्रस्ट के रूप में अनुमोदन के लिये आवेदन करने हेतु पात्र हैं। चुनावी ट्रस्टों को हर तीन वित्तीय वर्ष में नवीनीकरण के लिये आवेदन करना होता है।
- यह योजना एक चुनावी ट्रस्ट को मंजूरी देने की प्रक्रिया तय करती है जो स्वैच्छिक योगदान प्राप्त करेगा और उसे राजनीतिक दलों में वितरित करेगा।
- चुनावी ट्रस्ट से संबंधित प्रावधान आयकर अधिनियम, 1961 और आयकर नियम-1962 के तहत हैं।
- चुनावी ट्रस्ट में योगदान:
- वे इनसे योगदान प्राप्त कर सकते हैं:
- एक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है।
- भारत में पंजीकृत एक कंपनी।
- भारत में निवासी एक फर्म या हिंदू अविभाजित परिवार या व्यक्तियों का एक संघ या व्यक्तियों का एक निकाय।
- वे इनसे योगदान स्वीकार नहीं करेंगे:
- एक व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है या किसी विदेशी संस्था से है चाहे वह निगमित हो या नहीं;
- योजना के तहत पंजीकृत कोई अन्य चुनावी ट्रस्ट।
- वे इनसे योगदान प्राप्त कर सकते हैं:
- धन के वितरण के लिये तंत्र:
- प्रशासनिक खर्चों के लिये चुनावी ट्रस्टों को एक वित्तीय वर्ष के दौरान एकत्र किये गए कुल धन का अधिकतम 5% अलग रखने की अनुमति है।
- ट्रस्टों की कुल आय का शेष 95% पात्र राजनीतिक दलों को वितरित किया जाना आवश्यक है।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत पार्टियाँ योगदान प्राप्त करने के लिये पात्र हैं।
- ट्रस्टों की कुल आय का शेष 95% पात्र राजनीतिक दलों को वितरित किया जाना आवश्यक है।
- चुनावी ट्रस्ट को प्राप्तियों, वितरण और दाताओं तथा प्राप्तकर्त्ताओं की सूची के विवरण सहित खाते बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
- प्रशासनिक खर्चों के लिये चुनावी ट्रस्टों को एक वित्तीय वर्ष के दौरान एकत्र किये गए कुल धन का अधिकतम 5% अलग रखने की अनुमति है।
- चुनावी ट्रस्टों के खातों की लेखापरीक्षा:
- प्रत्येक चुनावी ट्रस्ट को अपने खातों का लेखाकार द्वारा लेखापरीक्षा करवाना और लेखापरीक्षा रिपोर्ट आयकर आयुक्त या आयकर निदेशक को प्रस्तुत करना आवश्यक है।
चुनावी बॉण्ड क्या हैं?
- चुनावी बॉण्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय साधन है।
- बॉण्ड 1 हज़ार रुपए, 10 हज़ार रुपए, 1 लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में बिना किसी अधिकतम सीमा के जारी किये जाते हैं।
- भारतीय स्टेट बैंक इन बॉण्डों को जारी करने और नकदीकरण के लिये अधिकृत है, जो जारी होने की तारीख से पंद्रह दिनों के लिये वैध हैं।
- ये बॉण्ड पंजीकृत राजनीतिक दल के निर्दिष्ट खाते में नकदीकृत किये जा सकते हैं।
- बॉण्ड केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्तूबर के महीनों में प्रत्येक में दस दिनों की अवधि के लिये किसी भी व्यक्ति (जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित है) द्वारा खरीद के लिये उपलब्ध हैं।
- एक व्यक्ति व्यक्तिगत या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से बॉण्ड खरीद सकता है।
- बॉण्ड पर प्रदाता का नाम अंकित नहीं होता है।
चुनावी ट्रस्ट योजना चुनावी बॉण्ड योजना से किस प्रकार भिन्न है?
- पारदर्शिता और जवाबदेही:
- ET की कार्यप्रणाली को पारदर्शिता के कारण ही पहचान मिली है, क्योंकि इसके अंतर्गत योगदानकर्त्ताओं और लाभार्थियों की पहचान का खुलासा किया जाता है।
- चुनावी ट्रस्ट योजना के अंतर्गत एक सुदृढ़ रिपोर्टिंग प्रणाली का पालन किया जाता है जिसकी विस्तृत वार्षिक योगदान रिपोर्ट भारतीय निर्चाचन आयोग (ECI) को प्रस्तुत की जाती है। यह कार्यप्रणाली अनुदान और उनके आवंटन का व्यापक रिकॉर्ड सुनिश्चित करती है।
- वहीं दूसरी ओर, EB योजना में पारदर्शिता की कमी देखने को मिलती है।
- दानदाताओं की पहचान के अभाव के कारण वित्तपोषण की प्रक्रिया में एक अपारदर्शी वातावरण का निर्माण होता है, जिससे प्राप्त योगदान के स्रोत का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- ET की कार्यप्रणाली को पारदर्शिता के कारण ही पहचान मिली है, क्योंकि इसके अंतर्गत योगदानकर्त्ताओं और लाभार्थियों की पहचान का खुलासा किया जाता है।
- फंडिंग रुझान (2013-14 से 2021-22):
- नौ वित्तीय वर्षों (2013-14 से 2021-22) के आंकड़ों से पता चलता है कि EB की शुरुआत के बाद दो सरकारी योजनाओं के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग बढ़ गई, जिसमें बड़ी मात्रा में डोनेशन EB योजना के माध्यम से आया।
- वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच राजनीतिक दलों को ET के जरिये कुल 1,631 करोड़ रुपए मिले, जबकि EB के जरिये उन्होनें कुल 9,208 करोड़ रुपए का चंदा एकत्रित किया।
- नौ वित्तीय वर्षों (2013-14 से 2021-22) के आंकड़ों से पता चलता है कि EB की शुरुआत के बाद दो सरकारी योजनाओं के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग बढ़ गई, जिसमें बड़ी मात्रा में डोनेशन EB योजना के माध्यम से आया।
- राजनीतिक दल की रसीदें:
- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक एकल राजनीतिक दल ने वर्ष 2021-22 में ET द्वारा दिये गए कुल दान का 72% और वर्ष 2013-14 से वर्ष 2021-22 तक EB के माध्यम से 57% फंडिंग हासिल की है।
- रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि राजनीतिक दलों को 55% से अधिक फंडिंग EB के माध्यम से आती है।
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