शासन व्यवस्था
मनोरंजन उद्योग में बाल भागीदारी का विनियमन
- 25 Jun 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:मनोरंजन उद्योग में बाल संरक्षण को विनियमित करने हेतु दिशा-निर्देश,, बाल और किशोर श्रम अधिनियम, 1986, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015। मेन्स के लिये:बच्चों से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मनोरंजन उद्योग में बाल संरक्षण को विनियमित करने के लिये दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार किया है।
- आयोग द्वारा वर्ष 2011 में "मनोरंजन उद्योग में बाल भागीदारी को विनियमित करने के लिये दिशा-निर्देश" जारी किये गए थे। नया मसौदा पहली बार सोशल मीडिया और ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफार्मों को कवर करने वाले दिशा-निर्देशों के दायरे को बढ़ाता है।
नए दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएंँ:
ज़िला मजिस्ट्रेट की अनुमति :
- किसी भी ऑडियो-वीडियो मीडिया प्रोडक्शन या किसी बच्चे की भागीदारी वाले किसी भी व्यावसायिक कार्यक्रम के किसी भी निर्माता को अब उस ज़िला मजिस्ट्रेट की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी जहांँ गतिविधि का प्रदर्शन किया जाना है।
- निर्माताओं को डिस्क्लेमर भी चलाना होगा जिसमें यह बताया जाएगा कि शूटिंग की पूरी प्रक्रिया के दौरान बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, उपेक्षा या शोषण न हो, यह सुनिश्चित करने हेतु उपाय किये गए थे।
कठोर दंड प्रावधान:
- आयोग ने कारावास सहित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिये कड़े दंड प्रावधानों को भी शामिल किया है, और यह अनिवार्य किया है कि मनोरंजन में इस्तेमाल होने वाले बाल कलाकारों और बच्चों को ज़िला मजिस्ट्रेटों के साथ पंजीकृत करने की आवश्यकता है।
- विभिन्न अधिनियमों के प्रावधान:
- पैसे कमाने के लिये बच्चों का इस्तेमाल करने वाले माता-पिता को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिये। बच्चों की सुरक्षा के लिये अलग-अलग अधिनियम हैं, इन अधिनियमों के प्रावधानों को अब दिशानिर्देशों में शामिल किया गया है।
- किशोर न्याय अधिनियम, 2015, बाल श्रम संशोधन अधिनियम, 2016, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021, आदि के प्रावधानों को दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है। .
- बाल और किशोर श्रम अधिनियम, 1986, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 सहित विभिन्न अधिनियमों के तहत अपराधों के लिये विभिन्न दंड निर्धारित किये गए हैं।
- विस्तार:
- नए दिशा-निर्देशों के दायरे में टीवी कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा, जिसमें रियलिटी शो, धारावाहिक, समाचार और सूचनात्मक मीडिया, फिल्में, OTT प्लेटफार्मों पर सामग्री, सोशल मीडिया पर सामग्री, प्रदर्शन कला, विज्ञापन और वाणिज्यिक मनोरंजन गतिविधियों में बच्चों की किसी भी अन्य प्रकार की भागीदारी शामिल है।
- निषिद्ध भूमिकाएँ:
- दिशा-निर्देश बच्चों को अनुपयुक्त भूमिकाओं या स्थितियों में डाले जाने पर रोक लगाते हैं ।
- बच्चे की उम्र, परिपक्वता, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक विकास और संवेदनशीलता को ध्यान में रखना होगा। एक बच्चे को उपहास, अपमान या हतोत्साह, कठोर टिप्पणियों या किसी भी ऐसे व्यवहार में शामिल नहीं किया जा सकता है जो उसके भावनात्मक दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है।
- बच्चों को शराब पीते, धूम्रपान या किसी अन्य पदार्थ का उपयोग करते हुए या किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधि और अपराधी व्यवहार में लिप्त होते हुए नहीं दिखाया जा सकता है।
- किसी भी बच्चे को नग्नता से संबंधित किसी भी प्रकार की गतिविधियों में शामिल नहीं किया जा सकता है।
- अभिभावक की उपस्थिति:
- शूट के दौरान कम-से-कम एक माता या पिता या कानूनी अभिभावक या किसी ज्ञात व्यक्ति को उपस्थित होना होगा और शिशुओं के लिये माता-पिता या कानूनी अभिभावक के साथ एक पंजीकृत नर्स की उपस्थिति आवश्यक है।.
- हानिकारक प्रकाश, दूषित प्रसाधन सामग्री का निषेध:
- नाबालिग, विशेष रूप से छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हानिकारक प्रकाश व्यवस्था, या दूषित सौंदर्य प्रसाधनों के संपर्क में नहीं लाया जाएगा।
- चिकित्सा स्वास्थ्य प्रमाणपत्र:
- प्रोडक्शन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति जो बच्चों के संपर्क में हो सकता है, को यह सुनिश्चित करने के लिये एक चिकित्सा फिटनेस प्रमाण पत्र जमा करना होगा कि उन्हें किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं है और कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन भी किया जाना होगा।
- बच्चे की शिक्षा को सुनिश्चित करना:
- निर्माता को शिक्षा का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2009 के तहत बच्चे की शिक्षा सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है ताकि उत्पादन और चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ स्कूल या सीखने की अवधि के दौरान पर्याप्त पौष्टिक भोजन तथा बच्चों के लिये पीने के पानी की उपलब्धता में कोई रुकावट न हो।
- प्रति दिन एक शिफ्ट:
- एक बच्चा प्रति दिन केवल एक शिफ्ट में तीन घंटे के ब्रेक के साथ कार्य करेगा।
- सावधि जमा/फिक्स डिपोज़िट में बच्चे की आय को जमा करना:
- बच्चे द्वारा उत्पादन या आयोजन से अर्जित आय का कम-से-कम 20% बच्चे के नाम पर एक राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा खाते में सीधे जमा किया जाएगा जो कि वयस्क होने पर बच्चे द्वारा क्रेडिट किया जा सकता है।
- बच्चे या उसके परिवार/अभिभावक द्वारा बनाई गई सामग्री:
- बाल श्रम और किशोर श्रम अधिनियम, 1986 की धारा 3 (2) (a) के तहत बच्चे या उसके परिवार/अभिभावक द्वारा निर्मित विषय वस्तु/कंटेंट को पारिवारिक उद्यम में कार्य करने वाले बच्चों के रूप में माना जाएगा।
बच्चों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान प्रत्येक बच्चे को सम्मान के साथ जीने के अधिकार की गारंटी देता है- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21) समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14) और/या भेदभाव के खिलाफ अधिकार (अनुच्छेद 15) शोषण के खिलाफ अधिकार (अनुच्छेद 23 और 24)।
- 6-14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21 A)।
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत, विशेष रूप से अनुच्छेद 39(f) यह सुनिश्चित करने के लिये राज्य पर एक दायित्व डालता है कि बच्चों को स्वस्थ तरीके से और स्वतंत्रता तथा सम्मान की स्थिति में विकसित होने के अवसर एवं सुविधाएँ दी जाएँ तथा बचपन और युवाओं को शोषण, नैतिक और भौतिक परित्याग के खिलाफ संरक्षित किया जाए।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नभारत के संविधान में शोषण के खिलाफ अधिकार द्वारा निम्नलिखित में से किसकी परिकल्पना की गई है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (c)
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है। |