नीति आयोग का पुनर्गठन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने नीति आयोग (National Institution for Transforming India- NITI Aayog) के पुनर्गठन को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

    • केंद्र सरकार ने नीति आयोग का पुनर्गठन निम्नलिखित रूप में करने को मंज़ूरी दी है-

अध्यक्ष

प्रधानमंत्री

उपाध्यक्ष

राजीव कुमार

पूर्णकालिक सदस्य

  1. वी के सारस्वत
  2. प्रो. रमेश चंद
  3. डॉ. वी के पॉल

पदेन सदस्य (Ex-officio Members)

  1. राज नाथ सिंह, रक्षा मंत्री
  2. अमित शाह, गृह मंत्री
  3. निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री
  4. नरेन्द्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायती राज मंत्री

विशेष आमंत्रित सदस्य

  1. नितिन गडकरी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री
  2. थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री
  3. पीयूष गोयल, रेलमंत्री
  4. राव इंद्रजीत सिंह, सांख्यिकी मंत्री, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

नीति आयोग

    • 1 जनवरी, 2015 को थिंक टैंक के रूप में अस्तित्व में आए नीति आयोग (National Institution for Transforming India-NITI) का मुख्य कार्य न्यू इंडिया के निर्माण का विज़न एवं इसके लिये रणनीतिक मसौदा बनाना तथा कार्य योजनाएँ तैयार करना है।
    • केंद्र सरकार की नीति निर्धारण संस्था के रूप में नीति आयोग देशभर से सुझाव आमंत्रित करके जन-भागीदारी एवं राज्य सरकारों की भागीदारी से नीतियाँ बनाने का काम करता है।
    • अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री ने योजना आयोग को भंग करने की घोषणा की थी और उसके बाद योजना आयोग के भंग होने के साथ ही पंचवर्षीय योजना का युग भी समाप्त हो गया।
    • नीति आयोग की स्थापना के बाद योजना के अंतर्गत व्यय और गैर-योजनांतर्गत व्यय का अंतर समाप्त हो चुका है। अब केंद्र सरकार से राज्य सरकारों को धनराशि का हस्तांतरण केवल केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर होता है।
    • उल्लेखनीय है कि नीति आयोग योजना आयोग की भाँति भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सृजित एक निकाय है। इस प्रकार यह न तो संवैधानिक और न ही वैधानिक निकाय है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक संविधानेत्तर निकाय होने के साथ ही एक गैर-वैधानिक (जो संसद के किसी अधिनियम द्वारा अधिनियमित न हो) निकाय भी है।

  • नीति आयोग के कुछ मार्गदर्शक सिद्धांत:

    • अंत्योदय (पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय विचारों पर आधारित)
    • समावेशिता
    • ग्राम (विकास प्रक्रिया से गाँवों को जोड़ना)
    • जनसहभागिता इत्यादि।

स्रोत: पीआईबी