अंतर्राष्ट्रीय संबंध
रूस को 'आतंकवाद के राज्य प्रायोजक' के रूप में नामित करने का अनुरोध
- 18 Apr 2022
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प्रिलिम्स के लिये:रूस का स्थान, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, यूएनएचआरसी, यूएनएससी। मेंन्स के लिये:भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, रूस-यूक्रेन संघर्ष और वैश्विक भू-राजनीति पर इसका प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूक्रेन ने अमेरिका से रूस को "आतंकवाद के राज्य प्रायोजक" के रूप में नामित करने का अनुरोध किया है।
- इसके परिणामस्वरूप रूस के खिलाफ अमेरिका के पास उपलब्ध सभी प्रतिबंधों में से सबसे कठोर प्रतिबंध लगाए जा सकेंगे।
आतंकवाद के राज्य प्रायोजक से तात्पर्य
- परिचय:
- इसके तहत अमेरिकी विदेश मंत्री के पास "आतंकवाद के राज्य प्रायोजक" के रूप में "अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिये बार-बार समर्थन प्रदान करने वाले देशों" को नामित करने की शक्ति होती है।
- अमेरिका इस सूची में शामिल देशों पर चार तरह के प्रतिबंध लगा सकता है:
- अमेरिकी विदेशी सहायता पर प्रतिबंध
- रक्षा निर्यात और बिक्री पर प्रतिबंध
- दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात पर कुछ नियंत्रण
- विविध वित्तीय और अन्य प्रतिबंध
- इसके तहत उन देशों और व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं जो निर्दिष्ट देशों के साथ व्यापार में संलग्न हैं।
- इस सूची में शामिल देश:
- अब तक आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों की सूची में चार देश हैं:
- सीरिया (29 दिसंबर 1979 को नामित)
- ईरान (19 जनवरी 1984 को नामित),
- उत्तर कोरिया (20 नवंबर 2017 को नामित)।
- 12 जनवरी 2021 को क्यूबा को आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में दोबारा नामित किया गया था।
- अब तक आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों की सूची में चार देश हैं:
आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में नामांकन वाले कानून
- वर्तमान में तीन कानून हैं जो विदेश मंत्री को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिये बार-बार समर्थन प्रदान करने हेतु एक देश को नामित करने के लिये अधिकृत करते हैं:
- 1961 का विदेशी सहायता अधिनियम: यह अधिकांश सहायता के हस्तांतरण पर रोक लगाता है;
- शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम (AECA): यह निर्यात, क्रेडिट, गारंटी, अन्य वित्तीय सहायता और राज्य विभाग द्वारा नियंत्रित निर्यात लाइसेंसिंग को प्रतिबंधित करता है; और
- 2018 का निर्यात नियंत्रण अधिनियम
- इन तीन कानूनों में से केवल AECA ही आपत्तिजनक गतिविधियों को आतंकवाद के रूप में सीमित स्तर परिभाषित करती है, जबकि तीनों अधिनियमों में से कोई भी "अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद" को व्यापक अर्थ में परिभाषित नहीं करता है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत का क्या रुख रहा है?
- प्रारंभ में भारत अमेरिका द्वारा प्रायोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के उस प्रस्ताव में अनुपस्थित रहा जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई।
- भारत ने यूक्रेन में मानवीय स्थिति पर रूस द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव पर यूएनएससी में मतदान में भी अनुपस्थित रहा, जिसमें नागरिकों की सुरक्षित, तीव्र, स्वैच्छिक और निर्बाध निकासी को सक्षम करने के लिये बातचीत के जरिए संघर्ष विराम का आह्वान करने की मांग की गई थी।
- यूक्रेन से संबंधित पिछली अनुपस्थिति के विपरीत, यह पहली बार था कि भारत ने इस संघर्ष में पश्चिम का साथ दिया।
- भारत जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान से दूर रहा। परिषद ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों की जाँच के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रस्ताव पेश किया।
- भारत, चीन और 33 अन्य देशों की हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव में अनुपस्थिति रही से जिसमें यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई हेतु उसकी निंदा की गई थी।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रस्ताव से भी अनुपस्थित रहा जो चार परमाणु ऊर्जा स्टेशनों और चेर्नोबिल सहित कई परमाणु अपशिष्ट स्थलों पर सुरक्षा से संबंधित था, क्योंकि रूस द्वारा उन पर नियंत्रण कर लिया था।
आगे की राह:
- यूक्रेन पर रूस का हमला, हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है, इस एक प्रकार का आतंकवादी प्रयोजनों नहीं है, लेकिन रूस ने इसके लिये पिछले एक दशक में आतंकवादी प्रयोजनों के संबंध में कई अन्य आधार प्रदान किये हैं।
- किसी देश को आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में नामित करने के लिये विदेश मंत्री को यह निर्धारित करना होगा कि देश की सरकार ने बार-बार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों जैसे कि हत्या या आतंकवादी समूहों को वित्तपोषण के लिये समर्थन प्रदान किया है।
- भारत के दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। यदि दोनों अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ता है तो भारत के लिये रिश्तों को तर्कसंगत रूप से संतुलित करना महत्त्वपूर्ण है।
- रूस के साथ भारत के संबंध उतने बहुआयामी नहीं हैं जितने कि अमेरिका, यूरोप या जापान के साथ भारत के संबंध हैं। रूस के साथ भारत के संबंध मुख्य रूप से ऊर्जा और रक्षा पर केंद्रित हैं।
- भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार केवल 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, लेकिन रूसी सैन्य उपकरणों की भारतीय खरीद इसका सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व है।