देश के मेंटर कार्यक्रम: दिल्ली सरकार | 18 Jan 2022
प्रिलिम्स के लिये:एनसीपीसीआर, पॉक्सो एक्ट, शिक्षा से संबंधित योजनाएँ। मेन्स के लिये:देश के मेंटर कार्यक्रम का महत्त्व और बच्चों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार अपने प्रमुख 'देश के मेंटर' कार्यक्रम को तब तक के लिये स्थगित कर दे, जब तक कि बच्चों की सुरक्षा से संबंधित सभी खामियों को दूर नहीं किया जाता।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग:
- NCPCR का गठन मार्च 2007 में ‘कमीशंस फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स’ (Commissions for Protection of Child Rights- CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया गया है।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत है।
- आयोग का अधिदेश (Mandate) यह सुनिश्चित करता है कि सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र भारत के संविधान में निहित बाल अधिकार के प्रावधानों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के बाल अधिकारों के अनुरूप भी हों।
- यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act, 2009) के तहत एक बच्चे के लिये मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है।
- यह लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 [Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, 2012] के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
प्रमुख बिंदु
- देश के मेंटर कार्यक्रम के बारे में:
- इसे अक्तूबर 2021 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य नौवीं से बारहवीं कक्षा के छात्रों को स्वैच्छिक सलाहकारों (Voluntary Mentors) से जोड़ना था।
- दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी की एक टीम द्वारा बनाए गए एप के माध्यम से 18 से 35 वर्ष की आयु के लोग मेंटर बनने हेतु साइन अप कर सकते हैं, जो कि आपसी हितों के आधार पर छात्रों से जुड़े रहेंगे।
- मेंटरशिप में कम-से-कम दो महीने के लिये नियमित फोन कॉल शामिल हैं, जिसे वैकल्पिक रूप से अगले चार महीनों तक चलाया जा सकता है।
- इस विचार का उद्देश्य युवा मेंटर्स को उच्च शिक्षा और कॅरियर विकल्पों जैसे मामलों में छात्रों को मार्गदर्शन के लिये प्रेरित करना है, ताकि वे बेहतर ढंग से उच्च शिक्षा प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर सकें और दबाव मुक्त हो सकें।
- अब तक 44,000 लोगों ने मेंटर के रूप में साइन अप किया है, जो कि 1.76 लाख बच्चों के साथ काम कर रहे हैं।
- NCPCR द्वारा उठाई गई चिंताएँ:
- बच्चों को केवल समान लिंग के मेंटर के साथ जोड़ना ही दुर्व्यवहार से उनकी रक्षा करने का उपाय नहीं है।
- मेंटर के पुलिस सत्यापन का अभाव।
- साइकोमेट्रिक टेस्ट किसी भी बच्चे के लिये संभावित खतरे के संदर्भ में किसी व्यक्ति का पूर्ण प्रमाण मूल्यांकन नहीं है।
- बातचीत को फोन कॉल तक सीमित करना भी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करता है क्योंकि "बच्चे से संबंधित अपराध फोन कॉल के माध्यम से भी शुरू किये जा सकते हैं।"
- बच्चों को ऐसी स्थितियों से बचाने की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही विभाग की होती है। किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में माता-पिता की सहमति का उपयोग के रूप में नहीं किया जा सकता है।