भारतीय अर्थव्यवस्था
एससी और एनजीटी के चुनिंदा फैसलों का आर्थिक प्रभाव
- 23 Jun 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय, नीति आयोग, एनजीटी। मेन्स के लिये:स्थिरता और आर्थिक विकास। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के चुनिंदा फैसलों के आर्थिक प्रभाव शीर्षक वाली रिपोर्ट नीति आयोग को सौंपी गई है।
- अध्ययन CUTS (कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसाइटी) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसे नीति आयोग द्वारा अधिकृत और पूरी तरह से वित्त पोषित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- CUTS विभिन्न न्यायिक आदेशों के आर्थिक प्रभावों का अध्ययन करता है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय और NGT के पांँच पर्यावरण संबंधी प्रमुख आदेश शामिल हैं।
- अध्ययन में शामिल हैं:
- गोवा फाउंडेशन बनाम एम/एस सेसा स्टरलाइट लिमिटेड और अन्य, 2018
- हनुमान लक्ष्मण अरोस्कर बनाम भारत संघ (मोपा हवाई अड्डा मामला), 2019
- तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बनाम स्टारलाइट इंडस्ट्रीज (आई) लिमिटेड (स्टारलाइट कॉपर प्लांट केस), 2019
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन बनाम पर्यावरण और वन मंत्रालय और अन्य (रेत खनन मामला), 2013
- वर्धमान कौशिक बनाम भारत संघ और अन्य (एनसीआर निर्माण प्रतिबंध मामला), 2016
- पर्यावरण से संबंधित पांँच न्यायिक आदेशों के आर्थिक प्रभाव:
- पर्यावरण से संबंधित पांँच चुनिंदा आदेशों के कारण आर्थिक प्रभावों के विश्लेषण का अनुमान है कि पर्यावरण से संबंधित प्रतिबंधात्मक आदेशों के कारण वर्ष 2018 के मध्य से 2021 के मध्य तक 75,000 व्यक्ति प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए थे।
- भारत सरकार को 2018 के मध्य से 2021 के मध्य तक 8,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ।
- यदि इस राजस्व को पूंजीगत व्यय के रूप में खर्च किया जाता, तो आर्थिक लाभ 20,000 करोड़ रुपए होता।
- पाँच फैसलों से इस अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि 16,000 लोगों ने अपनी नौकरी खो दी।
- उद्योग को राजस्व में लगभग 15,000 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ और श्रमिकों को लगभग 500 करोड़ रूपए की आय का नुकसान हुआ।
- गोवा में खनन पर प्रतिबंध की केस स्टडी:
- राज्य के सार्वजनिक ऋण में वृद्धि:
- गोवा में खनन पर प्रतिबंध के कारण, राज्य का सार्वजनिक ऋण वर्ष 2007 से 2021 तक 10.06% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ गया।
- राज्य द्वारा लिया गया बाज़ार ऋण 19.93% की CAGR से बढ़ा, फलस्वरूप खनन निलंबन के कारण।
- केंद्र और राज्य दोनों में राजस्व घाटा:
- खनन कंपनियों द्वारा भुगतान किये गए करों में केंद्रीय और राज्य के राजस्व को संचयी रूप से 668.39 करोड़ रुपए का अनुमानित घाटा हुआ,
- जबकि राज्य के राजस्व में विशेष रूप से 1,821.32 करोड़ रुपए का अनुमानित घाटा हुआ।
- खनन कंपनियों में घाटा:
- वर्ष 2018-19 और 2020-2021 के दौरान खनन कंपनियों को 6,976.71 करोड़ रूपए का नुकसान होने का अनुमान है।
- रोज़गार का नुकसान:
- खनन बंद करने के मामले में रोज़गार का शुद्ध नुकसान (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों) लगभग 15,000 नौकरियों का है।
- राज्य के सार्वजनिक ऋण में वृद्धि:
अध्ययन की सिफारिशें:
- स्ट्राइक बैलेंस:
- यह न्यायपालिका और न्यायाधीशों को अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय कारकों के बीच संतुलन बनाने के तरीके से लैस करने की आवश्यकता की सिफारिश करता है।
- उदाहरण के लिये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र निर्माण प्रतिबंध मामले पर, प्रदूषण को रोकने में न्यायपालिका और कार्यपालिका द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं की अप्रभाावी क्षमता और विशेषज्ञता की कमी, संसाधनों की कमी जैसे विभिन्न कारणों से निर्धारित प्रक्रियाओं और प्रणाली में खामियों के अस्तित्व को उजागर करती है।
- विषय विशेषज्ञों की आवश्यकता:
- इसने आर्थिक प्रभावों से जुड़े मामलों पर न्यायाधीशों का मार्गदर्शन करने वाले विषय विशेषज्ञों/ विशेषज्ञों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव किया जाना चाहिये।
- न्यायाधीशों की बेहतर कार्य गुणवत्ता हेतु राष्ट्रीय न्यायिक आयोग पर कानून को पुनर्जीवित किया जाना चाहिये।
- हालाँकि न्यायिक अधिकारियों के लिये (बुनियादी) आर्थिक मुद्दों से अवगत होना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है, ताकि समग्र और संतुलित निर्णय और दृष्टिकोण की आवश्यकता की पहचान की जा सके।
- न्यायपालिका के लिये जवाबदेही:
- इसने न्यायपालिका के लिये न्यायशास्त्र विश्लेषण और निर्णय लेने के उच्च स्तर को सुनिश्चित करने के लिये जवाबदेही भी निर्धारित की।
- ऐसे मामलों में जहांँ कानूनी प्रावधानों का सख्ती से पालन करने से वास्तविक आर्थिक नुकसान हो सकता है, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय लेने में व्यापक जनहित का मार्गदर्शन किया जाना चाहिये।
- शीर्ष न्यायालय को एकमुश्त भ्रष्टाचार और कुप्रशासन के मामलों में शामिल अधिकारियों तथा राजनेताओं पर जुर्माना आरोपित कर जवाबदेही की मांँग करनी चाहिये।
- सभी स्तरों पर पारदर्शिता:
- इस प्रकार आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के मानव-केंद्रितता के बड़े उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए समानता, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के उद्देश्य को समान रूप से ध्यान में रखते हुए न्याय व्यवस्था सहित सभी स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को सूचित करना महत्त्वपूर्ण है।