आपदा प्रबंधन
प्रकृति और शहरीकरण
- 24 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
बीते साल एक रिपोर्ट में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India-CAG) ने वर्ष 2015 की चेन्नई बाढ़ को “मानव निर्मित आपदा” की संज्ञा दी थी।
प्रमुख बिंदु:
- पानी की अधिकता के बाद अब चेन्नई एक अन्य संकट से जूझ रहा है - पानी की कमी का संकट। बीते कुछ वर्षों में चेन्नई के 30 से अधिक जल स्रोत गायब हो गए हैं।
- पक्की सड़कों और सतहों (Floors) के अत्यधिक निर्माण ने वर्षा के जल को पृथ्वी की सतह तक आने से काफी हद तक रोक दिया है जिससे कारण भूजल स्तर में कमी हुई है।
- गौरतलब है कि चेन्नई की बाढ़ और वर्तमान जल संकट इस बात का संकेत हैं कि किस प्रकार झीलों एवं नदियों के अतिक्रमण ने भारत के छठे सबसे बड़े शहर को पर्यावरण असंवेदनशीलता की स्थिति में पहुँचा दिया है।
शहरीकरण और उसके प्रभाव
- प्राकृतिक संसाधनों की लागत पर शहरीकरण के विकास के उदाहरण भारत या वैश्विक स्तर पर नए नहीं हैं। बंगलूरू, हैदराबाद और यहाँ तक कि मैक्सिको जैसे शहर इस बात के प्रमुख उदाहरण हैं।
- कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा जारी एक नोटिस में कहा गया था कि पाँच साल से भी कम समय में बंगलूरू की लगभग 15 झीलों की पारिस्थितिक विशेषताएँ नष्ट हो गई हैं।
- बंगलूरू में अतिक्रमित झीलों के क्षेत्र को बस स्टैंड, स्टेडियम और यहाँ तक कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दफ्तर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
तेलंगाना ने किया है जल क्षेत्र में सराहनीय कार्य
- तेलंगाना के हालात भी कुछ अच्छे नहीं थे, वहाँ काकतीय राजवंश द्वारा निर्मित तालाब और झीलें बीते कुछ वर्षों में गायब हो गई।
- उक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2015 में ‘मिशन काकतीय’ नाम से एक आंदोलन शुरू किया जिसका मुख्य उद्देश्य काकतीय राजवंश द्वारा निर्मित तालाब और झीलों की बहाली करना है।
- वर्तमान में तेलंगाना हाइड्रोलिक मॉडल की ओर बढ़ रहा है। यह मॉडल पानी के छह स्रोतों को एकीकृत करता है ताकि शहर के सबसे अविकसित क्षेत्रों की भी जल संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित हो सकें और चेन्नई जैसी स्थिति से बचने के लिये भूजल को बहाल किया जा सके।
मेक्सिको और बंगलूरू में भी हुआ है काम
- मेक्सिको ने अपने डूबते हुए शहर को बचाने के प्रयास में ‘रेसिलियेंस ऑफिसर’ (Resilience Officer) नाम से एक अधिकारी की नियुक्ति की है।
- रेसिलियेंस ऑफिसर, मेक्सिको में एक उच्च स्तरीय अधिकारी है जो सीधे शहर के मेयर को रिपोर्ट करता है।
- इस अधिकारी का कार्य यह विचार करना है कि शहर की कोई नीति या योजना शहर की आपदा से लड़ने की क्षमताओं को किस प्रकार कम कर सकती है साथ ही वह यह सुझाव भी देगा कि इस स्थिति से किस प्रकार निपटा जाए।
- इसके अलावा बंगलूरू एक सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership) मॉडल में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी फंड (Corporate Social Responsibility Funds) के माध्यम से कुंडलाहल्ली झील के पुनरुद्धार का प्रयास कर रहा है।
2050: कैसे होंगे हालात?
- एक अनुमान के मुताबिक, आने वाले 30 वर्षों में भारत की 50 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करेगी।
- इस हिसाब से यदि हम अपने देश का बेहतर भविष्य चाहते हैं तो हम कैसे देश के 50 प्रतिशत लोगों की जान खतरे में डाल सकते हैं?
- यदि हम अभी नहीं जागे तो हमें प्रकृति के खतरनाक परिणामों को भुगतने के लिये तैयार रहना होगा और मानवता के विनाश हेतु हमें किसी परमाणु बम की आवश्यकता भी नहीं होगी।
आगे की राह:
- शहरीकरण किसी भी समाज के विकास हेतु काफी महत्त्वपूर्ण है और यदि इसे सुव्यवस्थित ढंग से किया जाए तो इसके काफी परिणाम सकारात्मक हो सकते हैं।
- शहरीकरण के दौरान बड़े स्तर पर वृक्षों की कटाई की जाती हैं, इस संदर्भ में एक नीति तैयार की जानी चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये की जितनी आवश्यकता है उतने ही वृक्ष काटे जाएं। साथ ही उतनी ही मात्रा में वृक्षारोपण का भी प्रावधान किया जाना चाहिये ताकि प्रकृति में संतुलन भी बना रहे और विकास को भी सुनिश्चित किया जा सकें।
- उद्योगों को नगरीय क्षेत्रों से दूर इस प्रकार स्थापित करना चाहिये कि उनका प्रभाव शहरों पर न पड़े।