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भारतीय अर्थव्यवस्था

PMC और USF बैंक के एकीकरण की मसौदा योजना: RBI

  • 23 Nov 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, लघु वित्त बैंक, पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक

मेन्स के लिये:

बैंकों के विलय के लाभ एवं चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक तथा यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (USF) के एकीकरण संबंधी एक मसौदा योजना जारी की।

  • इससे पहले PMC बैंक को धोखाधड़ी के कारण प्रतिबंधों के तहत रखा गया था, जिसके कारण बैंक के नेटवर्थ में भारी गिरावट आई थी।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • एकीकरण की मसौदा योजना के अनुसार, एकीकरण के बाद पीएमसी बैंक के जमाकर्त्ताओं को उनका पैसा 3-10 वर्ष की अवधि में वापस मिल जाएगा।
    • 31 मार्च, 2021 के बाद हस्तांतरणकर्त्ता (PMC) बैंक के पास किसी भी ब्याज-भारित जमा पर ब्याज नहीं लगेगा।
  • महत्त्व:
    • यूनिटी द्वारा जमा सहित पीएमसी बैंक की संपत्ति और देनदारियों का अधिग्रहण जमाकर्त्ताओं  को अधिक-से-अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा।
      • निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों के ऑन-टैप लाइसेंसिंग के लिये दिशा-निर्देशों के तहत एक लघु वित्त बैंक की स्थापना हेतु 200 करोड़ रुपए की नियामक आवश्यकता के मुकाबले लगभग 1,100 करोड़ रुपए की पूंजी के साथ यूएसएफ बैंक की स्थापना की जा रही है।

बैंकों का विलय:

  • बैंकों के विलय के बारे में:
    • विलय से बैंकों को संयुक्त व्यवसाय संचालन और उद्यमों में लाभ होता है। साथ में वे शेयरधारक मूल्य बढ़ाने और ज़रूरतों को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा करने में सक्षम होते हैं।
    • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत बैंक समेकित प्रक्रियाएंँ प्रदान की जाती हैं। इस अधिनियम में धारा 45 आरबीआई को एक बैंकिंग कंपनी द्वारा व्यवसाय के निलंबन के लिये केंद्र सरकार को आवेदन करने और एकीकरण के पुनर्गठन की योजना तैयार करने का अधिकार प्रदान करती है।
  • हाल के उदाहरण:
    • वर्ष 2019 में वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) की सबसे बड़ी समेकन योजना की घोषणा की, उनमें से 10 बैंकों का आपस में विलय कर उन्हें 4 में परिवर्तित कर दिया गया।
    • जनवरी 2019 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने राज्य द्वारा संचालित विजया बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और देना बैंक के विलय को मंज़ूरी दी।
    • अप्रैल 2017 में 5 सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय कर दिया गया  जिनमें  स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला शामिल थे।
    • सरकार ने तीसरे चरण के समेकन के तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का कार्य भी शुरू किया, जिससे 56 बैंकों की संख्या को घटाकर 38 कर दिया गया।
  • लाभ:
    • प्रतिस्पर्द्धी: बैंकों का समेकन उन्हें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति को मज़बूत करने में मदद करता है।
    • पूंजी और शासन: सरकार का उद्देश्य केवल पूंजी प्रदान करना नहीं है, बल्कि सुशासन भी सुनिश्चित करना है। इस प्रक्रिया से निर्मित नए संस्थान की वित्तीय प्रणाली अधिक लाभदायक और संरक्षित होगी।
      • बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और उनके बैलेंस शीट में भी सुधार होगा।
    • दक्षता: साझा नेटवर्क की उपस्थिति से परिचालन लागत को कम भी किया जा सकेगा और इस बढ़ी हुई परिचालन दक्षता से बैंकों की उधार लागत भी कम हो जाएगी।
    • तकनीकी सहयोग: सभी एकीकृत बैंक एक विशेष ‘कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस’ (CBS) प्लेटफॉर्म में तकनीकी रूप से सहयोग कर सकेंगे।
    • आत्मनिर्भरता: बड़े बैंकों में सरकारी खजाने पर निर्भर रहने के बजाय बाज़ार से संसाधन जुटाने की बेहतर क्षमता होती है।
    • निगरानी: विलय की प्रक्रिया के बाद बैंकों की संख्या में कमी आने से पूंजी आवंटन, बेहतर प्रदर्शन और बैंकों की निगरानी करना सरकार के लिये आसान हो जाएगा।
  • चुनौतियाँ:
    • निर्णय लेना: जिन बैंकों का विलय किया गया है, वे शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में सुस्त देखे जा सकते हैं क्योंकि ऐसे बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी सभी निर्णयों को ठंडे बस्ते में डाल देंगे और इससे ऋण वितरण में गिरावट आएगी।
    • भौगोलिक तालमेल: विलय की प्रक्रिया के दौरान विलय किये गए बैंकों के बीच भौगोलिक तालमेल की कमी है। विलय के चार मामलों में से तीन विलय किये गए बैंक देश के केवल एक विशिष्ट क्षेत्र की सेवा करते हैं।
      • हालाँकि इलाहाबाद बैंक (पूर्व और उत्तर क्षेत्र में उपस्थिति) का इंडियन बैंक (दक्षिण में उपस्थिति) के साथ विलय से इसका भौगोलिक प्रसार बढ़ जाता है।
    • अर्थव्यवस्था में मंदी: यह कदम अच्छा है लेकिन समय बिल्कुल उपयुक्त नहीं है। अर्थव्यवस्था में पहले से ही मंदी की स्थिति है और निजी खपत व निवेश में गिरावट आ रही है। इसलिये अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने एवं अल्पावधि में ऋण प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता है और यह निर्णय उस ऋण को अल्पावधि के रूप में अवरुद्ध कर देगा।
    • कमज़ोर बैंक: कमज़ोर और कम पूंजी वाले पीएसबी के साथ एक जटिल विलय बैंक की वसूली के प्रयासों को रोक देगा क्योंकि एक बैंक की कमज़ोरियों को स्थानांतरित किया जा सकता है और इससे विलय की गई इकाई कमज़ोर हो सकती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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