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शासन व्यवस्था

डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA): EU

  • 07 Oct 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूरोपीय संसद और यूरोपीय संघ (EU), डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA)

मेन्स के लिये:

डिजिटल सेवा अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नीतियों के डिज़ाइन एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA), एक ऐसा कानून जो ऑनलाइन सुरक्षा पर केंद्रित है और क्षेत्र के सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स नियमों को अद्यतन करता है, को यूरोपियन संघ (EU) का अंतिम अनुमोदन प्राप्त हुआ है।

डिजिटल सेवा अधिनियम:

  • विषय:
    • जैसा कि यूरोपीय संघ आयोग द्वारा परिभाषित किया गया है, DSA "एकल बाज़ार में बिचौलियों के दायित्वों और जवाबदेही पर सामान्य नियमों की एक सारणी" है तथा यूरोपीय संघ के सभी उपयोगकर्त्ताओं के लिये उच्च सुरक्षा सुनिश्चित करता है, चाहे उनका देश कोई भी हो।
  • उद्देश्य:
    • जब उपयोगकर्त्ता सामग्री को मॉडरेट करने की बात आती है तो DSA बिचौलियों, विशेष रूप से गूगल, फेसबुक और यूट्यूब जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के काम करने के तरीके को सख्ती से नियंत्रित करेगा।

डिजिटल सेवा अधिनियम की विशेषता:

  • सामग्री को तीव्रता से हटाने और चुनौती देने के प्रावधान:
    • अद्यतन के हिस्से के रूप में सोशल मीडिया कंपनियों को अवैध या हानिकारक समझी जाने वाली सामग्री को "तेज़ी से हटाने के लिये नए प्रावधानों" को जोड़ना होगा।
    • उन्हें उपयोगकर्त्ताओं को यह भी समझाना होगा कि उनकी कंटेंट टेकडाउन पॉलिसी कैसे काम करती है।
    • DSA उपयोगकर्त्ताओं को प्लेटफ़ॉर्म द्वारा लिये गए टेकडाउन निर्णयों को चुनौती देने और अदालत के बाहर मामले का निपटारा करने की अनुमति देता है।
  • बड़े मंचों की बड़ी ज़िम्मेदारी:
    • यह अधिनियम "सभी के लिये एक समान" की बजाय कंपनियों के आकार के आधार पर उनकी ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करता है।
    • DSA के तहत यूरोपीय संघ में 45 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं वाले प्लेटफॉर्म्स जैसे- 'वेरी लार्ज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स' (VLOP) और 'वेरी लार्ज ऑनलाइन सर्च इंजन' (VLOSE) के लिये नियम पर्याप्त सख्त होंगे।
  • सीधे यूरोपियन आयोग द्वारा निगरानी:
    • यूरोपीय आयोग इन आवश्यकताओं और उनके प्रवर्तन की केंद्रीय निगरानी के लिये ज़िम्मेदार होगा
  • एल्गोरिदम के कार्यों में अधिक पारदर्शिता:
    • VLOPs and VLOSEs पारदर्शिता नियमों और एल्गोरिदम परीक्षण के अधीन होंगे।
    • अपने उत्पादों के सामाजिक प्रभावों के संबंध में ज़वाबदेही को बढ़ावा देने के लिये, इन प्लेटफॉर्म्स को प्रणालीगत ज़ोखिम विश्लेषण करने की आवश्यकता होगी।
    • अनुपालन का आकलन करने और गैरकानूनी या हानिकारक सामग्री के प्रणालीगत जोखिमों का पता लगाने के लिये शोधाकर्त्ताओं और नियामकों दोनों के पास VLOP के डेटा तक पहुँच होनी चाहिये।
    • VLOP को नियामकों को अनुपालन का आकलन करने के लिये अपने डेटा तक पहुँचने की अनुमति देनी चाहिये और शोधकर्त्ताओं को अवैध या हानिकारक सामग्री के प्रणालीगत ज़ोखिमों की पहचान करने के लिये अपने डेटा तक पहुँच प्रदान करनी चाहिये।
  • विज्ञापनों के लिये स्पष्ट पहचानकर्त्ता और भुगतानकर्त्ता:
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उपयोगकर्त्ता आसानी से विज्ञापनों की पहचान कर सकें और समझ सकें कि विज्ञापन कौन प्रस्तुत करता है या भुगतान करता है।
    • उन्हें नाबालिगों के प्रति निर्देशित या संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा पर आधारित वैयक्तिकृत विज्ञापन प्रदर्शित नहीं करने चाहिये।

यूरोपीय संघ के DSA की तुलना भारत के ऑनलाइन कानूनों से:

  • सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 (IT नियम):
    • परिचय:
      • फरवरी 2021 में भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 (IT नियम) के रूप में अपने सोशल मीडिया नियमों में व्यापक बदलावों को अधिसूचित किया था, जिसने मेटा और ट्विटर जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर महत्त्वपूर्ण उचित परिश्रम आवश्यकताओं को रखा था।
      • इनमें कानून प्रवर्तन अनुरोधों और उपयोगकर्त्ता शिकायतों को संभालने के लिये प्रमुख कर्मियों को नियुक्त करना, कुछ शर्तों के तहत सूचना के पहले प्रवर्तक की पहचान को सक्षम करना एवं कुछ प्रकार की सामग्रियों की पहचान करने के लिये सर्वोत्तम प्रयास के आधार पर प्रौद्योगिकी-आधारित उपायों को लागू करना शामिल था।
      • सबसे विवादास्पद प्रस्तावों में से एक सरकार समर्थित शिकायत अपीलीय समितियों का निर्माण है, जिनके पास प्लेटफॉर्म्स द्वारा लिये गए कंटेंट मॉडरेशन निर्णयों की समीक्षा करने और उन्हें रद्द करने का अधिकार होगा।
    • कानून पर आपत्ति:
      • सोशल मीडिया कंपनियों ने IT नियमों के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है और व्हाट्सएप ने एक के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसमें कहा गया है कि संदेश के पहले प्रवर्तक का पता लगाना आवश्यक है।
      • प्रवर्तक का पता लगाने के लिये प्लेटफॉर्म की आवश्यकता का एक कारण यह हो सकता है कि यदि उपयोगकर्त्ता ने अपने प्लेटफॉर्म पर बाल यौन शोषण सामग्री साझा की है।
      • हालाँकि व्हाट्सएप ने आरोप लगाया है कि प्रवर्तक का पता लगाना आवश्यक होने पर प्लेटफॉर्म पर एन्क्रिप्शन सुरक्षा को कमज़ोर कर देगी और लाखों भारतीयों के व्यक्तिगत संदेशों से समझौता कर सकती है।
  • IT अधिनियम, 2000:
    • भारत अपनी प्रौद्योगिकी नीतियों के पूर्ण परिवर्तन पर भी काम कर रहा है और उम्मीद है कि जल्द ही यह IT अधिनियम, 2000 के प्रतिस्थापन के साथ सामने आएगा।
      • अन्य बातों के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की नेट न्यूट्रैलिटी और एल्गोरिदम जवाबदेही सुनिश्चित करने पर विचार किये जाने की उम्मीद है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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